कभी–कभी तेज़ बुखार में चलने वाली दवाइयों से लीवर की सूजन (अंग्रेजी: Enlarged liver) हो जाती है। या पीलिया हुआ तो भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके और भी कारण हो सकते हैं। जब लीवर में सूजन आ जाती है तो इलाज थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि एलोपैथ में इसका कोई कारगर इलाज नहीं है। इसीलिए जब पीलिया होता है तो लोग आयुर्वेद की तरफ़ भागते हैं। एलोपैथ में भी जाते हैं तो चिकित्सक आयुर्वेद की ही दवा लिखते हैं जो बहुत ही कॉमन है- लिव 52। बाक़ी परहेज़ बताते हैं। जब लीवर के सूजन को एलोपैथ के चिकित्सक ठीक नहीं कर पाते हैं तो कैंसर की आशंका जता देते हैं और व्यक्ति परेशान हो जाता है। लेकिन इसकी सबसे कारगर दवा होम्योपैथ में है। होम्योपैथ की दवा कुछ दिन खानी पड़ती है और लीवर की सूजन चली जाती है, व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ होकर पहले जैसा हो जाता है।
लीवर की सूजन – केस स्टडी
एक महिला को तेज़ बुखार आया था। जिला अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। बुखार को ठीक करने के लिए जो दवाइयाँ दी गईं वे बहुत ही तेज़ थीं, इससे बुखार तो उतरा लेकिन असमय मासिक धर्म शुरू हो गया जो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। फिर उसकी दवा चली। इस दौरान चली अनेक प्रकार की एलोपैथिक दवाइयों व इंजेक्शन के कारण उनके लीवर में सूजन हो गया। अब सूजन ख़त्म करने की दवा चलने लगी। लेकिन लीवर में सूजन ख़त्म नहीं हुआ। चिकित्सकों ने लगभग एक माह तक उन्हें भर्ती रखा, जब देखा कोई आराम नहीं है तो उन्हें यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया कि इन्हें लीवर कैंसर है। इन्हें लेकर मुंबई चले जाएँ, वहीं इलाज कराएँ।
होमयोपैथ में दवाएँ
उनके पति ने पता किया तो मुंबई जाने व वहाँ इलाज कराने का कम से कम खर्च पचास हज़ार रुपये था। वह मुंबई जाने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान उनकी एक होम्योपैथिक चिकित्सक से भेंट हो गई। चिकित्सक ने रोग की हिस्ट्री और लक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की और पहले दिन नक्सवोमिका 200 की दो खुराक रात को सोने के पहले आधा-आधा घंटे पर लेने के लिए दी। दूसरे दिन लायक्रोपोडियम 1000 की दो खुराक दी और चेलीडोनियम, कार्डअस मेरीयेनस, केरिका पपैया, चियोनेन्थस व कोल्वीकम के मूल अर्को को समान मात्रा में मिला कर 10-10 बूंदें थोड़े से पानी में मिलाकर दिन में चार बार लेने के लिए कहा। साथ ही नेट्रम सल्फ 6 एक्स की चार गोली थोड़े से गुनगुने पानी के साथ लेने के लिए दी।
सफल इलाज
इन दवाओं का असर एक सप्ताह में दिखना शुरू हो गया। महिला को भूख लगने लगी, शरीर का पीलापन ख़त्म होने लगा। टट्टी-पेशाब का रंग भी सामान्य होने लगा। दो सप्ताह में वह इतना ठीक हो गईं कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार करने लगीं। घर का छोटा-मोटा काम करने लगीं। एक माह में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गईं और लीवर की सूजन ख़त्म हो गई।