हैजा का घरेलू उपचार

हैजा रोग कभी भी किसी को भी हो सकता है। इसे अंग्रेजी में कॉलरा ‌ Cholera भी कहते हैं। गर्मी के मौसम में इसकी ज़्यादा आशंका होती है। दूषित व अनियमित खान-पान से पहले बदहज़मी होती है, बाद में इसी की वजह से हैजा भी हो सकता है। मूलत: खान-पान में असंयम ही इसका प्रमुख कारण है। आज आपको हैजा, बदहज़मी, शूल, जुकाम व दस्‍त का देशी व घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं। इसे घर पर बना सकते हैं और जब भी इस तरह की परेशानी हो तो इसका उपयोग कर इस तरह की बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं।

हैजा रोग
Cholera disease

हैजा का कारण

आंतों में इंफ़ेक्‍शन होने से यह बीमारी फैलती है। इसका कारण विब्रिओ कॉलेरी _ Vibrio Cholerae नामक बैक्टीरिया होता है। शुरू में उल्‍टी-दस्‍त होता है लेकिन समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। दूषित व संक्रमिक आहार या पानी लेने से हैजा के बैक्‍टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और तेज़ी से आंतों पर हमला करते हैं जिससे तुरंत उल्‍टी-दस्‍त शुरू हो जाता है। शेलफिश द्वारा खाए जाने वाले कच्चे पदार्थ भी कॉलरा के कारण हो सकते हैं।

हैजा रोग के लक्षण

हैजा में भयानक उल्टियां व दस्‍त होते हैं, कई बार उल्‍टी नहीं होती और केवल जी मिचलाता रहता है।

– हैजा में होने वाली उल्‍टी सफेद रंग की होती है, कुछ भी पचता नहीं, पानी भी पिये कि उल्‍टी हो जाती है, उल्‍टी में पानी की मात्रा अधिक होती है।

– उल्‍टी के साथ ही पतले दस्‍त होते हैं, इससे शरीर का पूरा पानी बाहर निकलने लगता है और रोगी निढ़ाल होकर बिस्‍तर पर पड़ा रहता है। तेज़ी के साथ कमज़ोरी आती है।

कॉलरा की स्थिति में बेहोशी छाने लगती है, प्‍यास बहुत ज़्यादा लगती है और पेशाब कम होता है और पीले रंग का होता है।

– हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते हैं। नाड़ी तेज़ चलने लगती है। हृदय गति बढ़ जाती है।

दवा बनाने की विधि

छिला हुआ लहसुन, देशी कपूर, शुद्ध हींग, सब 10-10 ग्राम और आवश्‍यकतानुसार प्‍याज का रस लें। लहसुन, कपूर व हींग को प्‍याज के रस में तीन घंटे तक खरल करें यानी घोटें। इसके बाद इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक गोली लगभग 250 मिलीग्राम की हो। इसे छाया में सुखाकर किसी शीशे की बोतल में रख लें।

दवा कैसे करें उपयोग

सामान्‍य स्थिति में 1-1 गोली आधा-आधा घंटे पर प्‍याज के रस के साथ दें। इस गोली को एक ग्राम शक्‍कर के साथ भी दे सकते हैं। हैजा रोग की स्थिति में हर आधे घंटे पर एक दो-गोली बर्फ़ जैसे ठंडे जल से देते रहे। जब स्थिति में थोड़ा सुधार आए तो दवा देने के बीच का अंतराल बढ़ा दें।

दवा से लाभ

– हैजा रोग में यह दवा अत्‍यंत लाभ करती है और थोड़ी देर के बाद मरीज़ को आराम मिल जाता है।

– बदहज़मी, शूल, जुकाम व दस्‍त को दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्‍त करती है।

– इस दवा के सेवन से रोग के बाद होने वाली शारीरिक दुर्बलता भी नहीं होती।

– कमज़ोर हृदय वाले इसका सेवन निर्भय होकर कर सकते हैं।

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