ख़ून मोटा होने से रक्त शिराओं में ब्लॉकेज की समस्या हो सकती है। रक्त शिराओं में ब्लॉकेज कई तरह की समस्याओं को जन्म देता है। जहां भी ब्लड सर्कुलेशन कम हुआ, क्लॉटिंग हो जाती है। इससे सबसे ज़्यादा खतरा हार्ट अटैक का रहता है। यदि मस्तिष्क में क्लॉटिंग हो गई तो लकवा भी संभव है। एक बार मस्तिष्क में क्लॉटिंग हो गई तो होश आने में कम से कम एक सप्ताह लग जाते हैं। इसलिए सबसे पहले इसके लिए सावधानी बरतें। यदि रक्त शिराओं में ब्लॉकेज की समस्या है तो अदरक का सेवन ज़रूर करें। यह ख़ून को पतला करता है। ख़ून के पतला होने से हार्ट अटैक आदि की समस्या नहीं होतीं, उसका दबाव कम हो जाता है। साथ ही पीपल के पत्ते का सेवन आपको ब्लॉकेज से बचाता है।
नर्व ब्लॉकेज रोकने के लिए क्या करें
पंद्रह-बीस कोमल नए हरे पत्ते जो गुलाबी कोंपलें न हों, लेकिन पूर्णत: विकसित व कोमल हों, उसे ले आएं। सभी पत्तों के नीचे का कुछ कैंची या ब्लेड से काटकर अलग कर दें। पत्ते के बीच का भाग पानी से अच्छी तरह साफ़ कर लें। अब इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आंच पर पकाएं। जब पानी जल कर एक तिहाई रह जाए तो आग से उतार लें और ठंडा होने दें। ठंडा होने पर उसे साफ़ कपड़े से छान लें और किसी ठंडे स्थान पर रख दें। काढ़ा बन गया है।
इस काढ़े की तीन ख़ुराक बना लें और सुबह हर तीन घंटे पर एक ख़ुराक लें। यह दवा हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के बाद शुरू करनी चाहिए और लगातार पंद्रह दिन तक इसका सेवन करना चाहिए, इससे हृदय पुन: स्वस्थ हो जाता है और पुन: दिल का दौरा पड़ने की आशंका समाप्त हो जाती है। दिल के रोगी को इस दवा का एक बार प्रयोग ज़रूर कर लेना चाहिए। यह ध्यान देना ज़रूरी है कि ख़ुराक लेने के पहले पेट एकदम न खाली हो। हल्का सुपाच्य नाश्ता करने के बाद ही इस दवा का सेवन करना चाहिए।
इनका करें सेवन
अनार के दाने खा सकते हैं या उसका जूस पी सकते हैं। पपीता व आंवला का प्रयोग कर सकते हैं। बथुआ का साग लाभप्रद है। लहसुन, मेथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसमी, किसमिश, गुग्गुल, दही, भिगोया हुआ काला चना व छाछ आदि का सेवन किया जा सकता है।
परहेज़
जब इस दवा का प्रयोग कर रहे हों तो उस दौरान तली-भुनी चीज़ें व चावल का प्रयोग बंद कर दें। मांस, मछली, अंडे व शराब का सेवन न करें। धूम्रपान, तंबाकू आदि से परहेज करें। नमक व चिकनाईयुक्त भोजन न लें।