कानों में आवाज़ गूंजना बीमारी है

बिना किसी कारण कानों में आवाज़ गूंजना, सीटी की ध्‍वनि सुनाई देना या तेज़ आवाज़ गूंजना एक बीमारी है जिसे टिनिटस _ Tinnitus कहते हैं। इसका चिकित्‍सकीय नाम प्रेस्बाईक्यूसिस _ Presbycusis है। रक्‍त वाहिनी नाड़ियों में दिक्‍कत या बढ़ती उम्र इसका एक कारण हो सकती है। सुनने की शक्ति में ह्रास होता है। कभी-कभी कान में आवाज़ इतनी तेज़ गूंजती है कि बाहर की कोई आवाज़ सुनाई ही नहीं पड़ती। आवाज़ गूंजने की समस्‍या कभी एक कान में तो कभी दोनों कानों में हो सकती है। जिसे यह बीमारी यह हो जाती है उसके जीवन में गंभीर समस्‍या उत्‍पन्‍न हो जाती है।

यह मुख्‍यत: दो प्रकार का होता है- व्‍यक्तिपरक टिनिटस व वस्‍तुगत टिनिटस।

व्‍यक्तिपरक टिनिटस में आवाज़ सुनाई पड़ती है। कान के अंदर, बाहर या मध्‍य में समस्‍या होने से यह होता है। वस्‍तुगत टिनिटस कम लोगों में पाया जाता है। इसका मुख्‍य कारण रक्‍त वाहिनी नाड़ियों, अंदरूनी हड्डियों की समस्‍या या मांसपेशियों में मरोड़ हो सकता है। बचाव ही इसका सबसे अच्‍छा उपचार है।

कानों में आवाज़ गूंजना बीमारी

कानों में आवाज़ गूंजना – कारण

टिनिटस के कई कारण हो सकते हैं। कारण कोई हो लेकिन समस्‍या एक ही रहती है कि वह किसी से बातचीत के दौरान आसानी से सुन नहीं पाता। रात को उसके कानों में तेज़ आवाज़ आने के कारण नींद नहीं आती और इसकी वजह से कई और बीमारियां जन्‍म ले सकती हैं।

शोरगुल में रहना

काफ़ी शोरगुल वाले माहौल या तेज़ आवाज़ों वाले वातावरण में रहने से कानों में आवाज़ गूंजना जैसी समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है। यदि ऐसी किसी फ़ैक्‍ट्री में काम कर रहे हैं जहां भारी यंत्रों की तेज़ आवाज़ें हमेशा गूंजती रहती हैं या तेज़ आवाज़ वो संगीत के उपकरणों के लगातार संपर्क में हैं तो यह समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है।

कान की हड्डियों का घटना-बढ़ना

कान की हड्डियों के घटने-बढ़ने, कड़ी होने या उसमें सूजन होने से भी टिनिटस की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है। इससे सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है। इसका कारण अनुवांशिक भी हो सकता है।

उम्र बढ़ने के साथ

टिनिटस की समस्‍या उम्र बढ़ने के साथ भी हो सकती है। सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है। आमतौर से 60 वर्ष की उम्र के बाद यह समस्‍या शुरू हो सकती है।

कान में अतिरिक्‍त मोम का जमा होना

कानों में मोम होता है जो किसी प्रकार की गंदगी या बैक्‍टीरिया को कानों के अंदर जाने से रोकता है। कभी-कभी जब यह मोम ज़्यादा एकत्रित हो जाता है तो टिनिटस की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है।

बचाव व उपचार

दवाओं को बार-बार न बदलें। इसके साइड इफ़ेक्‍ट से भी टिनिटस हो सकता है।

– कान की ठीक से सफाई करते रहें और उसमें जमे मोम को निकालते रहें। हेयर पिन, गाड़ी की चाबी या किसी कड़ी चीज से कान साफ़ न करें। ज़्यादा बेहतर है कि कान साफ़ करने के लिए चिकित्‍सक का सहयोग लें।

– कान ढंकने के लिए मास्‍क का प्रयोग कर सकते हैं, इससे बाहर का शोरगुल आपको प्रभावित नहीं करता है और काफ़ी शोरगुल या तेज़ आवाज़ के संपर्क में रहने से उत्‍पन्‍न होने वाली समस्‍या की रोकथाम हो सकेगी।

व्हाइट न्‍वायज़ मशीन एक ऐसा यंत्र है जो प्रकृति से संबंधित आवाज़ उत्‍पन्‍न करता है जैसे समुद्र की लहरों व बारिश की आवाज़। यह आवाज़ सुनने से भी इस समस्‍या से निजात पाई जा सकती है।

Refrences-

http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/tinnitus/home/ovc-20180349

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