शिशु को माँ का दूध पिलाने से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

बच्चे के लिए माँ का पहला गाढ़ा दूध एक टॉनिक की तरह होता है। जो न केवल बच्चे को ताक़त प्रदान करता है बल्कि उसे रोगों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक माँ को अपने बच्चे को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए। यह पोषक तत्वों से भरपूर और सुपाच्य होता है। लेकिन शिशु को माँ का दूध पिलाते समय इन बातों को अवश्य जान लें…

माँ का दूध पिलाने के टिप्स

स्तनपान यानि माँ का दूध पिलाना

1. शिशु के पोषण के लिए सबसे बेहतर माँ का दूध होता है। नवजात शिशु के जन्म के बाद माँ के शरीर में बनने वाला गाढ़ा व पीला दूध कोलेस्ट्रम कहलाता है। यह बच्चे के जन्म के बाद 3 से 6 दिनों तक आता है।

2. यह दूध विटामिन ए, वसा, स्टार्च, एंटीबॉडीज़ और प्रोटीन तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए नवजात शिशु के जन्म के बाद माँ के शरीर में जितना भी दूध बने उसे शिशु को ज़रूर पिलाएं।

3. यह दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है साथ ही साथ यह बच्चे को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। इसके सेवन से नवजात शिशु एलर्जी, चर्म रोग, दमा, पोलियो और खांसी जुकाम जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहता है।

4. माँ का दूध बच्चे की पाचन शक्ति बढ़ाता है। जब बच्चे का पेट साफ़ रहता है तो बढ़ती उम्र में अन्न आसानी से पचता है, क्योंकि इससे पाचक रस बनता है।

5. माँ बनने का एहसास और नवजात शिशु की देखभाल को लेकर अक्सर माँ उलझन में रहती है। वो यह नहीं समझ पाती कि वो कब और कितने बार शिशु को अपना दूध पिलायें। बच्चे के जन्म के पहले सप्ताह के बाद बच्चे को दिनभर में 6 से 8 बार दूध पिलायें। तभी बच्चा शांत और स्वस्थ रहता है। बच्चे को प्रत्येक 3 घण्टे पर दूध पिलायें लेकिन 4 घण्टे से ज़्यादा का अंतर न रखें। कोशिश करें उसे समय से दूध पिलाएं।

6. जब जब शिशु रोये तब तब दूध पिलाना उचित नहीं है। कभी कभी वह पेट में गैस बनने या प्यास लगने से भी रोता है।

7. दूध पिलाते समय माँ के हाथ अच्छी तरह से धुलें हो। तब माँ अपने बच्चे को अपने हाथों से उठाकर गोद में लिटाएं और आराम से उसे दूध पिलाएं।

शिशु को स्तनपान कराने के टिप्स

8. बच्चे को दूध पिलाते समय उसे ऐसे बैठाएँ जिससे न बच्चे को और न आपको असुविधा हो। बच्चे के सिर के नीचे हथेली का सहारा दें।

9. शिशु को स्तनपान करते समय माँ को शांत और स्नेह से परिपूर्ण होना चाहिए और उसे दूध पिलाते समय न गुस्सा हो और न ही जल्दबाज़ी करें क्योंकि इन सब नकारात्मक चीज़ों का बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

10. माँ का दूध पीते समय बच्चे के पेट में हवा चली जाती है, इसलिए दूध पिलाने के बाद बच्चे का सिर माँ अपने कन्धे से टिका कर उसकी पीठ को हल्का हल्का थपथपाएं, उसे डकार आ जाने के बाद ही बिस्तर पर लिटाएं।

11. अगर माँ को दूध कम बन रहा हो तो वो अपने आहार में हरी साग सब्ज़ियों का सेवन बढ़ाएं। ख़ूब दूध पिएं, दालें खाएं और खनिज पदार्थों की पूर्ति करने वाले टॉनिक आदि लें। पानी भी ख़ूब पिएं।

12. आहार में चाय या कॉफ़ी की जगह रोज़ कम से कम 1 लीटर दूध पिएं। सुबह 2 गिलास में नींबू का रस मिलाकर पानी पिएं।

इस तरह से माँ पोषक तत्वों से परिपूर्ण आहार को ग्रहण करें ताकि माँ के शरीर में उचित रूप से दूध का निर्माण हो और बच्चा उसे ग्रहण कर सकें क्योंकि एक बच्चे के विकास के लिए माँ का दूध बहुत ज़रूरी होता है। कहा भी गया है, जब माँ रहे स्वस्थ तो बच्चा हष्ट और पुष्ट रहें।

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