मासिक धर्म में छुआछूत क्यों: महिलाओं में मासिक धर्म एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह प्रकृति प्रदत्त है और गर्भधारण के लिए आवश्यक भी है। लेकिन भारत में अधिकांश क्षेत्रों में महिलाओं पर मासिक धर्म के दौरान पाबंदी लगा दी गई। इस दौरान वे न तो किसी को छू सकती हैं और न ही खाना बना सकती हैं, न उनका छुआ कोई पानी पी सकता है। उनसे अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता है। इस दौरान वे पूजा-पाठ से भी वंचित कर दी जाती हैं। कई जगहों पर तो इस दौरान उन्हें ज़मीन पर सोना पड़ता है। महीने के तीन-चार दिन जो मासिक धर्म का समय है, में महिलाओं से इसी तरह का व्यवहार किया जाता है। इस परंपरा को महिलाएँ अपना धर्म मानती हैं। उन्हें स्वयं लगता है कि वे किसी को छू देंगी तो उनका धर्म नष्ट हो जाएगा। जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिलता है।
माहवारी महिलाओं में किशोरावस्था से शुरू होता है और अधेड़ावस्था तक चलता है।
मासिक धर्म में छुआछूत का कारण
सामान्य तौर पर मान्यता यह है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अशुद्ध हो जाती हैं। इस दौरान जिस चीज़ को वे छूती हैं, वह भी अशुद्ध या ख़राब हो जाती है। सदियों से इसे करती आई महिलाएं अब इसे स्वयं सही मानती हैं और मासिक धर्म के दौरान यदि उनसे खाना बनाने के लिए कहा जाए तो नहीं बनाएंगी, उन्हें भी लगने लगा है कि वे अशुद्ध हैं और यह उनकी अशुद्धि का समय चल रहा है। इसकी मुख्य वजह सदियों से चली आ रही परंपरा है, बड़े-बुजुर्गों ने कहा दिया और उसका पालन आज भी किया जा रहा है। विभिन्न कौमों में धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यता है कि महिलाओं को इस दौरान अलग रहना चाहिए, उन्हें किसी भी प्रकार के खानपान की वस्तु को छूना नहीं चाहिए।
मासिक धर्म संबधित नई मान्यता
यह तब तो बहुत आसानी से निभ जाता था जब महिलाएं घर के अंदर रहती थीं और संयुक्त परिवार हुआ करता था। एक महिला का यदि मासिक धर्म शुरू हो गया तो दूसरी महिलाएं काम कर लेती थीं। कोई बहुत परेशानी नहीं होती थी। अब, जब महिलाएं जॉब में हैं और संयुक्त परिवार टूटकर एकल परिवार में तब्दील होते जा रहे हैं। ऐसे में मासिक धर्म में छुआछूत जैसी पाबंदियां भारी पड़ने लगी हैं। हालांकि समय के साथ कुछ क्षेत्रों में बदलाव आया है। अब लोग पुराने अवैज्ञानिक रीति-रिवाजों से बाहर आकर समय के साथ कदमताल करना शुरू कर दिए हैं।
एंडोमेट्रियम क्या है?
वैज्ञानिक दृष्टि तो यह है कि मासिक धर्म गर्भाशय की आंतरिक सतह में एंडोमेट्रियम के टूटने से होने वाला रक्तस्राव है। गर्भधारण कर सकने के लिए इस प्रक्रिया का सामान्य होना आवश्यक है। शरीर में हार्मोन का नियंत्रण भी यह प्रक्रिया करती है। मासिक धर्म के दौरान सामान्य तौर पर 35 मिलीलीटर रक्तस्राव होता है। यदि रक्तस्राव बहुत ज़्यादा हो रहा हो तो तत्काल किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।