टॉन्सिल का उपचार: टॉन्सिलाइटिस _ Tonsillitis गले की एक बीमारी है, जो खाने में आयोडीन की कमी से होती है। हमारे गले में 2 गांठें होती हैं और जब इन गांठों में से कोई फूलकर कर लाल हो जाती है तो गले के दोनों ओर सूजन आ जाती है और दर्द भी होता है। दर्द तेज़ हो तो खाना खाने, पानी पीने और बोलने में मुश्किल होती है। ये समस्या ज़्यादातर छोटे बच्चों में देखने को मिलती है। टॉन्सिल की परेशानी बढ़ने लगे तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं। इस बीमारी का इलाज प्राकृतिक और आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा भी किया जाता है। आइए टांसिल के घरेलू उपचार जानते हैं।
टॉन्सिल होने के कारण
टॉन्सिलाइटिस गले में संक्रमण होने के कारण होता है। हल्का फुल्का असर हो तो इलाज में कम समय लगता है, लेकिन इंफ़ेक्शन अधिक हो तो टाइम ज़्यादा लग सकता है। टॉन्सिल में दर्द होने के अग्रलिखित कारण होते हैं:
– गले में संक्रमण
– अधिक ठंडी चीज़ें खाना
– सर्दी जुकाम
– अधिक कोल्ड ड्रिंक पीना
– रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना
– ठंडी-गर्म चीज़ें साथ खाने से
– मिर्च मसालेदार चीज़ों का अधिक सेवन
टॉन्सिलाइटिस के लक्षण
– गले में ख़राश
– गले और कान के निचले हिस्से में दर्द
– दर्द के साथ बुखार और शारीरिक कमज़ोरी
टॉन्सिल में ऑपरेशन की सलाह
कई बार दवाइयाँ लेने के कुछ दिनों में ही टॉन्सिलाइटिस ठीक हो जाता है, पर ये बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं होती है। दवाइयों के कारण टांसिल दब जाते हैं, लेकिन फिर वापस आ जाते हैं। जब टॉन्सिल की शिक़ायत बार बार होने लगे तब डॉक्टर सलाह देते हैं, कि ऑपरेशन कर दिया जाए।
जब दवा का कोर्स पूरा करने से पहले ही मरीज़ को आराम मिल जाता है तो वह दवा लेना छोड़ देता है, इसलिए टॉन्सिल दुबारा होने के पूरे चांसेज होते हैं।
टॉन्सिल्स का एलोपैथिक ट्रीटमेंट
– वायरल की वजह से टॉन्सिल होने पर बुखार आता है जिसके लिए डॉक्टर पैरासीटामोल या क्रोसिन दवा देते हैं। गले के दर्द को कम करने के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा करने की सलाह देते हैं।
-जब बैक्टीरियल संक्रमण के कारण टॉन्सिलाइटिस होता है तब पैरासीटामोल के साथ साथ एंटीसेप्टिक दवाइयाँ भी दी जाती हैं।
टॉन्सिलाइटिस का घरेलू उपचार
– गरम पानी में बारीक़ पिसा लहसुन मिलाकर कुछ दिनों तक गरारा करें।
– हर्बल चाय टॉन्सिल ठीक करने के लिए प्राकृतिक औषधि है। इससे गले के जर्म और बैक्टीरिया मर जाते हैं। ग्रीन टी, लौंग और इलायची की चाय या दालचीनी के चाय ही पिएँ।
– गले के दर्द और टॉन्सिल को ठीक करने के लिए गाजर का जूस लगातार 3 महीने तक पिएँ। अन्नानास का जूस भी फ़ायदेमंद है।
– चाय पत्ती उबालकर गरारे करने से लाभ होता है, इससे दर्द के साथ टांसिल भी ठीक होते हैं।
– नमक और फिटकरी को गरम पानी में डालकर गरारे करने से टॉन्सिल ख़त्म हो जाते हैं।
– सिंघाड़े में आयोडीन की मात्रा अधिक होने से इससे टॉन्सिल का उपचार किया जाता है। साथ ही शरीर को ताक़त भी मिलती है।
– गन्ने के जूस में हरण चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
– हल्दी टॉन्सिल के घरेलू उपचार में उत्तम औषधि है। एक गिलास गरम पानी में आधा चम्मच नींबू निचोड़कर और 2 चम्मच शहद मिलकर दिन में 3 बार पिएँ। इससे गले की ख़राश और सूजन कम होती है।
– हल्दी वाला दूध पीने से भी टॉन्सिलाइटिस में आराम मिलता है।
– सोंठ वाला गरम पानी पीने से जल्दी आराम मिलता है।

टॉन्सिलाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में भी टॉन्सिल का उपचार मौजूद है। इनके प्रयोग से पहले आयुर्वेद विद से सलाह लें।
टॉन्सिलाइटिस की आयुर्वेदिक दवाएँ:
– कल्पतरुरस
– आरोग्यवर्धिनी
– महालक्ष्मी विलास रस
– त्रिभुवन कीर्ति रस
उपचार के समय परहेज़
– खाना खाने से पहले और बाद में हाथों को अच्छे से साफ़ करें।
– दही और मलाई वाले दूध का सेवन मत करें।
– कोल्ड ड्रिंक गले में संक्रमण पैदा करती है, इसको न पिएँ।
– छोटे बच्चों को भी ठंडी चीज़ें खाने पीने के लिए न दें।
– स्मोकिंग और शराब का सेवन न करें।
– जिन लोगों को सर्दी जुकाम हो, उनके सम्पर्क में न आएँ।
वैसे तो टॉन्सिलाइटिस का इंफ़ेक्शन कभी भी हो सकता है, लेकिन मौसम बदलते समय यानि मार्च और अक्टूबर के महीनों में इसके इंफ़ेक्शन का ख़तरा बढ़ जाता है। मौसम बदलते समय ठंडा, गरम और तीखा खाने से परहेज़ करें।
टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज
इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाए तो टॉन्सिल हो सकते हैं। होम्योपैथी में इम्यूनिटी बढ़ाकर बीमारी बढ़ने से पहले रोक दी जाती है। समस्या के समय और दूसरे कारणों को जानकर धीरे धीरे ठीक किया जाता है। बीमारी का जड़ से ख़त्म करने के लिए 6 महीने तक इलाज करना पड़ता है। टॉन्सिलाइटिस के लिए होम्योपैथिक दवाएँ:
– Belladonna 30
– Calcarea Carb 30
– Baryta Card 30
आप इनका इस्तेमाल ख़ुद से न करें। किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाकर ही दवा लें।