कलौंजी यानि Nigella Sativa (Black Cumin) एक वार्षिक पादप का नाम है। ब्लैक क्यूमिन के बीज औषधि एवं मसाले के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। कहा जाता है कि मौत को छोड़कर यह हर मर्ज की दवा है। कलौंजी दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है। यह जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है। कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है। लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फ़ायदा पहुंचाती हैं। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है। यह बवासीर, मोतियाबिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है।
कलौंजी के अन्य नाम
विभिन्न भाषाओं में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। संस्कृत में कृष्णजीरा, उर्दू में कलौंजी, बांग्ला में कालाजीरो, मलयालम में करीम जीराकम, रूसी में चेरनुक्षा, तुर्की में कोरेक ओतु, फारसी में शोनीज, अरबी में हब्बत-उल-सौदा, हब्बा-अल-बराका, तमिल में करून जीरागम, तेलुगु में नल्ला जीरा कारा आदि नामों से इसे जाना जाता है।

पोषक तत्व
कलौंजी में 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा पाया जाता है। इसमें 100 से ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। इसमें 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) व 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं। 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते हैं जिनमें मुख्य रूप से निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं। निजेलोन में एंटी-हिस्टेमीन गुण पाया जाता है जो श्वास नली की मांसपेशियों को ढीला करता है, प्रतिरोधक क्षमता को विकसित कर दमा, खांसी, ब्रोंकाइटिस आदि को दूर भगाता है।
थाइमोक्विनोन एक उत्तम एंटी-आक्सीडेंट है जो कैंसर, कीटाणु व फंगस रोधी है, यकृत की रक्षा करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित करता है। साथ ही कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और कैल्शियम, पोटैशियम, लौह तत्व, मैग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज पाए जाते हैं। इसमें 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैँ और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। साथ ही कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत भी करते हैं। अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क व केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के ऊर्जा के स्रोत हैं। एंटीबॉडीज का निर्माण कर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं।
कैंसर और कलौंजी
जेफरसन फिलाडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोध पत्र के अनुसार ब्लैक क्यूमिन में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है और धीरे-धीरे उन्हें नष्ट कर देता है। कैंसर के रोगियों में पुन: कैसर होने की आशंका को यह समाप्त कर देता है। यह इंटरफेरोन की संख्या में वृद्धि कर कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से रक्षा करता है, साथ ही कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाली कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करता है।
– कैंसर के उपचार के लिए आधा बड़ा चम्मच कलौंजी का तेल एक गिलास अंगूर के जूस में मिलाकर दिन में तीन बार लेना चाहिए।
– लहसुन का सेवन अधिक करें।
– दो भाग गेहूं व एक भाग जौ मिलाकर आटा पिसवा लें और चालीस दिन तक इसकी रोटी खाएं।
– आलू, अरुई व बैंगन से परहेज करें।
मधुमेह व सूजन
कलौंजी में मिलने वाले उड़नशील तेल खून में शर्करा की मात्रा को कम करते हैं। मधुमेह के लिए एक कप ब्लैक क्यूमिन सीड, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके व आधा कप पितपाप्र को पीस कर चूर्ण बना लें। आधा छोटा चम्मच चूर्ण कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक माह तक लेना लाभप्रद है।
साथ ही इसका प्रयोग अस्थिसंधि शोथ में सूजन को खत्म करता है। थाइमोक्विनोन व निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में बाधक होते हैं, इससे सूजन कम होता है और दर्द दूर हो जाता है।
खांसी व दमा
ब्लैक क्यूमिन में मौजूद निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करता है, श्वास नली की मांसपेशियों को ढीला करता है जिससे दमा के मरीजों को राहत मिलती है। खांसी व दमा की शिकायत होने पर छाती व पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करनी चाहिए। तीन बड़ा चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें।

पेट के कीड़े
आधा छोटे चम्मच कलौंजी का तेल एक बड़े चम्मच सिरका के साथ दिन में तीन बार दस दिन तक पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। यह औषधि लेने के दौरान मीठी चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
एड्स
मिस्र के वैज्ञानिक डॉ. अहमद अल-कागी के अनुसार एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है। अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी।
हृदय रोग और ब्लैक क्यूमिन
किसी भी प्रकार के हृदय रोग, उच्च रक्त चाप में कलौंजी सहायक है। जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटा चम्मच कलौजीं तेल मिला लें। साथ ही रोज सुबह नाश्ते के पहले लहसुन की दो कलियां निगल जाएं। तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश कर आधा घंटा धूप में बैठें। एक माह तक यह प्रयोग करने पर हृदय रोगों में काफी लाभ होता है।
पथरी और कलौंजी
गुर्दे की व मूत्राशय की पथरी के लिए एक पाव कलौंजी को महीन पीस लें और उसमें एक पाव मधु मिला लें। नाश्ते के पहले दो चम्मच यह मिश्रण लें और एक ऊपर से एक कप गर्म पानी में एक छोटा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पी जाएं। यह प्रयोग कुछ दिन नियमित करें।
स्वास्थ्य लाभ
– एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दस दिन पीने से अवसाद व सुस्ती दूर होती है।
– गठिया व कमर दर्द में कलौंजी का तेल हल्का गर्म करके मलें। साथ ही एक चम्मच कलौंजी का तेल दिन में तीन बार लें। पंद्रह दिन में लाभ दिखेगा।
– ललाट व कनपटी पर कलौंजी का तेल लगाने तथा नाश्ते से पहले एक चम्मच तेल तीन बार लेने से सिर दर्द चला जाएगा।
– सफेद दाग और कुष्ठ रोग पर पहले सेब का सिरका मलें, उसके बाद कलौंजी का तेल मलें। पंद्रह दिन में लाभ नज़र आने लगेगा।
– एक चम्मच कलौंजी का तेल, एक चम्मच जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर मलें और एक घंटे के बाद चेहरा धो लें। कुछ दिनों बाद आपका चेहरा चमकने लगेगा।
– आंखें या नज़र कमजोर है तो रात को सोने से पहले पलकों व आंखों के आसपास कलौंजी का तेल लगाएं तथा एक प्याला गाजर के रस में एक चम्मच ब्लैक क्यूमिन का तेल मिलाकर पीयें। यह प्रयोग एक माह तक करें।
– मधु के साथ एक चम्मच कलौंजी का तेल रोज सुबह लेने से आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे।
मानसिक लाभ
– स्मरण व मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए सौ ग्राम उबले हुए पुदीना में एक छोटा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करें।
– एक कप चाय में एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर लेने से मानसिक तनाव दूर होता है।
पेट को लाभ
– दही के साथ एक बड़ा चम्मच कलौंजी का तेल लेने से दस्त व पेचिश से छुटकारा मिलता है।
– एक बड़े चम्मच ब्लैक क्यूमिन ऑयल व एक छोटे चम्मच कार्नेशन को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लेने से उल्टी व उबकाई दूर होती है।
– एक चम्मच कलौंजी का तेल एक प्याला दूध में मिलाकर पांच दिन लेने से अमाशय के रोग विदा हो जाते हैं।
बालों का पोषण
– यदि बाल झड़ रहे हों तो पहले बालों में अच्छी तरह से नींबू का रस लगाएं और पंद्रह मिनट शैंपू कर लें। बाल जब सूख जाएं तो उस पर कलौंजी तेल लगाएं। एक सप्ताह के प्रयोग के बाद बालों का झड़ना बंद हो जाएगा।
– बालों में यदि रूसी है तो 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल व 30 ग्राम पिसी मेहंदी मिला कर गर्म करें। ठंडा होने पर बालों में लगाएं। एक घंटे बाद बालों को शैंपू से धो लें।
यौन स्वास्थ्य
– स्त्रियों के रोगों जैसे श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, प्रसव के बाद दुर्बलता व रक्त स्राव आदि के लिए थोड़ी सी पुदीने की पत्तियों को दो गिलास पानी में डाल कर उबाल लें और उसमें आधा चम्मच ब्लैक क्यूमिन ऑयल डालकर दिन में दो बार पीयें। बैंगन, आचार, अंडा और मछली आदि का सेवन न करें।
– पुरुषों में स्वप्नदोष, स्तंभन दोष, पुरुषहीनता आदि रोगों में एक कप सेब के रस में आधा छोटा चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर दिन में दो बार 21 दिन तक पीयें तथा थोड़ा सा तेल गुप्तांग पर रोज़ मलें। मसालेदार चीजों का सेवन न करें।