कुछ 100 सालों पहले, कोई भी रात में तारों की दुनिया को सिर ऊपर करके देख सकता था। अब दुनिया भर के लाखों बच्चे जहाँ रहते हैं वहाँ आकाशगंगा दिखायी नहीं देती है। रात में कृत्रिम प्रकाश की बढ़ती मात्रा पर्यावरण, हमारी सुरक्षा, ऊर्जा खपत और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। जिससे प्रकाश प्रदूषण या Light Pollution हो रहा है।
प्रकाश प्रदूषण क्या है
हम में से अधिकांश लोग वायु, जल और भूमि प्रदूषण से परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रकाश भी प्रदूषण फैलाता है?
कृत्रिम प्रकाश का अधिक और अनावश्यक प्रयोग प्रकाश प्रदूषण या लाइट पलूशन कहलाता है, जिसका पर्यावरणीय प्रभाव मानव सभ्यता, वन्य जीवन और मौसम पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है। प्रकाश प्रदूषण के तत्व हैं –
Glare – ग्लेयर – बहुत अधिक प्रकाश जो दृष्टि को बाधित कर दे
Skyglow – स्काइग्लो – रिहाइसी इलाक़ों में रात के आकाश में दिखने वाली कृत्रिम रोशनी
Light Trespass – लाइट ट्रेसपास – उन जगह तक प्रकाश का पहुँचना, जहाँ उनकी आवश्यकता नहीं है
Clutter – क्लटर – चमकीला, भ्रामक और सामूहिक प्रकाश स्रोत
प्रकाश प्रदूषण औद्योगिक सभ्यता का साइड इफ़ेक्ट है। इमारतों का बाहरी और भीतरी प्रकाश, विज्ञापन, व्यवसायिक सम्पत्तियाँ, कार्यालय, कारख़ाने, सड़क पर लगे प्रकाश स्रोत और प्रकाशित खेल के मैदान आदि लाइट पलूशन के प्रमुख स्रोत हैं।
वास्तविकता ये है कि जिन प्रकाश स्रोतों को घरों के बाहर लगाया गया है, वो अप्रभावी हैं, बहुत चमकीली हैं, अनिर्देशित हैं, अनुचित रूप से परिरक्षित हैं, और बहुत से स्थितियों का व्यर्थ प्रकाशित रहती हैं। ये प्रकाश, और वो बिजली जो इसका स्रोत है, उसे रात के आकाश में व्यर्थ फेंका जा रहा है, जबकि उसे वहाँ फ़ोकस करना चाहिए जिन स्थानों पर उसकी ज़रूरत है, और जिन लोगों को उसकी आवश्यकता है।
प्रकाश प्रदूषण कितना बुरा है
आज विश्व की अधिकांश जनसंख्या प्रदूषित आकाश के नीचे रहती है, और अतिप्रकाश वैश्विक विषय बन गया है। अगर आप शहर या क़स्बे में रहते हैं तो रात के आकाश में कुछ दृश्य देख सकते हैं।
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके इलाक़े में प्रकाश प्रदूषण कितना बुरा है तो नासा ब्लू मार्बल नेविगेटर या ग्लोब एट इंटरैक्टिव लाइट पलूशन मैप का प्रयोग कर सकते हैं जिसे आठ साल तक डेटा कलेक्ट करके तैयार किया गया है।
प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव
तीन बिलियन सालों से पृथ्वी पर प्रकाश और अंधकार का चक्र चल रहा है जो सूरज, चांद और तारों जैसे आकाशीय पिंडों के कारण है। आज, कृत्रिम प्रकाश अंधेरे को चीर कर रात में हमारे शहरों को जगमगा रहा है, जिससे प्राकृतिक दिन-रात का पैटर्न बिगड़ रहा है और पर्यावरण पर बुरा असर डाल रहा है। यह बुरे प्रभाव ऐसे हैं जिन्हें हम छू नहीं सकते हैं सिर्फ़ इनका एहसास कर सकते हैं। लेकिन जो सबूत मिले हैं वो –
- ऊर्जा खपत को बढ़ा रहे हैं
- इकोसिस्टम और वन्य जीवन को बिगाड़ रहे हैं
- मनुष्य का स्वास्थ्य बिगाड़ रहे हैं
- अपराध और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं
लाइट पलूशन हर शहरी को प्रभावित करता है। भाग्यवश, लोगों में इसके प्रति सजगता तेज़ी से बढ़ रही है। वैज्ञानिक, निवासी, पर्यावरण संरक्षक और राजनेता सभी प्राकृतिक प्रकाश को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। हम में से हर प्रकाश प्रदूषण से निपटने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रैक्टिकल हल दे सकता है।
आप सहायता कर सकते हैं
दूसरे प्रदूषण से अलग यह रिवर्सिबल है, हम में हर कोई ऐसा कर सकता है। प्रकाश प्रदूषण के बारे में जानकारी रखना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे दूर करने का प्रयास अधिक महत्वपूर्ण है। इसके लिए आपको अपने घर की रोशनी को रात के समय कम से कम रखनी चाहिए, जितने में आपका काम चल जाए। ऐसा आप इस प्रकार कर सकते हैं –
- रोशनी तभी करें जब आवश्यकता हो
- ऊर्जा बचाने वाले बल्ब का प्रयोग करें
- मोशन डिटेक्टर और टाइमर वाले प्रकाश स्रोत प्रयोग करें
- खुले क्षेत्र में लगे प्रकाश स्रोत ठीक से परिरक्षित हों
- कमरे की खिड़कियों पर पर्दे लगाकर अंदर की रोशनी को अंदर रखें
- निवासी वैज्ञानिक बनकर लाइट पलूशन को मापने में मदद करें
इस बारे में अपनी फ़ैमली और दोस्तों से बात करें और उन्हें भी मिशन में शामिल करें। आज भी बहुत से लोग लाइट पलूशन के बारे में न जानते हैं, न समझते हैं और इसके साइड इफ़ेक्ट के प्रभाव में हैं। इसलिए उनको भी इस बारे में समझाने का बीड़ा उठाएँ और समूचे विश्व को प्राकृतिक प्रकाश की ओर अग्रसर करें।
Credits – http://darksky.org/light-pollution/