नवजात शिशु में निमोनिया की पहचान

निमोनिया किसी को भी हो सकता है मगर माता-पिता को अपने नवजात शिशु में निमोनिया की पहचान करना आना ज़रूरी होता है। अगर दो महीने के नवजात शिशु की साँसें एक मिनट में 60 से ज़्यादा बार चल रही हैं तो सचेत हो जायें। यह निमोनिया भी हो सकता है। राजधानी के डफ़रिन अस्पताल में आए दिन ऐसे मामले आते हैं, जिसमें नवजात की साँसें इससे ज़्यादा चलने के बावजूद परिवार वाले अस्पताल आने में देर करते हैं और नतीजा यह होता है कि बच्चे की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को मशक्कत करनी पड़ती है।

नवजात को निमोनिया का ख़तरा

शिशु में निमोनिया की पहचानसतर्क रहने की ज़रूरत

अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ० सलमान ने बताया कि शिशु में निमोनिया का ख़तरा दो महीने से ज़्यादा उम्र के बाद भी होता है। लिहाजा दो महीने से एक साल तक के बच्चे की साँसें हर मिनट 50 से ज़्यादा चल रही हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखायें। अगर बच्चा एक साल से पाँच साल के बीच का है और उसकी साँसें हर मिनट में 40 से ज़्यादा बार चल रही हैं तो आपको सावधान हो जाने की ज़रूरत है।
नवजात शिशु को निमोनिया के ख़तरे से बचाने के लिए ज़रूरी है कि उसको होने वाली दिक्कतों की समय रहते पहचान हो सके। इसके लिए डफ़रिन अस्पताल में प्रसूताओं और उनके परिवार जनों के लिए एक जागरूकता शिविर भी लगाया गया। इसमें बाल रोग विशेषज्ञ डॉ० सलमान ने बताया कि नवजात बच्चे का बीमार होना, बड़े बच्चों व वयस्कों के बीमार होने से ज़्यादा ख़तरनाक होता है, क्योंकि नवजात बच्चों का इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) बड़ों की तुलना में काफ़ी कमज़ोर होता है। जन्म के बाद बच्चा एक ऐसे वातारवरण में आ जाता है जहाँ चारों तरफ हर किस्म के कीटाणु, बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि होते हैं।

शिशु में निमोनिया के लक्षण

• नाक का नुकीला हिस्सा, होंठ या हाथ पैर की उँगलियों का नीला दिखना।
• नवजात का दूध पीना छोड़ देना।
• बच्चा अचानक सुस्त हो जाए।
• बच्चे के शौच, पेशाब या नाल से ख़ून का रिसाव।
• तेज बुखार हो और तापमान न गिरे।
• शरीर ठंडा पड़े या बच्चे को झटके आ रहे हों।
• पेट फूल गया हो और उल्टियाँ आ रही हों।
• तलवे, हथेली पीले हो गए हों।

इन बातों पर ध्यान देना ज़रूरी

• बच्चे का कमरा साफ़-सुथरा होना चाहिए।
• माँ का दूध और सही समय पर टीकाकरण ज़रूर करवायें।
• बच्चों को बार-बार न छूएँ और बाहर से आते ही बिना हाथ धुले बच्चे को न उठाने दें।
• बीमार या संक्रमित व्यक्ति से नवजात को दूर रखें।

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