कब और क्यों में सेक्स न करें

शादीशुदा ज़िंदगी को ख़ुशहाल ढंग से जीने का आधार सेक्स है। पति पत्नी के बीच प्यार और विश्वास के साथ साथ एक दूसरे को समझने की कला भी होनी चाहिए ताकि यह रिश्ता मजबूती के साथ आगे बढ़ता जाए। लेकिन कभी कभी कुछ कारणों से सेक्स से परहेज़ न केवल आपके लिए बल्कि आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य लिए भी ज़रूरी हो जाता है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि किन किन परिस्थितियों में सेक्स न करें ताकि रिश्ता ख़ुशनुमा बना रहे…

जानिए कब और क्यों में सेक्स न करें

1. प्रेग्नेंसी के समय

प्रेग्नेंसी के समय सेक्स करें या न करें इस तरह से कई सवाल पति पत्नी के मन में उलझते रहते हैं। डॉक्टर के अनुसार छठे हफ़्ते से बारहवें हफ्ते तक सेक्स न करें, क्योंकि इस समय गर्भपात की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के आख़िरी दो महीनों में भी सेक्स से परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि सेक्स से एमिनयोटिक फ्लूइड के लीक होने की संभावना रहती है। डॉक्टर के अनुसार प्रेग्नेंसी के चौथे से सातवें महीने तक सेक्स किया जा सकता है, परन्तु वो भी पत्नी के कंफ़र्ट को ध्यान में रखते हुए करें ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट न हो।

डिलिवरी के बाद सेक्स

2. डिलीवरी के बाद

जब एक महिला पहली बार माँ बनती है तो वो मातृत्व सुख में लीन हो जाती है। हालाँकि डिलीवरी के बाद शारीरिक कमज़ोरी के अलावा उनमें कई भावनात्मक बदलाव भी आते हैं, जिनमें उनकी सेक्स की इच्छा भी ख़त्म हो जाती है। पर लगभग 6 महीनों के बाद पीरियड्स के वापस आने पर सेक्सुअल भावनाएँ भी वापस आने लगती है। हालाँकि डिलीवरी के बाद सेक्स की पहल करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें। ताकि सेक्स करते समय पत्नी को किसी भी प्रकार की शारीरिक पीड़ा न हो।

3. हार्ट प्रॉब्लम में

हार्ट अटैक या हार्ट प्रॉब्लम की स्थिति में डॉक्टर ने जब तक बेड रेस्ट की सलाह दी हो, तब तक बेड रेस्ट करें और सेक्स न करें। सेक्स के दौरान उत्तेजना के कारण हृदय पर दबाव पड़ता है जिससे शारीरिक समस्या बढ़ सकती है। इसीलिए कुछ सावधानियों को बरतें और अपने पार्टनर के दिल का ख़ास ख़याल रखें और जब तक सेक्स परहेज़ के लिए कहा गया हो तब तक सेक्स न करें। आख़िर आप अपने जीवन साथी के दिल और दिल से जुड़े रिश्ते के लिए इतना तो कर सकते हैं।

4. झगड़ा या मनमुटाव होने पर

झगड़ा या मनमुटाव होने पर सेक्स न करें, क्योंकि सेक्स वैवाहिक जीवन को ख़ुशहाल बनाने का आधार है। सेक्स का मतलब एक दूसरे के प्रति प्यार दर्शाना है, न कि ज़ोर ज़बरदस्ती करना। इसीलिए झगड़ा या मनमुटाव होने पर पहले रिश्तों के बीच की दूरियाँ और तनाव को दूर करने की कोशिश करें, उनसे प्यार से बात करें और उन्हें बाहर घुमाने भी ले जाएँ। ताकि आपका पार्टनर तनाव मुक्त हो सकें। इस तरह से आप अपनी सेक्सुअल लाइफ़ ख़ुशहाल बना सकते हैं।

बेटर सेक्शुअल लाइफ़

5. मानसिक बीमारी में

सेक्सुअल लाइफ़ को ख़ुशहाल ढंग से जीने के लिए न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि यदि आप या आपका पार्टनर किसी भी तरफ़ के तनाव या डिप्रेशन में होता है तो इस स्थिति में सेक्स की इच्छा अपने आप ख़त्म हो जाती है। इसीलिए इस स्थिति में अपने पार्टनर के मानसिक तनाव को कम करने की कोशिश करें। उसे अधिक से अधिक ख़ुश रखें ताकि वो मानसिक तनाव से मुक्त होकर अपनी सेक्सुअल लाइफ को ख़ुशी से जी सकें।

6. संक्रामक बीमारियाँ होने पर

यदि आपका पार्टनर किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी जैसे टीबी, चिकनपॉक्स या त्वचा सम्बंधित इंफ़ेक्शन से ग्रसित है तो इस दौरान सेक्स न करें। क्योंकि इस दौरान सेक्स करने पर यह इंफेक्शन दूसरे साथी को भी हो सकता है। इसीलिए जब तक संक्रमण पूरी तरह से ठीक न हो जाए तब तक सेक्स न करें। साथ ही डॉक्टरी सलाह अवश्य लेते रहें।

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