हल्दी के औषधीय गुण

रसोई घर में आसानी से मिलने वाली हल्दी के औषधीय गुण के कारण ही ये भारतीय मसालों का अंग है। रसोईघर में हल्दी का उपयोग सब्ज़ी बनाने के लिए किया जाता है। हल्दी की खेती प्रायः समस्त भारत में होती है। इसके पौधे अदरक के पौधे के समान 3 से 4 फुट ऊंचे होते है। हल्दी के फूल हल्के पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ के नीचे अदरक के समान किंतु सबसे बड़े कंद होते है। यह कंद पीली होती है, इसी कंद को हल्दी कहते हैं।
कच्ची अवस्था में इसका प्रयोग हानिकारक होता हैं अतः इसे उबालकर और सुखाकर फिर खाने योग्य बनाते है। हल्दी को अंग्रेजी में टर्मेरिक कहते हैं। इसका लैटिन नाम करकूमा डोमेसिट्का है।
हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी स्वाद में तिक्त, रुखी, सूखी, शरीर के रंग को निखारने वाली तथा कृमि रोगों में हितकारी है। हल्दी में रक्त को शुद्ध करने का विशेष गुण है। इसलिए इसे आयुर्वेद में एक गुणकारी औषधि के रुप में प्रयोग करते हैं। आइए आपको हल्दी के औषधीय गुण गिनवाते हैं।

रासायनिक विश्लेषण

हल्दी में एक विशेष प्रकार का पीत रंजक पदार्थ होता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में कर्कुमिन कहते है। इस कंद में 4% से 5% तक वाष्पशील तेल होते है। इस कंद में कपूर जैसी सुगंध होती है। इसके अतिरिक्त इसमें 23% स्टार्च तथा 30% ऐल्ब्यूमिन जातीय पदार्थ भी पाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हल्दी चोट और सूजन में इसलिए लाभकारी हैं क्योंकि हल्दी में प्रोटियस एंजाइमो ट्रिप्सिन एंव हाइल्यूरोनिडेज की सक्रियता को कम करने की शक्ति विद्यमान है। इन्हीं के कारण किसी स्थान पर सूजन या दर्द की स्थिति बनती है और इसी स्थान पर हल्दी का लेप लगाने से दर्द या सूजन कम हो जाती हैं। हल्दी के तत्व कर्कुमिन में सूजन को कम करने की क्षमता विद्यमान है। हल्दी में कई प्रकार के जीवाणुओं को नष्ट करने या उनके विषों को निष्प्रभावी करने की भी क्षमता विद्यमान हैं।

नेत्र रोग की औषधि

1. हल्दी नेत्र रोगों की अत्यंत लाभकारी औषधि है। आँख आई हो, आंख में दर्द हो या आँख फूली हो, इन सबके लिए सबसे श्रेष्ठ औषधि हल्दी है। इसके लिए 8 से 10 ग्राम हल्दी के चूर्ण को एक कप पानी में उबालें। फिर दोहरे कपड़े या फ़िल्टर पेपर से उसे छान लें। इस पानी की 2 – 2 बूंद आँखों में 2 से 3 बार डालें। इसी में चार तह किए हुए कपड़े की पट्टी को भिगोकर आंखों पर रखने से आँखों की वेदना शांत होती हैं और इससे आंखों को ठंडक मिलती हैं ।
2. हल्दी की गाँठ अरहर की दाल में पका कर छाया में सुखा लें। सूर्यास्त के पहले इसे पानी में घिसकर दिन में दो बार आंखों में लगाने से आँखों की लाली दूर हो जाती हैं।
3. हल्दी, फिटकरी और इमली के पत्ते को समान मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीस लें, फिर इसकी पोटली बनाकर गर्म करके आँखों को सेंक लें। इससे आंखों की लालिमा और जलन दोनों दूर हो जाती हैं और आँखों को शीतल महसूस होता हैं।

दादी माँ का देशी नुस्खा

1. हल्दी को आग में भूनकर उसका चूर्ण बनाकर रख लें। जब कफ या खाँसी आ रही हो तब 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ तीन बार चाटने से बहुत लाभ मिलता हैं।
2. हल्दी वाला दूध पीने से चोट और सर्दी से जल्दी छुटकारा मिल जाता है

हल्दी के रस का घरेलू उपयोग

1. हल्दी के रस में भी कई रोगों का शमन करने की चमत्कारी शक्ति है। अगर हल्दी के 2 से 3 चम्मच रस में थोड़ा पानी मिलाकर सेवन करें तो यह स्वास्थ के लिए बड़ा लाभकारी है। यह रस उत्तम कफनाशक और रक्तशोधक है।
2. हल्दी के ताजे रस का सेवन करने से या गर्म दूध में हल्दी का चूर्ण डालकर पीने से सर्दी जुकाम और खाँसी से मुक्ति मिलती है।
3. चोट लगने पर यदि रक्त जम जाए तो उस पर हल्दी के चूर्ण व नमक का लेप करने से आराम मिलता हैं।
4. कण्ठ या श्वासनलिका से कफ निकलता हो तो ऐसे में हल्दी के रस का सेवन बहुत उपयोगी हैं।
5. खाज खुजली, फोड़े फुंसी, घाव आदि में हल्दी का लेप बहुत लाभकारी हैं।
6. हल्दी का चूर्ण मक्खन में मिलाकर उबटन की तरह शरीर पर लगाने से त्वचा, सुंदर और मुलायम बनती हैं।
7. हल्दी और शहद का पेस्ट सौन्दर्य निख़ारने के काम आता है।
8. हल्दी का तिलक शुभ कार्यो के लिए उत्तम माना जाता है।
तो आज हल्दी के औषधीय गुण जानने के बाद आप इसे अपने भोजन में इस्तेमाल अवश्य करें। इसके साथ साथ इसके उपयोग से सुंदर और मुलायम त्वचा भी पायें।
हल्दी स्वाद और सेहत का एक अनोखा ख़ज़ाना है जिसे अपनाकर आप भी मालामाल हो सकते है और आप भी स्वस्थ और सुंदर बन सकते है।

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