लीवर के ट्यूमर से जान का संकट उत्पन्न हो जाता है। सही समय पर इलाज न कराया जाए तो कैंसर का रूप ले लेता है। एलोपैथ में अंतत: इसका ऑपरेशन ही इसका एकमात्र विकल्प है। लेकिन होम्योपैथ की मीठी गोली इससे निजात दिला सकती है, इसे कम लोग ही जानते हैं। जैसे-जैसे होम्योपैथ के चमत्कार और एलोपैथ की दवाओं के दुष्प्रभाव बाहर आ रहे हैं, लोगों का झुकाव होम्योपैथ की ओर बढ़ता जा रहा है।
लीवर के ट्यूमर का निदान
एक महिला के लीवर में 40 मिमी ट्यूमर था, जिसकी वजह से उनका पेनक्रियाज भी स्लज से पूरी तरह भर गया था। साँस लेने में भी तक़लीफ़ होती थी। उनका लीवर काम नहीं कर रहा था इसलिए कुछ पच नहीं रहा था, पानी भी पीती थीं तो उल्टी हो जाती थी। तक़लीफ़ जब ज़्यादा बढ़ गई तो उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। साँस की तक़लीफ़ में थोड़ा-बहुत आराम तो मिला लेकिन लीवर के ट्यूमर में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। चिकित्सकों ने कहा कि इनके जीवन की कोई आशा नहीं है, औषधियाँ बहुत काम नहीं कर रही हैं। चिकित्सकों ने सलाह दी कि इन्हें घर ले जाकर इनकी सेवा करें।
होम्योपैथिक इलाज
घर वाले उन्हें लेकर घर आ गए। इसी बीच उनके घर उनके एक होम्योपैथिक चिकित्सक मित्र उन्हें देखने आए। उन्होंने कहा जब सेवा ही कर रहे हैं तो साथ में कुछ होम्योपैथिक दवाएँ भी देते जाएँ, हो सकता है भगवान इन्हें ठीक ही कर दें। चिकित्सक ने उन्हें कालमेघ, हायड्रोक्रोटायल ऐशिसाटिका, वोर्विया डिफूयूजा, लूफाविन्डाल तथा कैरिका पपैया सभी का मूल अर्क जो नेशनल होम्यो, कोलकाता द्धारा लिव्हरमिन के नाम से उपलब्ध है- 10-10 बूँद दिन में चार बार और इपीकाक 6एक्स व आर्सेनिकम एल्बम 6एक्स चार बार देना शुरू किया। शीघ्र ही उनकी उल्टियाँ बंद हो गईं।
अगर लीवर में सूजन होने का इलाज भी जानिए।
बीमारी से रिकवरी
हल्का-फुल्का जूस व सूप भी वह लेने लगीं। धीरे-धीरे उनके शरीर में ताकत आने लगी, कमज़ोरी दूर होने लगी। दो सप्ताह तक यही दवा चली। इसके बाद उन्होंने ट्यूमर की तरफ़ ध्यान देना शुरू किया केल्केरिया कार्ब 1000 की दो खुराक के बाद लेपिंस एल्बम 30 और फायटोलैक्का 30 की दो -दो खुराक प्रति दिन दी। लिव्हरमिन की भी दो खुराक सुबह-शाम देते रहे। लगभग एक माह के बाद इपीकाक व आर्स की जगह उन्हें डिजीटेलिस 3 एक्स और कार्डूअस मेरियेनिस 3 एक्स के मिश्रण की दो खुराक और लेपिस 30 व फायटालैक्का 30 की दो खुराक प्रति दिन दी। लगभग एक माह में उनका ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित हो गया। इसके बाद अल्ट्रासाउंड कराया गया तो लीवर का ट्यूमर काफ़ी ठीक हो गया था। जीवन में आशा का संचार होने लगा। दो साल तक नियमित दवा चली और वह पूरी तरह स्वस्थ हो गईं।