होम्योपैथ पूर्णत: प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। पेड़-पौधों के अर्क से बनाई गई इसकी औषधियां बड़े काम की हैं। यदि लक्षणों को चिकित्सक ने ठीक से पकड़ लिया तो रोग को विदा होने में समय नहीं लगता है। दूसरे इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है। यदि दवा काम नहीं की तो भी किसी तरह के दूसरे प्रकार के नुक़सान की आशंका बिल्कुल क्षीण होती है। इस चिकित्सा पद्धति ने बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ऐसे अनेक मरीज़ होंगे जिन्हें एलोपैथ ने असाध्य कहकर अन्य पैथियों ने मना कर दिया था लेकिन होम्योपैथ ने उन्हें मीठी गोली से ठीक कर दिया। ज़रूरत है सही चिकित्सक की जो होम्योपैथ को समझने के साथ ही मरीज़ के भाव व लक्षणों को समझ सके।
गर्भपात
नियमित गर्भपात भी एक ऐसी समस्या है जिसे दूर कर पाने में होम्योपैथ बहुत ही कारगर है। जब अन्य पैथियों से निराश होकर लोग होम्योपैथ की शरण में आते हैं तो उन्हें राहत मिलती है। यही कारण है कि अब लोगों का झुकाव इस पैथी की तरफ़ बढ़ता जा रहा है। मेरे एक मित्र की पत्नी को लगातार तीन बार गर्भपात हो गया। एलोपैथ से लेकर अन्य पैथियों में उन्होंने इलाज कराया लेकिन संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया। गर्भ ठहरने के तीसरे माह उन्हें गर्भपात हो जाता था। अंतत: किसी की सलाह पर उन्होंने होम्योपैथ के एक वरिष्ठ चिकित्सक से संपर्क किया। कुछ ही दिनों के दवाओं के सेवन से उन्हें इस समस्या से मुक्ति मिल गई।
समस्या और दवा
उन्हें जब गर्भपात होता था तो शुरुआत काले गाढ़े रक्त से होती थी जो धीरे-धीरे स्रवित होता था। होम्योपैथिक चिकित्सक ने उन्हें सबसे पहले ‘हेमामैलिस वर्जीनिका‘ का मूल अर्क 15 एमएल दिया और हर दो-दो घंटे पर पांच-पांच बूंद चार चम्मच पानी में डालकर लेने की सलाह दी। रक्तस्राव बंद हो गया। इसके बाद यह दवा पहले दिन, दिन में चार बार दूसरे दिन तीन बार, तीसरे दिन दो बार और चौथे दिन, दिन में एक बार देकर दवा बंद करवा दिया। इसके बाद कभी गर्भपात नहीं हुआ। उन्होंने ‘चायना 30‘ व ‘फेरम फांस 6एक्स‘ लम्बे समय तक दी ताकि रक्तस्राव से आई कमज़ोरी दूर हो सके। इसके साथ ही उन्होंने शरीर में टाक्सिंस बढ़ने से रोकने के लिये कभी कभी ‘नक्स वोमिका 200‘ की दो खुराकें रात को सोने के पहले दी। निर्धारित समय पर स्वस्थ बच्चे ने जन्म लिया। जज्जा व बच्चा दोनों स्वस्थ थे।
नोट– कोई भी होम्योपैथिक दवा बिना किसी योग्य चिकित्सक की सलाह के बगैर न लें।