साँपों का प्रजनन समय, सर्पदंश से मौत और इलाज

भारत में साँपों का प्रजनन समय बारिश में होता है। इसी के साँप काटने की ख़बरें भी आने लगती हैं। जिसे सर्पदंश (अंग्रेजी: Snakebite) कहते हैं। पूरे बरसात के मौसम में आप संबंधित ख़बरें पढ़ते और सुनते रहेंगे।

साँपों का प्रजनन समय में सर्पदंश

हर साल साँपों का प्रजनन काल आते ही सर्पदंश के कारण हज़ारों लोगों की असमय मौत होती है। ऐसा तब भी होता है जब सभी प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर सर्पदंश की अचूक औषधि एंटीवेनम (अंग्रेजी: Anti-venom) रखना अनिवार्य है। साँप के काटने पर लोग झाड़ फूँक पर बहुत विश्वास दिखाते हैं। जिसके चक्कर में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो जाती है। सरकारी अस्पताल में इसका उपचार होते हुए भी लोग मर रहे हैं।
साँपों का प्रजनन काल और सर्पदंश से मौतें

सर्पदंश के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएँ

अधिकांश सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के इलाज के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं। इसलिए अस्पताल वाले भी अपने हाथ खड़े कर देते हैं। स्वास्थ्य विभाग साँपों का प्रजनन काल आते ही सर्पदंश के इलाज की जानकारी देने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित करता है। जिसमें डॉक्टरों को सर्पदंश का त्वरित और समुचित इलाज करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। यह कार्यक्रम क्रमागत हर साल रखा जाता है।
इसे भी पढ़िएसाँप के विष का असर कम करने के घरेलू उपाय

एंटीवेनम इंजेक्शन

इस प्रशिक्षण में ज़हरीले और बिना ज़हर वाले साँपों के दंश की पहचान की जानकारी और एंटीवेनम इंजेक्शन से संबंधित जानकारी दी जाती है। कौन सा साँप कितना ज़हरीला है और उसके काटने पर कितनी मात्रा में इंजेक्शन देना है। इसके साथ एनफ़ाइलेक्टिक दिया जाना चाहिए अथवा नहीं।

भारतीय साँप और उनका ज़हर

भारत में कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और स्केल्ड वाइपर ये चार विषैले साँप पाये जाते हैं। इसमें कोबरा और करैत साँप का ज़हर न्यूरोटॉक्सिक (अंग्रेजी: Neurotoxic) होता है जो स्नायुतंत्र को प्रभावित करता है। इसके प्रभाव से शरीर अपंग सा हो जाता है, धुंधला दिखने लगता है और फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं। जबकि वाइपर साँप का विष हीमोटॉक्सिक (अंग्रेजी: Hemotoxic) होता है, जिसका मतलब है कि वह रक्त संचार को प्रभावित करता है।
इसे भी पढ़िएसाँप का विष मनुष्यों की जान कैसे लेता है

इमरजेंसी सेवा

कोबरा और करैत साँप के काटने से उत्तर प्रदेश में अधिक मौतें होती है। लेकिन सोनभद्र ज़िले के कुछ गाँव में रसेल वाइपर साँप (अंग्रेजी: Russell viper‌) भी देखे गये हैं। इन सभी साँपों के काटने पर एंटीवेनम इंजेक्शन काम करता है, जिससे जान बचाई जा सकती है। जानने योग्य बात है कि साँपों के काटने के लिए एंटीवेनम साँपों के ज़हर से तैयार किया जाता है। लेकिन बार बार इस इंजेक्शन को लगवाने पर इसका असर नहीं रहता है। इसलिए सर्पदंश से सुरक्षा ही सर्वोत्तम है।
साँप काटने की घटनाएं अक्सर अधेरी जगहों पर होती हैं। अधिकांश मामले गाँवों से आते हैं। जब किसी को साँप काटे तो झाड़ फूँक कराने की बजाय अस्पताल से इमरजेंसी सेवा का लाभ लें। उत्तर प्रदेश में इस सेवा के लिए 108 नम्बर डायल करें
एक जागरुक नागरिक को चाहिए कि वह प्राथमिक अस्पताल और ज़िला चिकित्सालय में एंटीवेनम इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करे। इस तरह एक अमूल्य जीवन को बचाने में मदद कर सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *