पेट में सामान्य दर्द हो तो हाल बेहाल हो जाता है, पेप्टिक अल्सर का दर्द (अंग्रेजी: Peptic Ulcer Disease; Stomach Ulcer) हो तो जिसे नहीं हुआ है वह सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकता है कि दर्द कितना भयंकर होगा। इसमें दर्द निवारक दवाएँ खाकर व्यक्ति अपना मर्ज़ थोड़ा और बढ़ा लेता है। दर्द निवारक दवाएँ जब तक असर करती हैं तो दर्द ग़ायब या कम रहता है लेकिन असर समाप्त होते ही दर्द अपने मूल स्वरूप में वापस लौट आता है और मरीज़ की हालत नाज़ुक हो जाती है। इस अवस्था में वह न तो कुछ खा पाता है और न ही आराम से सो पाता है। भयंकर जलन होती है। यदि कुछ खा लिया तो पेट में जलन व दर्द बहुत तेज़ हो जाता है। आमतौर पर इस अवस्था में मरीज़ भूख लगने के बाद भी कुछ खाना नहीं चाहता।
पेप्टिक अल्सर
एक महिला को संयोग से पेप्टिक अल्सर यानि पेट के अल्सर की बीमारी हो गई थी। उन्होंने लंबे समय तक एलोपैथ का इलाज कराया, लेकिन जब तक दवा का असर रहता था तो आराम रहता था लेकिन असर समाप्त होते ही समस्या जस की तस हो जाती थी। अब वह मृत्यु के भय से गुज़र रही थीं। उन्हें लगने लगा था कि अब उनकी ज़िंदगी नाममात्र की ही बची है, जब तक चल रही हैं तब तक चल रही हैं।
एलोपैथ में समस्या का समाधान होते न देख उन्होंने एक होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क किया। उन्होंने तत्काल दर्द वाली दवा बंद कर दी और अपनी दवा शुरू की। हालांकि वह दर्द वाली दवा बंद करने को राजी नहीं थी, क्योंकि असहनीय पीड़ा से उन्हें गुज़रना पड़ता था, यही वह दवा थी जो उन्हें थोड़ी राहत देती थी। होम्योपैथिक चिकित्सक के बहुत विश्वास दिलाने पर उन्होंने स्वीकार किया आज कम से कम एक दिन वह दर्द की दवा नहीं खाएंगी।
होम्योपैथ में इलाज
सुबह का समय था, चिकित्सक ने उन्हें ‘आर्सेनिकम एल्बम 30‘ दिया और कहा कि फिर शाम को बताऊँगा, साथ ही उन्होंने हिदायत भी दी कि दर्द की दवा बिल्कुल नहीं खाएंगी। खैर दवा खाने के कुछ देर बाद ही उनके पेट की जलन व दर्द कम हो गया था और दोपहर होते-होते पूरी तरह ग़ायब था। शाम को वह पूरी तरह ठीक नज़र आ रही थीं। शाम को चिकित्सक ने उनकी स्थिति देखी तो उन्हें आत्मसंतोष हुआ। उन्होंने एसिड नाइट्रिक 1000, एपिस मेल 30, चायना 30, काली म्यूर 30 व कार्बोवेज आदि दवाइयाँ दीं। इससे वह पूरी तरह ठीक हो गईं और फिर दुबारा उन्हें इस समस्या से नहीं रूबरू होना पड़ा। अब वे मनपसंद चीज़ें खा सकती थीं और आराम से अपने घर का काम कर सकती थीं। होम्योपैथ से उन्हें तो राहत मिली ही, उनका परिवार भी जो उन्हें लेकर परेशान था, उसकी भी परेशानी चली गई थी।