लंबाई थोड़ी कम हो तो व्यक्तित्व में कुछ कमी आ जाती है। यदि यह आवश्यकता से कम हो तो हीन भावना भर जाती है और हम उपहास का पात्र बन जाते हैं, इससे हमारा मनोबल भी टूटता है। लम्बाई बढ़ाने में ह्यूमन हारमोन ग्रोथ की बड़ी भूमिका होती है जो पिटूइटेरी ग्लैंड से स्रवित होता है। यदि सही मात्रा में शरीर को प्रोटीन व न्यूटिशन न मिले तो शरीर का विकास बाधित होता है। इसलिए खान-पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
दूध, दही, मक्खन, पनीर, दाल, अंडे, फलों के जूस, हरी सब्जियों आदि का सेवन ज्यादा करना चाहिए। साथ ही खनिज तत्वों से भरपूर पालक, हरी बींस, फलियां, गोभी, ब्रोकली, कद्दू, गाजर, दाल, मूंगफली, अंगूर, आड़ू, केला आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा मछली, दाल, अंडा, टोफू, सोया मिल्कर, सोयाबीन व बादाम आदि का सेवन करने से विटामिन डी की कमी पूरी होगी।
यदि इन सबका सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन व कैल्शियम मिल जाएंगे और शरीर के विकास की बाधाएं समाप्त हो जाएंगी।

लम्बाई बढ़ाने के कुछ प्रयोग
– अश्वगंधा, सूखी नागौरी व चीनी 200-200 ग्राम लें। अश्वगंधा व सूखी नागौरी की जड़ को महीन पीसकर इसमें चीनी मिला लें और इसे शीशे की बोतल में भरकर रख लें। रात को सोते समय दो चम्मच चूर्ण खाकर गाय का दूध पीयें। इसे चालीस दिन तक लें। इससे लंबाई भी बढ़ेगी और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
– अश्वगंधा व काला तिल 100-100 ग्राम लेकर इसका चूर्ण बना लें। इसमें से तीन ग्राम चूर्ण को दस ग्राम देशी गाय के घी व पांच खजूर में मिलाकर एक माह तक नियमित सेवन करें। लंबाई व स्वास्थ्य दोनों बढ़ेगा तथा बल-वीर्य में भी वृद्धि होगी।
– 225 ग्राम अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण बना लें और उसमें 225 ग्राम चीनी मिला लें। रात को सोते समय दो चम्मच यह चूर्ण एक गिलास दूध में डालकर पीयें। नियमित 45 दिन के सेवन से अद्भुत परिणाम सामने आते हैं। लंबाई तो बढ़ती ही है, शरीर भी सुडौल होता है। गाय के दूध का सेवन ज्यादा बेहतर है।

Grow Height Faster in Hindi
– नियमित ताड़ासन व भुजंगासन करने से भी फायदा होता है। योग का कोई आसन किसी योग्य योगाचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए।
– लम्बाई बढ़ाने के लिए कनपटियों पर सेरामिक चुंबकों का भी प्रयोग किया जाता है। पहले दिन उत्तरी ध्रुव वाले चुंबक का उपयोग सिर के दायीं ओर व दक्षिणी ध्रुव वाले चुंबक का उपयोग सिर के बाईं ओर करना चाहिए। दूसरे दिन सिर के आगे और पीछे की ओर तथा सिर के अगले भाग पर उत्तरी ध्रुव वाला चुंबक तथा पिछले भाग पर दक्षिणी ध्रुव वाले चुंबक का उपयोग करना चाहिए। यह प्रयोग तीन माह नियमित करें, फिर एक सप्ताह का अंतराल देकर पुन: तीन माह का प्रयोग करें। साथ ही नियमित रूप से चुंबकित जल को दवाई की मात्रा के बराबर पीते रहें।
परहेज
– जंक फूड या फास्ट फूड लेने से बचें।
– खटाई का प्रयोग न करें।
– ज्यादा मिर्च-मसाले न खाएं।
– बर्गर, नूडल्स, पिज्जा व कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन न करें।