मूत्र रोग का होम्योपैथिक उपचार

आम जनमानस का झुकाव अब प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर होने लगा है। अंग्रेजी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट अब लोगों को सोचने पर मज़बूर कर रहे हैं। महत्वपूर्ण प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों में होम्योपैथ का विशेष स्थान है। आइए जानते हैं कि मूत्र रोग का होम्योपैथिक उपचार क्या है।

मूत्र का होम्योपैथिक उपचार

मूत्र रोग का होम्योपैथिक उपचार इस प्रकार है –

– यदि पेशाब के साथ यूरिया निकल रहा हो। डायबिटीज़-इसीपीड्स (शर्करा विहीन) अधिक मात्रा में हो और बार-बार पेशाब लग रहा हो। उसके साथ ही बेचैनी व घबराहट हो और प्यास ज़्यादा लग रही हो तो हेलोनियस ३०,२०० तथा लैक्टिक एसिड 30,200 लाभ पहुंचाएगा।

– पेशाब खुलकर न हो रहा हो। ऐसा लग रहा हो कि मूत्र संस्थान सुन्न हो गया है। इसका अर्थ है कि प्रोस्टेट बढ़ा हुआ है। ऐसे लोगों को दिन में तीन बार कोनियम ३० का सेवन करना चाहिए। इस बीमारी में सेबलसेरुलेटा ३० तथा साइड्रान्जिया 30 भी आराम पहुंचाता है।

– मूत्राशय में हमेशा जलन महसूस होती हो और पेशाब करने समय आराम महसूस होता हो तो इसके लिए स्टेनपिफ़सेग्रिया 30 लिया जा सकता है।

– पेशाब ज़ोर से लगती हो और रात को ज़्यादा ज़ोर से लगती हो लेकिन मूत्राशय अपेक्षाकृत सपोर्ट न करता हो। इस वजह से पेशाब धीरे-धीरे होता है और बहुत देर बैठना पड़ता है। पेशाब होने के बाद भी बूंद-बूंद पेशाब टपकता हो और पेशाब ज़रूरत से ज्यादा गरम हो तो केलि कार्ब ३० शक्ति की चार-चार गोली दिन में तीन बार ली जा सकती है, आराम मिलेगा।

– मूत्राशय में दर्द हो और लगे कि मूत्राशय फूल रहा है। बार-बार पेशाब लगे और उसमें बदबू हो। इसकी वजह से शरीर में सूजन आ गई हो, नींद न आ रही हो तो मैजलिस क्यू या ३ शक्ति की दवा लाभ पहुंचाएगी।

– रात में ज़रूरत से ज़्यादा और बार-बार पेशाब लगे और हर बार ज़्यादा पेशाब हो। सपने में लगे कि जोर से पेशाब लगा है और सही जगह पेशाब कर रहे हैं। नींद टूटने पर पता चले कि बिस्तर गीला हो गया है। इसके लिए क्रियोजोटम ६X शक्ति से १००० शक्ति की दवा का सेवन करना चाहिए।

– पेशाब में अवरोध व जलन महसूस हो, मूत्राशय के ऊपर दर्द हो, पथरी निकलने के समय भयंकर दर्द हो तो दवा मैग्नेशिया फास 30; 200 लाभ पहुंचाएगी।

– पेशाब पीला हो और ज़्यादा हो, छींक, खांसी या राह चलते अनजाने में पेशाब निकल जाए, पेशाब करते समय आसपास किसी की मौजूदगी का एहसास पेशाब निकलने में बाधक बने तो नेट्रम म्यूर 30 से उच्च शक्ति की दवा तथा कास्टिकम 200 आराम पहुंचाएगी। ज़्यादा व बार-बार पेशाब आने पर एसिड फास 30,200 कारगर दवा है।

– पेशाब के पहले व बाद में पेशाब नली में जलन महसूस हो तो बर्बरिस वल्गेरिस Q दस बूंद दवा 50 मिली पानी में मिला कर दिन में तीन बार लिया जा सकता है। परन्तु यह सब औषधि किसी सुयोग्य होम्योपैथ चिकित्सक की देखरेख में लक्षणानुसार लेना चाहिए।

किसी तरह के मूत्र रोग का होम्योपैथिक उपचार पाने के लिए आप डॉक्टर डॉ बनर्जी से सम्पर्क कर सकते हैं।

लेखक – डॉ रूप कुमार बनर्जी (होमियोपैथिक चिकित्सक), संतोष होमियो सेवाधाम, 216, बलदेव प्लाजा, गोलघर; गोरखपुर -273001 (उ.प्र.)

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