खांसी-जुकाम-नजला एक आम समस्या है। यह कोई गंभीर रोग नहीं है लेकिन किसी को भी परेशान करने में पूरी तरह समर्थ है। अक्सर यह मौसम बदलने के साथ हो जाता है। तेज धूप से आने के बाद तुंरत ठंडा पानी पीना भी इस रोग को आमंत्रण देना है। जब कभी यह रोग हो जाए तो बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है और न ही बाजार से दवा खरीद लाने की जरूरत है। एक देशी उपचार बता रहे हैं, इसका प्रयोग न सिर्फ़ इन रोगों से निजात दिलाएगा बल्कि को साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होने देगा।

खांसी-जुकाम
खांसी-जुकाम यदि हो गया है तो एक पाव जौ खरीद लाएं। जौ भी गेहूं जैसा ही एक अनाज होता है, इसकी भी रोटी बनती है। पहले यह बहुतायत में पैदा होता था और गेहूं की पैदावार कम थी। अब स्थिति उलट है, गेहूं की पैदावार ज्यादा है और जौ बहुत कम बोया जाता है लेकिन बाजार में आसानी से मिल जाता है। जौ ऐसा होना चाहिए जिसमें घुन न लगा हो। जौ को साफ कर लें और धीमी आंच पर कड़ाही में भून लें। इसके बाद इसे दरबरा यानी मोटा-मोटा कूट-पीस लें। इसमें से एक बड़ा चम्मच चूर्ण एक छोटा चम्मच देशी में मिलाकर तेज गर्म तवे पर या लोहे की कड़ाही में डालकर इसका धुंआ लें। धुंआ मुंह या नाक से खींचें। इस मिश्रण को सीधे लकड़ी या कोयले के अंगारे पर डालकर धुंआ लिया जाए तो ज्यादा फायदेमंद है।
खास बातें
– खांसी-जुकाम में जब सिर भारी हो, दर्द हो, नाक बंद हो जा रही हो, सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो उसके लिए इस नुस्खे का प्रयोग करें। मात्र पांच मिनट में चमत्कारिक फायदा नजर आएगा।
– इसका धुंआ लेना खांसी व दमा में इन्हेलर की तरह काम करता है।
– सोने में यदि खर्राटे आ रहे हों और आपके आसपास के लोग ठीक से सो नहीं पाते हों तो यह नुस्खा सुबह-शाम अपनाएं, कुछ ही दिन में फायदा नजर आने लगेगा।
– इस नुस्खे का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, बच्चे व गर्भवती महिलाएं भी इसका सेवन कर सकती हैं।
– यदि कोई दवा खा रहे हैं तो भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
– एक दिन में चार बार इसका प्रयोग किया जा सकता है।
– एक बार में चार बड़े चम्मच जौ चूर्ण व देशी घी मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
सावधानी
धुंआ लेने के 15 मिनट पहले और 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, बहुत प्यास लगे तो गर्म दूध पी लें। यदि बार-बार मुंह सूखे और प्यास लगे तो यह प्रयोग न करें।