कदम्ब के कई प्रकार होते हैं, इनमें प्रमुख हैं राजकदम्ब, धूलिकदम्ब व कदम्बिका। इनके पत्ते महुआ के पत्तों जैसे बड़े व मोटे होते हैं और उनसे गोंद भी निकलता हैं। फल नींबू की तरह गोल होते हैं और फलों के ऊपर ही कदम्ब के फूल होते हैं। फूलों का आकार छोटा होता है और उसमें महक होती है।
कदम्ब के वृक्ष की महिमा जाननी हो तो ब्रज क्षेत्र में चले आइए। यह वृक्ष भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है। इसलिए अनेक ब्रज कवियों ने अपनी कवितओं में इस वृक्ष की महिमा गाई है। इसी वृक्ष के नीचे भगवान श्रीकृष्ण बैठते थे और बांसुरी बजाया करते थे। इसका इत्र भी बनाया जाता है।

चमत्कारिक कदम्ब के औषधीय गुण
– कदम्ब का वृक्ष ज़हर का नाश करने वाला होता है। यदि बहुत प्रकार की औषधियों से भी एलर्जी में फ़ायदा न पहुंचा हो या किसी प्रकार का ज़हर शरीर में प्रवेश कर गया हो तो राजकदम्ब का प्रयोग करके देखिए, आश्चर्यचकित रह जाएंगे। कदम्ब की सूखी छाल, फल व पत्तियों को दस ग्राम लें, इस दस ग्राम में सभी की मात्रा समान होनी चाहिए। इसे 400 ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और सुबह-शाम सेवन करें।
– यदि शरीर पर कहीं घाव हो गया हो और ठीक न हो रहा हो तो कदम्ब की छाल व पत्तियों को उबालकर उसके पानी से धोयें और घाव पर इसकी पत्तियों का रस लगाएं, घाव जल्दी ठीक हो जाएगा।
– मुंह में छाले हो गए हों तो इसके पत्तों को चबाएं और लार बाहर गिराएं। राजकदम्ब के फलों को छाया में सुखा लें और उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को सुबह-शाम खाने से भी छाले ठीक होते हैं। साथ ही यह पाउडर शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करता है।
– कोई कीड़ा-मकोड़ा भी काट ले तो धूलिकदम्ब उसका भी ज़हर उतार देता है।
– पैरों में चोट या सूजन आ गई हो तो कदम्ब की छाल व पत्तों को पानी में उबालकर उसमें नमक मिलाकर पैरों की सेंकाई करने से चोट व सूजन चली जाती है।
– जिन महिलाओं को दूध कम आता हो, उन्हें कदम्बिका के पाउडर के साथ शतावर चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

Kadamb Ke Fayde
– यदि बुखार है तो कदम्बिका की पांच ग्राम छाल व चार-पांच तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर कुछ दिन सेवन करने से बुखार उतर जाता है। इसके सेवन से पेशाब कम आने की समस्या भी दूर हो जाती है।
– इसका उपयोग खटाई में भी किया जाता है, इसके बीजों से तेल निकालकर खाया भी जाता है और लोग दीपक भी जलाते हैं।
– बच्चों की पाचन शक्ति ख़राब हो तो उन्हें धूलिकदम्ब के फलों के रस का सेवन कराना चाहिए।
– पशुओं को कोई रोग होने पर उनके बाड़े में कदम्ब के फूल व पत्तियों को रखना चाहिए, इससे रोग बाहर नहीं फैलते।
– कनजक्टीवाइटिस में धूलिकदम्ब की छाल को घिसकर बाहर से लगाने पर आराम मिलता है।