अल्बर्ट आइंस्टाइन के अनुसार प्यार क्या है

हम सभी ने इस फ़ीलिंग को महसूस किया है लेकिन प्यार क्या है? इस प्रश्न का उत्तर देने में समर्थ हैं। हम जानते हैं कि यह फ़ीलिंग कितनी एमेज़िंग और स्पेशल होती है जिसे हम हर बार बता पाने में असमर्थ रहते हैं। जाने कितने ही फ़िलॉस्फ़र्स ने इसे बायोलॉजिकल, केमिकल और अपने अनुभव से व्यक्त करने की कोशिश है, लेकिन हम उसे समझ पाने में असमर्थ रहते हैं। लेकिन एक व्यक्ति जिसने हमें कई सिद्धांत दिए है जिसमें से एक थ्योरी को रिलेटिविटी भी है। ये अल्बर्ट आइंसटाइन हैं। उनकी बेटी लाइज़र्ल ने 1980 के अंत में हेब्रू यूनिवर्सिटी को आइंस्टाइन द्वारा लिखे 1400 पत्र डोनेट किए थे, जिसमें शर्त थी कि इस पत्रों को आइंस्टाइन की मृत्यु के 20 साल तक प्रकाशित नहीं किया जाएगा।

प्यार क्या है - Albert Einstein daughter Lieserl

अल्बर्ट आइंस्टाइन के शब्दों में – प्यार क्या है?

आज ये लेटर्स पब्लिक हो चुके हैं और यह पत्र उनमें से एक है जो उन्होंने अपनी बेटी लाइज़र्ल के लिए लिखा था। आइए पढ़ते हैं –

बेटी लाइज़र्ल के लिए का आइंस्टाइन का पत्र

जब मैंने थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी प्रतिपादित की थी, बहुत कम लोगों ने मुझे समझा था, और अब जो मैं बताने जा रहा हूँ वो मानवता तक पहुँचेगा और दुनिया में ग़लतफ़हमी और पक्षपात के साथ भिड़ेगा।

मैंने पत्रों को सालों तक, दशकों तक इसलिए सुरक्षित रखने के लिए कहा, ताकि तब सोसाइटी इतनी एडवांस हो जाए कि वो इन्हें समझ सकें।

यहाँ एक बहुत ही पॉवरफ़ुल शक्ति है जिसके लिए साइंस अब तक कोई फ़ॉर्मल व्याख्या नहीं दे पायी है। यह वो शक्ति है जो सबको शामिल करके उन्हें गवर्न करती है, और दुनिया में काम करने वाली उस हर एक घटना पीछे है, जिसे अब तक हमारे द्वारा पहचाना नहीं गया है। यह यूनिवर्सल शक्ति प्रेम है।

जब वैज्ञानिक ब्रह्मांड के एकीकृत सिद्धांत Unified theory खोजते हैं वे सबसे शक्तिशाली अनदेखी शक्ति के बारे में भूल जाते हैं। प्यार वो प्रकाश है जो उन्हें प्रकाशित करता है जो इसे देते और प्राप्त करते हैं। प्यार गुरुत्वाकर्षण है, क्योंकि यह कुछ लोगों को दूसरों की ओर आकर्षित करता है। प्यार शक्ति है, क्योंकि ये हमारे पास जो सबसे अच्छा है उसे मल्टीप्लाइज़ करता है, और मानवता को अपने अंधे स्वार्थ में समाप्त होने नहीं देता। प्यार (बंद परतें) खोलता है और प्रकट करता है। हम प्यार के लिए जीते हैं और मरते हैं। प्यार ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्यार है।

यह शक्ति सब कुछ स्पष्ट करती है और जीवन को अर्थ देती है। यह वो वैरिएबल variable है जिसे हमने बहुत लम्बे समय तक इग्नोर किया है, क्योंकि शायद हम प्रेम से घबराते हैं क्योंकि ब्रह्मांड में यही वो ऊर्जा है जिसे आदमी अपनी इच्छा से नहीं चला सकता है।

प्यार को सामने लाने के लिए, मैंने अपनी सबसे फ़ेमस समीकरण में एक सरल प्रतिस्थापन simple substitution किया था। अगर E = mc2 की बजाय, हम मान लें कि दुनिया को स्वस्थ रखने वाली ऊर्जा को प्यार से प्रकाश की गति के वर्ग square से गुणा करके प्राप्त कर सकते हैं, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि प्यार दुनिया की सबसे शक्तिशाली शक्ति है, जिसकी कोई सीमा नहीं है।

हमारे विरोध में उठ खड़ी हुई ब्रह्मांड की शक्तियों को प्रयोग और नियंत्रित कर पाने में मानवता की असफलता के बाद, यह आवश्यक है कि हम एक दूसरी तरह की ऊर्जा से स्वयं को पोषित करें।

अगर हम अपनी प्रजातियों को जीवित रखना चाहते हैं, अगर हम अपने जीवन में अर्थ ढूँढ़ना चाहते हैं, अगर हम दुनिया को और इसमें निवास करने वाली हर संवेदनशील वस्तु को बचाना चाहते हैं, तो प्यार एकलौता उत्तर (मार्ग) है।

शायद हम अभी लव बम बनाने के लिए तैयार नहीं हैं, जो (पृथ्वी) ग्रह को उजाड़ने वाली घृणा, स्वार्थ और लालच को पूरी तरह समाप्त कर पाते में शक्तिशाली सक्षम डिवाइस हो।

जबकि हर एक व्यक्ति में छोटा मगर शक्तिशाली प्यार उत्पन्न करने वाला जेनरेटर होता है जिसकी ऊर्जा मुक्त होने की प्रतीक्षा कर रही है।

प्रिय लाइज़र्ल, जब हम इस वैश्विक ऊर्जा universal energy को लेना और देना सीख जाते हैं, हम दृढ़ता के साथ प्यार से सब जीत लेंगे। प्यार हर वस्तु और किसी भी वस्तु को अपने वश में कर सकती है, क्योंकि प्रेम जीवन का सार (मर्म, तत्त्व, प्रकृति आदि) है।

मुझे बहुत दु:ख है कि मैं अपने दिल की बात को व्यक्त कर पाने असमर्थ हूँ, जो सारा जीवन मेरे अंदर तुम्हारे लिए दबी रही। शायद क्षमा माँगने में बहुत देर हो गयी है, लेकिन चूँकि समय सापेक्षिक relative है, मुझे तुम्हें बताना है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुमको धन्यवाद देता हूँ कि अपने तुम्हें मौलिक ultimate उत्तर दे पाया!

तुम्हारा पिता
अल्बर्ट आइंस्टीन

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