जिस रूप में पूजें बस श्रद्धा से पूजे माँ को, देवी पूजन में एक ओर जहाँ श्रद्धा का महत्व है, वही दूसरी ओर सही ढंग से पूजन करना भी अनिवार्य है, क्योंकि सही ढंग से पूजा करने पर व्रत का पूर्ण फल मिलता है। इस नवरात्री पर देवी माँ की आराधना के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें और देवी माँ असीम अनुकम्पा और आशीर्वाद प्राप्त करें।
* माँ दुर्गा की पूजा में दूब, तुलसी और आंवला का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दूब गणेश जी को अति प्रिय है। तुलसी और आंवला भगवान विष्णु को अति प्रिय है।
* माँ दुर्गा को लाल गुड़हल अति प्रिय है, परंतु आक और मदार के फूल माँ की पूजा में वर्जित है। लाल पुष्प, लाल चुनरी और नारियल माँ को अति प्रिय है।
* माँ को चढ़ाने वाले फूल ताज़े और सुगन्धित हों, यह कटे फटे या किसी भी प्रकार से दूषित न हों।
* घर माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्वच्छ या साफ़ सुथरा रखना चाहिए।
* कुछ लोग माँ की पूजा गीले कपड़े पहनकर करते हैं यह ग़लत है, देवी माँ की पूजा सूखे वस्त्र पहनकर ही करनी चाहिए।
* अक्सर महिलाएँ बाल खुले रखकर माँ की पूजा करती हैं ये गलत है, ऐसा नहीं करना चाहिए।
* नवरात्री में दुर्गा सप्तसती का पाठ अथवा अनुष्ठान के बीच में पुरुषों को बाल, ढाढ़ी या नाख़ून नहीं कटवाना चाहिए।
* माँ भगवती दुर्गा का आह्वान बिल्व पत्र, बिल्व शाखा या त्रिशूल पर ही किया जाता है।
* ध्यान रहे कि सदैव हमें अपनों से बड़ो का मान सम्मान करना चाहिए ताकि देवी माँ की कृपा सदैव हम पर बनी रहे।
* नवरात्री में कलश स्थापना एवम् अभिषेक केवल दिन के समय ही करना सही है।
नवरात्रि में नौ दिवसों का विशेष फल है –
* नवरात्री में पहला व्रत कुशलता प्राप्ति
* दूसरा व्रत प्रसन्नता
* तीसरा व्रत संतान
* चौथा मोक्ष प्राप्ति
* पांचवा व्रत लक्ष्मी प्राप्ति
* छठा व्रत स्वस्थ प्राप्ति
* सातवा मनोकामना प्राप्ति
* आठवा पढ़ाई में सफलता
* नवा पदोन्नति और प्रगति दिलाता है
आशा है आपकी शरद नवरात्रि शुभ होगी और आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।