थॉयराइड रोग के इलाज के 10 उपाय

थॉयराइड रोग का इलाज: थॉयराइड एक ग्रंथि है, जो गले में होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। इससे थॉयरॉक्सिन हार्मोन का स्राव होता है। इस हार्मोन का स्राव असंतुलित होने पर पर बीमारी बन जाती है। थॉयरॉक्सिन कम होने पर मेटाबलिज़्म तेज़ हो जाता है और शरीर की संचित ऊर्जा जल्दी ख़त्म हो जाती है। और हार्मोन का स्राव धीमा होने से मेटाबलिज़्म धीमा हो जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा बनाना कम हो जाती है। फलस्वरूप मरीज़ को थकान और सुस्ती रहती है। इस आलेख में थॉयराइड रोग का उपचार जानेंगे।
थॉयराइड ग्रंथि बढ़ने से तरह तरह की बीमारियाँ घेर लेती हैं। यह मांसपेशियों, हड्डियों, कोलेस्ट्राल और दिल पर भी असर डालती है। बच्चों को यह बीमारी होने से उनका शरीर फैल जाता है, और उनकी लम्बाई बढ़नी रुक जाती है।
थॉयराइड दो तरह का होता है –
1. हाइपो थॉयराइड – इसमें थॉयरॉक्सिन कम बनता है।
2. हाइपर थॉयराइड – इसमें थॉयरॉक्सिन ज़्यादा बनता है।

थॉयराइड रोग
Thyroid gland man

थॉयराइड ग्रंथि का काम

थॉयराइड शरीर के हिस्सों को ठीक से काम करने में हेल्प करता है। यह आयोडीन के ज़रिए ज़रूरत के हार्मोन बनाकर शरीर के दूसरे भागों सप्लाई करता है। जब ये हार्मोन ज़रूरत से कम या ज़्यादा बनते हैं, तो थॉयराइड रोग के उपचार की आवश्यकता हो जाती है।
– बच्चों का शरीरिक और मानसिक विकास में मदद करती है।
– शरीर का तापमान नियंत्रित करती है।
– बॉडी के फ्री रेडिकल्स और टॉक्सिंस को बाहर निकालती है।

थॉयराइड रोग होने के कारण

– प्रोटीन पाउडर या कैप्सूल के रूप में सोया प्रोडक्ट्स का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन
– खाने में आयोडीन की कमी
– अत्यधिक मानसिक तनाव
– दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट
– अनुवांशिकता; घर में अगर किसी को यह रोग है
– बढ़ता प्रदूषण
– गर्भवती स्त्री के शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव के कारण तनाव रहता है, जिससे भी थॉयरॉक्सिन स्राव असन्तुलित हो सकता है।

थॉयराइड रोग के लक्षण

इस रोग का मरीज़ डिप्रेशन से ग्रस्त रहता है। उसका किसी काम को करने में मन नहीं लगता है। सोचने समझने की शक्ति क्षीण होने लगती है। याद रखने की क्षमता घट जाती है। सही समय पर थॉयराइड रोग को चिह्नित करके इसका उपचार किया जा सकता है।

हाइपोथॉयराइड के लक्षण

– वज़न बढ़ना
– आवाज़ में भारीपन आना
– गर्दन, सिर व जोड़ों का दर्द
– भूख कम लगना
– चेहरे व आंखों के सूजन
कब्ज़ की शिक़ायत
– खुष्क त्वचा
– ज़्यादा ठंड लगना

हाइपरथॉयराइड के लक्षण

– वज़न कम होना
– हाथ पैरों में कंपकपी
– दिल की धड़कन बढ़ना
– ज़्यादा पसीना छूटना

थॉयराइड की जांच

थॉयराइड के लक्षण नज़र आने पर आपको डॉक्टरी जांच करानी चाहिए। T3, t4, TSH टेस्ट कराकर शरीर में थॉयराइड के स्तर का पता चल जाता है।

थॉयराइड रोग का घरेलू उपचार

1. हरी धनिया

थॉयराइड के उपचार के लिए हरी धनिया की चटनी पीसकर 2 गिलास पानी के साथ पी जाएँ। इस प्रयोग के लिए आपको ताज़ी चटनी ही प्रयोग करें। धनिया सुगंधित होनी चाहिए। इस उपाय से जल्द जी थॉयराइड कंट्रोल में आ जाता है।

2. अखरोट और बादाम

अखरोट और बादाम में मौजूद सेलेनियम थॉयराइड के इलाज के लिए आवश्यक है। यह गले की सूजन भी कम करता है। ये उपाय हाइपोथॉयराइड के इलाज में अधिक प्रभावी है।

3. लौकी का जूस

सुबह सुबह खाली पेट लौकी और गेहूँ के ग्वारे का जूस पीकर 1 गिलास पानी में 20 मिली एलो वेरा जूस और तुलसी रस की 2 बूंद डालकर पी जाएँ। इसके बाद आधे घंटे तक कुछ खाना नहीं है। साथ में प्राणायम को अपनाएँ।

4. काली मिर्च

थॉयराइड रोग के उपचार में कालीमिर्च का प्रयोग फ़ायदा देता है। इसका प्रयोग का किसी भी रूप में कर सकते हैं।

5. वाइटमिन ए

थॉयराइड रोग के मरीज़ को भोजन में वाइटमिन ए की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। यह थॉयराइड को बैलेंस करता है। हरी सब्ज़ियों और गाजर में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है।

6. जूस और पानी

थॉयराइड के रोगी को दिन में 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर डि-टॉक्सिफ़ाई होता है। फ्री रेडिकल्स शरीर से निकल जाते हैं। दिन में 2 बार जूस का सेवन करें और सप्ताह में 1 बार नारियल पानी पिएँ।

7. अश्वगंधा

रात को सोते समय गाय के गरम दूध के साथ 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग करें।

8. आयोडीन

थॉयराइड कंट्रोल करने के लिए आयोडीन की प्रचुर मात्रा लेनी चाहिए। इसके लिए आयोडीन नमक का प्रयोग करें। प्याज, टमाटर और लहसुन में भी आयोडीन होता है।

9. व्यायाम

प्रतिदिन आधे घंटे व्यायाम करने से थॉयराइड रोग की संभावना कम हो जाती है।

10. गुग्गुलु

आयुर्वेद में थॉयराइड के इलाज के लिए गुग्गुलु का प्रयोग बताया गया है। पतांजलि की दुकान पर आपको यह आसानी से मिल जाएगा।

थॉयराइड ग्रंथि महिला
Thyroid gland woman

योग और प्राणायाम से थॉयराइड का ट्रीटमेंट

योग और प्राणायाम द्वारा थॉयराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। रोज़ भोर में योग के लिए समय निकालें। इसके साथ साथ आप मेडीटेशन भी कर सकते हैं। योग में तीन आसन ऐसे हैं, जो थॉयराइड में बड़े लाभकारी हैं –
1. विपरीत करणी आसन
2. हलासन
3.मतस्यासन

उज्जयी प्राणायाम

इस प्राणायाम को करने के लिए पदमासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाइए। अब अपनी जीभ को तालु से सटा दें। अब गले से सांस को इस प्रकार खींचें कि कम्पन की ध्वनि उत्पन्न होने लगे। प्रतिदिन 10 से 15 बार इसे करने से लाभ मिलेगा।

होम्योपैथी द्वारा हाइपरथॉयराइडिज़्म का उपचार

अगर आप होम्योपैथी में थॉयराइड का उपचार ढूँढ़ रहे हैं तो हम आपको 5 दवाओं के नाम बता रहे हैं। लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के इसे प्रयोग करने की चेष्टा न करें। डॉक्टर इसे आपको सही मात्रा खाने के बारे में बताऐंगे।
– Calcarea Carbonica
– Sepia Officinalis
– Lycopodium Clavatum
– Graphites
– Nux Vomica

एक्यूप्रेशर से थॉयराइड का इलाज

– हाथ पैरों में शरीर के लगभग सभी अंगों के बिंदु होते हैं। एक्यूप्रेशर में इन बिंदुओं पर सही दबाव डालकर उपचार किया जाता है। इसके लिए एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट की ज़रूरत होती है। उसे ही पता होता है कि कहाँ पर किस अंग का बिंदु है।
– एक्यूप्रेशर से थॉयराइड के ट्रीटमेंट के लिए हाथ पैरों के अंगूठे के बिल्कुल नीचे उठे हुए भाग पर दबाव डालना होता है।
– हम आपको इसे स्वयं आज़माने की सलाह नहीं दे रहे हैं। अपने घर के पास कोई एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट से आप मिल सकते हैं।

थॉयराइड में खाने पीने का परहेज़

– सिर्फ़ काले और सेंधा नमक का प्रयोग करें। सफेद नमक बिल्कुल भी प्रयोग न करें।
– मादक पदार्थों और द्रव्यों का प्रयोग न करें। सिगरेट, बीड़ी, चिलम, हुक्का आदि सब बंद कर दें।

थॉयराइड ट्रीटमेंट विशेष बिंदु

– थॉयराइड होने पर ज़रा भी लापरवाही न करें। तुरंत इलाज शुरु कर दें।
– पुरुषों की अपेक्षा महिलाए थॉयराइड का शिकार अधिक होती हैं।
– हर तीन महीने में जांच करवाएँ। लेकिन ध्यान रहे कि जांच के 12 घंटे पहले कुछ न खाएँ।
– थॉयराइड पीड़ित स्त्री गर्भधारण से पहले डॉक्टरी परामर्श अवश्य ले। बिना थॉयराइड कंट्रोल किए गर्भधारण भारी पड़ सकता है।
– थॉयराइड की बीमारी का इलाज लम्बा चलता है। इसमें नियमित उपचार और परहेज़ की ज़रूरत होती है। इसलिए बीच में इलाज छोड़ने की ग़लती न करें।

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