कढ़ाही में बचा तेल प्रयोग करने के नुकसान

घर के खाने की बोरियत अक्सर लोगों को बाहरी खाने की ओर खींच ले जाती है। कचौड़ी, छोले-भटूरे, जलेबियाँ, समोसे स्वादिष्ट तो लगते हैं, पर जिस तेल वो बन रहे हैं उसकी गारंटी कौन लेगा। दुकानदार मुनाफ़ा कमाने के लिए अक्सर कढ़ाही में बचा तेल चार से पांच बार इस्तेमाल करते हैं, जिससे आपकी सेहत बिगड़ने लगती है। कभी कभी परिणाम तुरंत नज़र आते हैं तो कभी बिमारियाँ धीरे धीरे आपके शरीर में घर बनाती हैं। फ़ूड एक्सपर्ट्स की माने तो जो लोग बाहरी खाना ज़्यादा खाते हैं और क्वालिटी फ़ूड की अनदेखी करते हैं, उन्हें कैंसर जैसी बिमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है।
फ़ूड एक्स्पर्ट ने बाज़ार में एक सर्वे किया और दुकानदारों से बात की तो उन्हें पता चला कि वे कढ़ाही में बचा तेल दो से तीन बार प्रयोग करते हैं। एक दुकानदार ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि वे कढ़ाही के तेल को दो से दिन तक चलाने का प्रयास करते हैं और तेल की मात्रा घट जाने पर वे उसमें नया तेल मिला देते हैं। वे तेल उसी स्थिति में बदलते हैं जब उस रंग बदल जाए।

कढ़ाही में बचा तेल नुकसानदेह

कढ़ाही में बचा तेल नुकसानदेहतेल को जाँच लें

कढ़ाही में बचा तेल दुबारा प्रयोग करने से पहले उसके रंग और गाढ़ेपन पर नज़र डालना ज़रूरी है। अगर तेल गहरे रंग और गाढ़ा दिखे या फिर उसमें से अजीब सी गंध आ रही हो तो उसे क़तई प्रयोग न करें।

सेहत को नुक़सान

खाना बनाने में कढ़ाही में बचा तेल प्रयोग करने पर उसमें फ़्री रेडिकल्स बन जाते हैं, जो अनेक प्रकार की बिमारियों को जन्म देते हैं। एक ही तेल को बार बार तलने के लिए इस्तेमाल करने से उसकी गंध तो ख़त्म हो ही जाती है और उसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स भी ख़त्म हो जाते हैं, जिससे यह तेल कैंसर पैदा करने वाला ख़तरा बन जाता है। साथ ही साथ इस कढ़ाही में बचा तेल खाना बनाने के लिए प्रयोग करने पर कोलेस्ट्रोल बढ़ सकता है। इसके अलावा एसिडिटी, दिल की बीमारी, अल्ज़ाइमर और पार्किसंस समेत कई घातक बिमारियाँ हो सकती हैं।
बार-बार तेल उबालने से उसमें कैंसर के कारक वाले तत्व आ जाते हैं। इससे गॉल ब्लाइडर या पेट के कैंसर का ख़तरा पैदा हो जाता है। गंगा के किनारे वाले इलाकों में ऐसे कई मामले पाए गए हैं। -डॉ. समीर गुप्ता, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट, केजीएमयू

यह भी ध्यान दें

• एक साथ या एक बार में कई तेल इस्तेमाल न करें। एक समय में एक ही तेल का उपयोग करें।
• तेल का वास्तविक रंग बदल गया है तो उसे बिना हिचक फेंक दें।
• ऑलिव ऑयल को डीप फ़्राई के लिए इस्तेमाल न करें।
• सस्ते तेल जो जल्दी गर्म हो जाते हैं, जिनमें आंच पर रखते ही झाग बनने लगे उसका इस्तेमाल न करें। ये एडल्ट्रेटेड ऑयल होते हैं, जो शरीर के लिए नुक़सानदेह होते हैं।
• सभी तेल समान नहीं होते। कुछ तेल बहुत ज़्यादा तापमान पर गर्म होते हैं। मसलन सोयाबीन, राइस ब्रैन, सरसों, मूंगफली, कैनोला और तिल का तेल। (सीएसई की फेलोशिप के तहत)

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *