डबल निमोनिया और होम्‍योपैथ

कभी-कभी बच्‍चों को निमोनिया हो जाता है तो भी परिवार में संकट हो जाता है। पूरा परिवार बच्‍चे को लेकर परेशान हो जाता है। अनेक मामलों में तो बच्‍चे को अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ता है। अनेक बार यह रोग ठीक हो जाता है लेकिन कभी-कभी रोग जटिल हो जाता है, जिसे डबल निमोनिया (अंग्रेजी: Double Pneumonia) कहते हैं।

इसे ठीक होने में समय लगता है और कभी-कभी कितना भी दवा कराई जाए, आराम नहीं मिलता है। एलोपैथ के चिकित्‍सक जवाब दे देते हैं और बड़े चिकित्‍सा संस्‍थानों के लिए रेफ़र कर देते हैं। लेकिन होम्‍योपैथ में इसका कारगर इलाज है और डबल निमोनिया को जड़ से समाप्‍त कर देता है। यह पोस्‍ट इसलिए डाल रहा हूँ ताकि यदि किसी को इस तरह की समस्‍या हो जाए तो पहले अपने आसपास होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक से ज़रूर परामर्श कर लें, उसके बाद ही अपना शहर छोड़ें।

डबल निमोनिया – केस स्टडी

प्राइमरी के शिक्षक थे। उनके बेटे को डबल निमोनिया हो गया था। उसकी उम्र महज़ दो साल थी। जिला अस्‍पताल से लेकर निजी अस्‍पतालों तक में इलाज कराया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। चिकित्‍सकों ने साफ़-साफ़ कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी बातचीत से यह स्‍पष्‍ट हो चला था कि बच्‍चे को बचाना मुश्किल है। तगड़ी से तगड़ी दवा चली लेकिन उसके डबल निमोनिया का इलाज न हो सका।

होम्योपैथ डॉक्टर से मुलाक़ात

मित्र-परिचितों ने उन्‍हें एम्‍स जाने की सलाह दी। बच्‍चे की जान बचानी थी तो कुछ भी करना था। वह दिल्‍ली जाने की तैयारी करने लगे। इसके लिए छुट्टी व पैसे के इंतज़ाम में लग गए। ट्रेन का रिजर्वेशन भी हो गया, अब दो दिन बाद दिल्‍ली जाने की तैयारी थी। इसी बीच उनके घर हाल-चाल पूछने आने वालों में से किसी की सलाह पर उन्‍होंने एक होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक से संपर्क किया। उन्‍होंने चिकित्‍सक से सिर्फ़ रोग ठीक होने नहीं बल्कि बच्‍चे की जान बचा लेने की विनती की। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्‍या करें, बच्‍चे को कैसे बचाएँ। उन्‍होंने होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक से पूरे मन व प्राण से विनती की और उनके चरणों में बच्‍चे को लिटा दिया। होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक घबरा गए। उन्‍होंने पूछा कि इस बच्‍चे को क्‍या हुआ है। माता-पिता ने रोते हुए सारी कहानी बताई।

सफल इलाज

चिकित्‍सक ने रोग की पूरी हिस्‍ट्री व लक्षण के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने बाद उसे एन्टिम टार्ट 30, कार्वोवेज 30ब्रायोनिया 30 दो-दो घन्टे के अन्तर से देने के लिए दिया। टट्टी-पेशाब के रास्‍ते सारा कफ निकल गया। इसके बाद उन्‍होंने हिपर सल्फ 200 की दो पुड़िया दी जिसने उसका फेफड़ा साफ़ कर दिया और धीरे-धीरे बच्‍चा ठीक हो गया।

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