उच्च रक्तचाप को करें नियंत्रित

उच्च रक्तचाप यानी उच्‍च रक्‍तचाप आजकल एक आम समस्‍या हो गई है। हर तीसरा-चौथा व्‍यक्ति को हाई बीपी का इलाज करवा रहा है। एलोपैथिक चिकित्‍सा पद्धति में इसे नियंत्रित रखने के लिए आजीवन दवा खानी पड़ती है। यह रोग इतना ख़तरनाक है कि रोगी को कभी भी अचेतन कर सकता है। एक सीमा से अधिक बढ़ जाने पर जान को ख़तरा हो सकता है। इसलिए मरीज़ की मजबूरी होती है कि जब तक वह जिए, दवा खाता रहे। लेकिन आयुर्वेद व घरेलू नुस्‍खे इसे जड़ से समाप्‍त कर आजीवन दवा खाने की झंझट से मुक्ति दिला देते हैं।

आज हम ऐसे ही कुछ घरेलू नुस्‍खों की चर्चा करेंगे, जिनके कुछ दिनों के नियमित प्रयोग से उच्च रक्तचाप का घरेलू इलाज किया जाता है। यह प्रयोग न तो ख़र्चीला है और न ही इससे किसी साइड इफ़ेक्‍ट का ख़तरा है। बिल्‍कुल घरेलू उपाय और जिसे हम नियमित या कभी-कभार उपयोग भी करते हैं, लेकिन उसे एक निश्चित मात्रा और निश्चित समय पर लेकर हम उससे औषधि का कार्य ले सकते हैं।

उच्च रक्तचाप नियंत्रण
Control high blood pressure

उच्च रक्तचाप के लक्षण

– सिर में तेज़ दर्द होता है
– थकावट महसूस होना
– पैरों में दर्द
– चिड़ाचिड़ापन
– मिचली आना

उच्च रक्तचाप के कारण

– मानसिक तनाव
– नमक का अधिक सेवन
– हार्मोंस में बदलाव
– मोटापा
– अव्यवस्थित जीवनशैली

उच्च रक्तचाप का घरेलू इलाज

किशमिश और गुलाब जल

प्रकृति ने हमें अनेक बहुमूल्‍य उपहार भेंट किया है। इसी में से एक है किशमिश व गुलाब जल। इन दोनों का संयोग उच्च रक्तचाप को विदा कर देता है और जीवनदायिनी शक्ति प्रदान करता है।

कैसे करें प्रयोग

यह प्रयोग 21 दिन का है। पहले दिन रात को गुलाब जल में किशमिश का एक दाना भिगो दें। सुबह उसे ख़ूब चबा-चबा कर खा जाएं। इसी प्रकार दूसरे दिन दो दाना, तीसरे दिन तीन दाना और चौथे दिन चार दाना भिगोना है। यह क्रम 21 दिन तक चलेगा, रोज़ एक-एक दाना बढ़ाते जाना है। 21वें दिन 21 दाना भिगोना है और सुबह उसे चब-चबाकर खा जाना है। 21 दिन बाद इस प्रयोग को 10-15 दिन के लिए बंद कर दें। पुन: यही प्रयोग एक दाने से लेकर 21 दाने तक यानी 21 दिन तक शुरू करें। इतने में ही उच्च रक्तचाप चला जाएगा।

घर पर बनाएं गुलाब

इस औषधि में प्रयोग करने के लिए यदि गुलाब जल बाज़ार से न लेकर घर में बना लें तो ज़्यादा उत्‍तम है। इसे बनाने का तरीक़ा बिल्‍कुल सरल है। गुलाब की पंखुड़ियां लें और पानी में डालकर उबालें तथा उसके भाप को जमा करते जाएं। यह भाप ही गुलाब जल है।

इसे भी करें

– सुबह-शाम हृदयामृत वटी की दो-दो गोली लें।

– हृदय रोगों के लिए लौकी का जूस बहुत ही ज़्यादा फ़ायदेमंद है। दो सौ मिलीग्राम लौकी का जूस लें और उसमें पुदीना व तुलसी के सात-सात पत्‍ते व दो-तीन काली मिर्च के दाने मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।

– भोजन करने के बाद चार-चार चम्‍मच अर्जुनारिस्ट लिया जा सकता है।

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