प्रत्येक दंपती की अभिलाषा होती है कि वे मां-बाप बनें। विशेषकर महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित नहीं रहना चाहती हैं। हर महिला चाहती है कि कम से कम भगवान उसे एक संतान ज़रूर दें ताकि वह उसके साथ खेल सके, उसे प्यार कर सके। उसका भी आंगन किलकारियों से गूंजे। मां न बनने पर समाज के ताने अलग से मिलते हैं, बांझ जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। यह बहुत ही असहनीय होता है। इसलिए जिन महिलाओं को गर्भपात की समस्या होती है और उसका कोई इलाज समझ में नहीं आता है या चिकित्सक जवाब दे देते हैं तो उनके ऊपर तो जैसे वज्र टूट पड़ता है।
गर्भपात के कारण
गर्भपात के अनेक कारण हो सकते हैं। कुछ कारण तो सीधे समझ में आ जाते हैं जैसे गिर जाना, फिसल जाना, चोट लग जाना आदि। लेकिन अनेक कारण ऐसे होते हैं जो जांच के बाद पता चलते हैं। एक खास कारण है गर्भपात का जिसके बारे में हम कम ही सतर्क होते हैं। वह है ख़ून की ख़राबी या रक्तविकार का। रक्त विकार गर्भपात का एक बड़ा कारण है। इसलिए जब भी महिलाएं गर्भधारण करें तो समय-समय पर रक्त की जांच ज़रूरी होती है।
रक्तविकार
रक्त का सबसे बड़ा दोष रुबेला होता है। यदि यह रक्त में मौजूद है तो गर्भपात करा देता है। इसकी विशेषता यह है कि यह रक्त से निकलता नहीं, यानी कितनी भी दवा करें रुबेला रक्तदोष समाप्त नहीं होता है और जब भी गर्भ ठहरता है तो गर्भपात हो जाता है। एलोपैथ में रुबेला विष का कोई उपाय नहीं है। अंतत: चिकित्सक हार मान लेते हैं और कह देते हैं कि आप बच्चे के बारे में न सोचें। लेकिन यह एलोपैथ का सच है। इसके अलावा भी अनेक पैथियां हमारे यहां प्रचलित हैं जो आसानी से इस रोग से निजात दिलाने में सक्षम हैं। इन्हीं पैथियों में से एक है होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति। इस पद्धति में रुबेला विष का कारगर इलाज है। होम्योपैथिक औषधियों का कुछ दिनों के नियमित प्रयोग से रुबेला विष दूर हो जाता है और महिला के मां बनने का रास्ता साफ़ हो जाता है।
उपचार
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में रुबेला विष के लिए ‘मार्बीलीनम 1000‘ से सी.एम. पोटेंसी तक दी जा सकती है। इसके अलावा यदि हथेली में एक्ज़ीमा, मासिक धर्म की गड़बड़ी, मलेरिया बुखार, कमर में दर्द आदि के लिए लक्षणों के आधार पर ‘रेननकुलस बल्बस, टूयूवरक्यूलिनिम, सिक्यूटा विरोसा, कालोफायलम, सीपिया, चायना आर्स, लेकेसिस‘ आदि दिया जा सकता है। इन दवाइयों के सेवन से रुबेला को दूर होने में थोड़ा समय ज़रूर लगता है लेकिन यह ज़हर पूरी तरह शरीर से बाहर हो जाता है और महिला मां बनने में सक्षम हो जाती है। गर्भपात की समस्या दूर हो जाती है। ऐसी ही समस्या एक मेरे मित्र की पत्नी को हो गई थी। एलोपैथ में चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। वह पूरी तरह से निराश हो चुके थे। लेकिन शहर के एक वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक ने उन्हें इस समस्या से निजात दिला दी।
नोट– इन दवाइयों का सेवन स्वयं न करें। इस तरह की समस्या आए तो किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें। चिकित्सक लक्षणों के आधार पर औषधियों व मात्रा का चयन करेगा और आपको रोगमुक्त कर देगा।