तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही होगा। कीटाणु नाशक के रूप में इसकी क्षमता अद्भुत है। जिस घर में तुलसी का पौधा हो वहां जीवाणु पनपने नहीं पाते। इसके पत्ते, तने व जड़ रासयनिक द्रव्यों व औषधीय गुणों के भंडार हैं। यह रक्त विकरों का शमन कर रक्त का शोधन करती है। गर्म व उत्तेज़क के गुण इसमें विद्यमान होते हैं। चर्म रोग, तपेदिक, मलेरिया व प्लेग के कीटाणुओं को नष्ट करने की इसकी क्षमता बेजोड़ है। विभिन्न प्रकार के विष का शमन कर काया को निरोगी बनाती है तथा बल प्रदान करती है। अग्निदीपक के गुण इसमें मौजूद होते हैं। तुलसी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करती है। आम तौर पर घरों में रामा व श्यामा नामक तुलसी पाई जाती है। रामा के पत्ते हरे व श्यामा के पत्ते काले होते हैं। दोनों में समान औषधीय गुण विद्यमान होते हैं। तुलसी के रस में थाइमोल होता जो त्वचा रोगों को लिए काफ़ी लाभदायक है। इसके पत्तों के नियमित सेवन से टीबी, दमा आदि रोग कभी होते ही नहीं। इसके पत्तों का नियमित एक वर्ष तक सेवन करने से सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा मिल जाता है।

सफेद दाग और तुलसी
तुलसी के हरे पौधे को जड़ सहित उखाड़ लें। इसे धुल लें और पीसकर इसका रस निकाल लें। आधा लीटर तुलसी का रस व आधा लीटर तेल मिलाकर हल्की आंच पर पकाएं। जब सिर्फ तेल ही बचे तो आग से उतार लें और ठंडा होने पर छानकर उसे शीशे की बोतल में रख लें। लीजिए बन गया तुलसी का तेल। इसे सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग से मुक्ति मिलती है। हालांकि इसमें समय ज़्यादा लगता है, इसलिए जल्दीबाजी न करें। नियमित इसे सफेद दाग पर लगाते रहें। एक दिन सफेद दाग विदा हो जाएगा।
कुष्ठरोग में तुलसी के लाभ
Leprosy & Ayurvedic Tulsi
– तुलसी का पौधा उखाड़ लें और जड़ को अलग कर पीस लें। उसमें सोंठ मिलाकर प्रात:काल नियमित जल के साथ लेने कुष्ठ रोग ख़त्म होने लगता है।
– कुष्ठ रोग के निवारण के लिए नियमित तुलसी की पत्तियां खायें और तुलसी का रस प्रभावित स्थानों लगाते रहें तथा पियें भी। कुछ ही दिनों में लाभ दिखने लगेगा।
अन्य त्वचा रोगों में तुलसी
Skin Care with Tulsi
– तुलसी की पत्तियों का रस व नींबू का रस मिलाकर रात को चेहरे पर लगाने से कुछ ही दिनों में झाइयाँ ख़त्म हो जाती हैं।
फुंसिया गायब हो जाती हैं और चेहरे पर चमक आ जाती है।
– दाद, खाज, खुजली में तुलसी के पौधे के नीचे की मिट्टी लगाने से आराम मिलता है। तुलसी पंचांग को नींबू रस में मिलाकर लगाने या केवल तुलसी का रस लगाने से भी दाद, खाज, खुजली दूर हो जाती है।
– ल्यूकोडर्मा में तुलसी के पत्ते काफ़ी कारगर साबित हुए हैं।
– शरीर में फोड़े निकल रहे हों तो एक माशा तुलसी का बीज व दो गुलाब के फूल को पीसकर पी लें, फोड़े निकलना बंद हो जाएंगे।
– तुलसी व संतरे का रस मिलाकर रात को चेहरे पर लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।

सर्दी, जुखाम, खांसी में तुलसी के फ़ायदे
Tulsi Benefits for Cough & Cold
– खांसी आ रही है या गला बैठ गया है तो तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंककर नमक के साथ खाएं। आराम मिलेगा।
– खांसी भगाने के लिए 4 भुनी लौंग के साथ तुलसी के पत्ते खाए जाते हैं।
– खांसी व नज़ले में तुलसी के कोमल पत्तों को चबाने से आराम मिलता है।
– तुलसी, काली मिर्च व अदरक की चाय पीने से खांसी, जुखाम में आराम मिलता है।
– तुलसी की सूखी चार पत्तियां चार ग्राम मिश्री के साथ खाने से फेफड़ों की खरखराहट व खांसी दूर भाग जाती है।
– यदि तेज़ खांसी आ रही हो तो श्यामा तुलसी के रस में डेढ़ चम्मच काली मिर्च लेने से आराम मिलता है।
– तुलसी पंचांग (फल, तना, पत्ता, बीज व जड़) तथा अदरक बराबर-बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाएं। यह क्वाथ सुबह, दोपहर, शाम लेने से जुखाम ख़त्म हो जाता है।
– फ़्लू, खांसी, सर्दी-जुखाम के लिए अदरक, तुलसी, काली मिर्च व दालचीनी मिलाकर एक गिलास पानी में उबाल लें, जब पानी आधा रह जाए तो उसे आग से उतार लें। इसमें नमक व चीनी मिलाकर पी जाएं।
– ब्रोंकाइटिस , दमा , कफ व सर्दी में मधु , अदरक व तुलसी का काढ़ा लाभ पहुंचाता है।
– खांसी व इंफ़्लूएंजा में नमक, लौंग व तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से राहत मिलती है।
-खांसी दूर भगाने के लिए एक-एक चम्मच तुलसी व अदरक का रस, एक-एक चम्मच मधु व मुलेठी का चूर्ण मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
– बलगम बाहर निकालने के लिए एक-एक छोटा चम्मच तुलसी के पत्तों का रस, मधु, प्याज व अदरक का रस मिलाकर सुबह, दोपहर, शाम लेने से बलगम बाहर हो जाएगा।
– तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाएं और उसमें सेंधा नमक मिलाकर पीने से फ़्लू रोग ठीक होता है।
ज्वर रोगों में तुलसी अनमोल
Tulsi Benefits for Fever & Flu
– विषम ज्वर में तुलसी के पत्तों का क्वाथ 3-3 घंटे पर लेने से आराम मिलता है। क्वाथ बनाना संभव न हो तो तीन ग्राम तुलसी का रस मधु के साथ तीन-तीन घंटे पर लेने से लाभ मिलता है।
– ज्वर हल्का हो और साथ में कब्ज़ की भी शिकायत हो तो श्यामा तुलसी व गाय के घी दस-दस ग्राम लें। उसे गुनगुना करके दिन में दो-तीन बार में पी जाएं।
– ज्वर में तुलसी की जड़ का काढ़ा पीने से भी राहत मिलती है।
– तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने या उसका एक-दो ग्राम रस पीने से कभी बुखार नहीं होता है।
– बीस तुलसी का पत्ता व दस काली मिर्च का क्वाथ बनाकर पीने से किसी प्रकार का बुखार तुरंत उतर जाता है।
– तुलसी के दस पत्तों के साथ 1 माशा जावित्री पानी के साथ पीसकर मधु के साथ चाटने से टायफ़ाइड बुखार में आराम मिलता है। इसका सेवन दिन में तीन-चार बार करना चाहिए।
– किसी भी प्रकार के बुखार में तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, अदरक पीसकर एक ग्लास पानी में उबालें। पानी जब आधा रह जाए तो आग से उतार लें और उसमें नमक व चीनी मिलाकर पी जाएं और चादर ओढ़कर सो जाएं।
– बार-बार बुखार आ रहा है तो तुलसी व सोंठ पीसकर पीने से लाभ मिलता है।
– बुखार के साथ सर्दी भी हो तो तुलसी, अदरक, मुलैठी सबको पीसकर मधु के साथ लें।
– मलेरिया व मियादी बुखार में तुलसी की 11 पत्तियों के साथ 4 काली मिर्च पीसकर लेने से बुखार चला जाता है।
घाव व तुलसी
Wounds & Herbal Tulsi
– तुलसी के हरे पत्ते पीसकर घाव, चोट, फोड़ा-फुंसी पर लगाने से मवाद बंद हो जाता है और घाव ठीक होने लगते हैं।
– फोड़े-फुंसी के लिए नारियल का तेल व तुलसी का रस समान मात्रा में लेकर धीमी आंच पर पकाएं, जब सिर्फ तेल ही बचे तो उतार कर ठंडा कर लें। इसे लगाने से फोड़े-फुंसी ख़त्म हो जाते हैं।
– तुलसी के बीजों का चूर्ण गर्म करके घाव में भर देने से घाव ठीक हो जाता है। सूखे पत्तों का चूर्ण भरने से घाव के कीड़े मर जाते हैं।
– तुलसी की पत्तियों को तोड़कर छाया में सुखा लें और उसमें बारीक पिसी हुई फिटकरी मिला लें। कपड़े से छानकर ताजे घाव में भरने से घाव जल्दी ठीक होता है।
– तुलसी व कपूर का चूर्ण मिलाकर घाव में भरने से शीघ्र आराम मिलता है।
– चोट गहरी है और ख़ून बह रहा है तो तुलसी के बीस पत्ते पीसकर मधु के साथ चाटने से तुरंत आराम मिलता है।

ज़हरीले जीवों के विष व तुलसी
Combat Poisonous Bites with Tulsi
यदि सांप , ततैया , बिच्छू काट ले तो उस स्थान पर तुरंत तुलसी का रस लगाना चाहिए।
– शरीर पर तुलसी का रस लगाकर सोएं तो मच्छर नहीं काटेंगे।
– तुलसी बीज खाने से विष असरहीन हो जाता है।
– तुलसी पत्र व अफीम कूटकर लगाने से चूहे का विष उतर जाता है।
– तुलसी का रस पीने से पेट में गया विष असरहीन हो जाता है।
– सर्पदंत से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत तुलसी का सेवन कराना चाहिए। सर्पदंश के स्थान पर तुलसी की जड़ को मक्खन में घिसकर तुरंत लेप लगा देना चाहिए। जैसे-जैसे वह विष खींचेगा लेप का रंग काला होता जाएगा। काला होने पर उसे हटाकर पुन: दूसरा लेप लगाना चाहिए।
– यदि बिच्छू ने काट लिया है तो तुलसी का रस सिर से पैर की तरफ़ मलने व तुलसी के पत्तों को चार गुना जल में घोंटकर पांच-पांच मिनट पर पिलाने से विष उतर जाता है।
अन्य रोगों में तुलसी
Tulsi Benefits in other Diseases
– तुलसी की जड़ चूसने से सांस व गले की बीमारी दूर होती है।
– काला नमक के साथ तुलसी पत्र चबाने से श्वास रोग में आराम मिलता है।
– हिचकी, अस्थमा व श्वास रोग में तुलसी के 10 ग्राम रस में 5 ग्राम मधु मिलाकर लेने से लाभ होता है।
– घावों को शीघ्र भरने व उसका संक्रमण दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों के क्वाथ से धोया जाता है। घावों पर क्वाथ लगाने शीघ्र आराम मिलता है।
– रक्त दोष में तुलसी व गिलोय तीन-माशा लेकर उसका क्वाथ बनाकर सुबह-शाम मिश्री के साथ पीने से लाभ मिलता है।
– तुलसी के पत्ते को पीसकर चेहरे पर लगाने से चमक बढ़ती है।
– उल्टी होने की स्थिति में तुलसी का रस मधु के साथ प्रात:काल दिया जाता है।
– तुलसी के पत्तों का फांट पाचन शक्ति बढ़ाने, अपच व बच्चों में यकृत प्लीहा आदि के लिए पिलाया जाता है।
– छोटी इलायची, अदरक व तुलसी के पत्तों का रस पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।
– दस्त की अवस्था में 10 तुलसी के पत्तों के साथ 1 ग्राम भुने जीरे को मधु के साथ चटाने पर लाभ मिलता है।
– आंव (पेचिस) के लिए तुलसी के पांच ग्राम बीज मिश्री के शरबत के साथ पिलाया जाता है।
– तुलसी के पत्तों को पानी में उबाल कर चाय की तरह पीने से आंव ठीक हो जाता है।
– बवासीर में तुलसी पत्तों का रस पीने तथा प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
– बच्चों के संक्रामक अतिसार रोगों में तुलसी के बीज पीसकर गाय के दूध में मिलाकर पिलाया जाता है।
– तुलसी के पत्तों के फांट का सेवन करने से कृमिजन्य रोग शांत होते हैं।
– पेट दर्द में तुलसी के पत्ते, मिश्री के साथ लेने से आराम मिलता है। संग्रहणी में तुलसी बीजों का चूर्ण सुबह-शाम मिश्री के साथ दिया जाता है।
– सिर दर्द में सुबह-शाम एक चम्म्च मधु के साथ एक चौथाई चम्मच तुलसी का रस लेने से आराम मिलता है। तुलसी का काढ़ा पीने से भी सिर के दर्द में आराम मिलता है।
– बुद्धि विकास के लिए तुलसी के पांच पत्ते रोज प्रात: जल के साथ पीना चाहिए।
– तेज़ सिरदर्द में तुलसी पत्ते के रस में कपूर मिलाकर सिर पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
– आंखों का दर्द, रतौंधी, आंखों में जलन व दृष्टि में वृद्धि के लिए तुलसी रामबाण इलाज है। श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन व लालिमा चली जाती है। इस रस को नियमित आंख में काजल की तरह लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।
– कान के दर्द में तुलसी का रस गर्म करके डालने से लाभ होता है। यदि उसमें कपूर मिलाकर गर्म कर लिया जाए तो दर्द में तुरंत आराम मिलता है। साथ ही कम सुनने, कान बहने आदि की समस्या ठीक हो जाती है।
– तुलसी की पत्तियों को मलने से कनपटी का दर्द ठीक होता है।
– रोज़ाना तुलसी की कुछ हरी पत्तियों को चबाने से मुंह का अल्सर व संक्रमण दूर हो जाता है।
– तुलसी की सूखी पत्तियों का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर दांत पर मलने से सांसों की दुर्गंध समाप्त हो जाती है। साथ ही पायरिया में भी लाभ होता है।
– तुलसी के क्वाथ से कुल्ला करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है। तुलसी के जड़ के क्वाथ से कुल्ला करने पर दांत दर्द दूर होता है।
– गठिया में तुलसी के जड़, पत्ती, डंठल, फल, व बीज के चूर्ण में पुराना गुड़ मिलाकर फेंट लें और 12-12 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह शाम गाय या बकरी के दूध से 1-12 गोली खाने से आराम मिलता है।
– सियाटिका रोग में तुलसी के पत्तों का क्वाथ लाभकारी है। पांच-पांच ग्राम तुलसी व अदरक का रस नियमित सेवन करने से हड्डी में गैस की समस्या दूर हो जाती है।
– तुलसी का रस पीने से जोड़ों का दर्द चला जाता है और टूटी हड्डियां जल्दी जुड़ती हैं।
– डिसयूरिया, पेशाब में जलन, परेशानी आदि के लिए रात को डेढ़ सौ ग्राम पानी में 6 ग्राम तुलसी का बीज भिगो दें। सुबह उसे पी जाएं।
– तुलसी का रस मिश्री के साथ दिन में दो बार पीने से पेशाब की जलन में आराम मिलता है।
– तुलसी किडनी को मज़बूत करती है। तुलसी की पत्तियां उबालकर शहद के साथ पीने से किडनी की पथरी मूत्र मार्ग से बाहर आ जाती है। इसका प्रयोग नियमित 6 माह करना चाहिए।
– धातु क्षीणता में एक माशा तुलसी सुबह-शाम गाय के दूध से लेने पर आराम मिलता है।
– तुलसी बीज या जड़ का चूर्ण व पुराना गुड़ बराबर-बराबर मात्रा में डेढ़ से तीन ग्राम तक लेने से नपुंशकता समाप्त होती है।
– तुलसी का काढ़ा मासिक धर्म को ठीक करता है। काढ़ा बनाने के लिए तुलसी का बीज एक गिलास पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो आग से उतार लें। काढ़ा तैयार है।
– एक चम्मच तुलसी का रस लेने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले कमर दर्द में आराम मिलता है।
– प्रदर रोग में दस ग्राम तुलसी का रस चावल के माड़ के साथ सात दिन पीने से आराम मिलता है। इस दौरान दूध-भात का सेवन ज्यादा लाभप्रद होता है।
– प्रदर रोग के लिए तुलसी का बीज रात को पानी में भिगो दें। सुबह उसे मसलकर पानी छान लें और पी जाएं।
– कैंसर में 25-30 तुलसी के पत्ते पीसकर रोज पिलाने से रोग बढ़ता नहीं है।
– शीत ऋतु में तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी मिलाकर पीस लें। आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर यह औषधि लेने सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं।
– तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः ख़ाली पेट लेने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो जाता है। दिल की बीमारी के लिए उत्तम औषधि है। साथ ही ख़ून में कोलेस्ट्राल की मात्रा भी नियंत्रित होती है।
– बेहोश व्यक्ति की नाक में तुलसी रस में थोड़ा नमक मिलाकर डालने से तुरंत होश आ जाता है।
– तुलसी की पत्तियां चबाने व इसके रस को शरीर में लगाने से पागलपन ठीक होता है।
– तुलसी की माला टांसिल की रोकथाम करती है।
– भोजन में तुलसी पत्र डालने से भोजन शुद्ध हो जाता है। भोजन यदि बन चुका है और उसके बाद सूर्य या चंद्र ग्रहण है तो भोजन में तुलसी दल डाल दें, भोजन प्रभावित नहीं होगा।
– तुलसी के नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन बढ़ता है।
– तुलसी की सेवा करने से चर्म रोग नहीं होते।
– लकवा मारने की अवस्था में तुलसी के पत्ते में थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर पीस लें और इसे दही में मिलाकर प्रभावित अंगों पर लगाएं, लाभ मिलेगा। तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर प्रभावित अंगों पर भांप देने पर भी आराम मिलता है।
बरतें सावधानी
Precaution while using Tulsi
– तुलसी को दही या मट्ठे के साथ लेने से इसकी गर्मी कुछ कम हो जाती है।
– तुलसी पत्तों को अंधेरे में तोड़ने पर शरीर विकारग्रस्त हो सकता है, अंधेरे में तुलसी की विद्युत तरंगे तीव्र होती हैं।
– तुलसी के सेवन के बाद दूध पीने से चर्म रोग हो सकता है।
– तुलसी को गर्म करके शहद के साथ न लें, यह विष तुल्य हो जाता है।
– दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार व खट्टे फलों के साथ तुलसी का सेवन हानिकारक है।
– तुलसी के पत्तों को चबाकर खाने के तुरंत बाद कुल्ला कर लेना चाहिए।
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