काम व आराम। इन्हीं दो शब्दों के इर्द-गिर्द हमारा ज़्यादातर जीवन बीतता है। काम करने के लिए आराम की ज़रूरत होती है और आराम करने के लिए काम की ज़रूरत होती है। इसीलिए सप्ताह में एक दिन का अवकाश रखा गया है। ताकि पूरे सप्ताह हम एक दिन पूरी तरह आराम कर सप्ताहारंभ में पुन: नई ऊर्जा से अपने काम में लग सकें। यदि शरीर व मन को आराम न दिया जाए तो काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है। साधारणतया देखने से ऐसा लग सकता है कि एक दिन काम नहीं करेंगे तो नुक़सान होगा। ज़रूर होगा जो सीधे-सीधे दिखेगा भी, लेकिन यह नुक़सान, सातों दिन लगातार काम करने से होने वाले नुक़सान की अपेक्षा बहुत कम होगा।
बिना आराम किए लगातार काम करते रहने से पाचन तंत्र, मस्तिष्क व शरीर थक जाते हैं, इसकी वजह से काम की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। मस्तिष्क कुछ नया सोच पाने की स्थिति में नहीं रह जाता, इसलिए आप कुछ नया जो अन्यों से हटकर हो, नहीं कर सकते। यह बड़ा नुक़सान होगा।
![पाचन तंत्र को भी छुट्टी चाहिए 1 पाचन तंत्र](https://lifestyletips.in/wp-content/uploads/2016/07/human-digestive-system.jpg)
पाचन तंत्र के लिए व्रत
भारतीय परंपरा में व्रत-उपवास का प्रावधान किया गया है। कोई भी व्यक्ति अपने इष्ट के अनुसार उपवास का दिन चुन सकता है। जैसे हनुमान जी के भक्त मंगलवार को व्रत रहते हैं, भगवान शिव के भक्त सोमवार, विष्णु के भक्त गुरुवार, शनि के भक्त शनिवार व सूर्य के भक्त रविवार को व्रत रह सकते हैं। इसी तरह माह में एकादशी व अन्य पर्वों त्योहारों पर व्रत रहने की परंपरा है। इसका धार्मिक अर्थ जो भी हो, लेकिन सामाजिक अर्थ यह है कि सप्ताह में कम से कम एक दिन अपने पाचन तंत्र को छुट्टी दी जाए।
जैसे लगातार काम करने से हमारा शरीर व मन थकता है, वैसे ही लगातार काम करने से पेट, अमाशय व आंतें भी थक जाती हैं, शिथिल पड़ जाती हैं। इनके कार्य करने की गुणवत्ता में धीरे-धीरे ह्रास हो जाता है और पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है। पाचन तंत्र कमज़ोर होने से भोजन रस, रक्त, मांस आदि में पूरी तरह परिवर्तित नहीं हो पाता है और हम कमज़ोरी के शिकार होने लगते हैं। इसलिए पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए सप्ताह में इसे एक दिन आराम देना ज़रूरी होता है। इसलिए सप्ताह में एक दिन व्रत रहना सभी के ज़रूरी है।
हल्का भोजन करें
जिस दिन व्रत रहें, उसकी पूर्व संध्या पर खिचड़ी आदि हल्का भोजन लें। जब व्रत तोड़े तो भी खिचड़ी से ही तोड़ना चाहिए, उसके बाद ही नियमित ढर्रे पर आएं। व्रत के दौरान हमारे यहां फलाहार लेने की परंपरा है, तो फलों का ही सेवन करें या उनके रस का सेवन करें। सब्ज़ियों के रस खासकर साग आदि हल्की सब्ज़ियों या उनके रस का सेवन कर सकते हैं। दही, छाछ आदि का भी सेवन किया जा सकता है। व्रत या उपवास का सीधा मतलब यह है कि हम अपने पाचन तंत्र के अवयवों को आराम देना चाहते हैं। इसलिए कोई भी गरिष्ठ फलाहार न करें जिसे पचाने के लिए पाचन तंत्र के अवयवों को उतना ही श्रम करना पड़े जितना भोजन करने में करना पड़ता है। इसका ध्यान रखें तो ही उपवास आपको शक्ति संपन्न बनाएगा।
![पाचन तंत्र को भी छुट्टी चाहिए 2 पाचन तंत्र](https://lifestyletips.in/wp-content/uploads/2016/07/digestive-system.jpg)
आयुर्वेद क्या कहता है
आयुर्वेद भी कहता है कि भोजन कम मात्रा में करना चाहिए, देखने से लगता है कि कम भोजन करेंगे तो पर्याप्त शक्ति नहीं मिलेगी, लेकिन होता उल्टा है, कम भोजन करने पर भोजन आसानी से पच जाता है और हमें पर्याप्त ऊर्जा मिलती है, जबकि अधिक भोजन करने से भोजन पूरी तरह पच नहीं पाता है, इसलिए कम शक्ति प्राप्त होती है। वृद्धों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
व्रत या उपवास में पानी का प्रयोग अधिक से अधिक मात्रा में करना चाहिए। पेट की सफ़ाई करने के लिए गुनगुने पानी में नींबू का रस, थोड़ा सा खाने वाला सोडा व मधु या गुड़ मिलाकर दिन में कई बार सेवन किया जा सकता है। यदि इसमें तुलसी की पत्तियां डाल दें और अधिक लाभकारी होगा। इससे पेट की सफ़ाई तो होगी ही, साथ ही भूख भी नहीं लगेगी।
प्रकृति
आप यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि पशु-पक्षियों को कोई बीमारी हो जाती है तो सबसे पहले वे भोजन लेना बंद कर देते हैं। ऐसा करने से जो ऊर्जा भोजन पचाने में व्यय होती है, वह रोग को ठीक करने में लग जाती है। इतना करने से ही उनकी बीमारी ठीक हो जाती है। यह मनुष्यों के लिए उतना ही लाभकारी है। आपको याद होगा आज के बीस-पचीस वर्ष पहले जब एलोपैथ बहुत ज़्यादा लोकप्रिय नहीं था तो घरेलू औषधियों या वैद्य की दवाओं से बीमारियों को ठीक किया जाता है। वैद्य जी सबसे पहला काम यही करते थे कि भोजन बंद करा देते थे और साथ में दवा भी देते थे। कुल मिलाकर ध्यान पूर्वक भोजन उतना ही करें कि उसे पचाने में जितनी ऊर्जा आपकी व्यय हो रही है, भोजन से उससे अधिक ऊर्जा आपको प्राप्त हो सके।