हैजा रोग के लक्षण और घरेलू उपचार

मेरे पड़ोस में भाभी की बेटी को लगातार दस्त और उलटी हो रही थी और उलटी और दस्त के कारण उसका शरीर भी काफ़ी कमज़ोर हो गया। उसकी इस हालत को देखकर घर वाले गम्भीरता से नहीं ले रहे थे। लेकिन मुझे ये लक्षण हैजा के लगे जिसमें ज़रा सी असावधानी बरतें तो बीमारी गम्भीर रूप ले लेती है, अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो ये जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए मैंने तुरन्त भाभी को इसे डॉक्टर को दिखाने को बोला ताकि डॉक्टर उसकी जाँच करे और अगर हैजा रोग हो तो इसके शुरुआत में ही इसका इलाज शुरू हो सके। डॉक्टर ने जब मुन्नी की जाँच की और कहा कि आप इसे बिलकुल सही समय पर लेकर आएं है, क्योंकि मुन्नी को हैजा रोग हुआ है जिसमे ज़रा सी लापरवाही जानलेवा भी हो सकती है।
इसलिए कहते हैं कि इस जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए इसकी पूरी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। ताकि सही समय पर इसका इलाज संभव हो सके। तो आइए इस रोग के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें…

हैजा रोग की सामान्य जानकारी

साधारण भाषा में हैजा को विसूचिका कहते हैं, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जानते हैं। इसे अंग्रेज़ी में कॉलरा कहा जाता है जो एक संक्रामक रोग है। यह रोग विब्रिओ कॉलेरी नामक बैक्टीरिया से फैलता है। विब्रियो कॉलेरी एक ग्राम-नेगेटिव जीवाणु है जो एक एंटेरोटॉक्सिन, कॉलेरा टोक्सिन का उत्पादन करता है। यह कीटाणु रोगी के शरीर में प्रवेश करके ऐसे विषैले तत्व छोड़ता है जो की आँतों में पानी की मात्रा को बढ़ा देते हैं, जिस कारण से रोगी को अधिक दस्त और उल्टियां भी होती हैं। अधिक दस्त आने से रोगी बहुत कमज़ोर हो जाता है और रोगी के हाथ-पाँव ठंडे हो जाते हैं।
यह रोग प्राय: वर्षा और गर्मी के मौसम में महामारी के रूप में फैलता है। इस मौसम में दूषित पानी और भोजन करने से बचें। हमेशा स्वच्छ पानी पिएं।
हैजा रोग कॉलरा

हैजा रोग के लक्षण

1. उलटी होना

हैजा रोग का सबसे पहला लक्षण उलटियां होना है। कई बार उलटी के साथ साथ जी भी मिचलाता है। यह उलटी सफेद रंग की होती है। कुछ भी खाया नहीं कि सब कुछ उलटी में निकल जाता है।

2. दस्त आना

हैजा रोग में उलटी के साथ साथ पतले दस्त भी आते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों के कारण निकल जाता है। इस बीमारी में दस्त और उलटी के कारण रोगी कमज़ोर व शक्तिहीन हो जाता है।

3. सांस का टूटना और प्यास का अधिक लगना

हैजा रोग की शुरुआत होने पर रोगी की सांस टूटने लगती है। इस रोग में प्यास ज़्यादा लगती है। पल्स धीमी पड़ जाती है और ब्लड प्रेशर कम होन लगता है।

4. हाथ पांव का ठंडा होना

हैजा रोग होने पर रोगी के हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं।

5. पेशाब समस्या का होना

हैजा रोग होने पर रोगी को पेशाब में समस्या होती है, यूरिन कम होता है और वह पीले रंग का आता है ।

6. हृदय की गति का बढ़ना

हैजा रोग में रोगी की हृदय गति बढ़ जाती है।
इसलिए इन लक्षणों के नज़र आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हैजा रोग के घरेलू उपचार

1. पुदीना

कॉलरा होने पर रोगी को पुदीने का रस देना चाहिए क्योंकि यह एक गुणकारी औषधि है और कई रोगों का शमन करने की शक्ति होती है।
पुदीने के लाभ

2. लहसुन

लहसुन विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर है। हैजा रोगी को इसका उबला हुआ पानी देने पर इसके सारे बैक्टीरिया ख़त्म हो जाते हैं क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विद्यमान है जो शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

3. तुलसी

हींग 5 ग्राम, कपूर 10 ग्राम, और नीम के 10 कोमल पत्तों को तुलसी के रस में पीसकर छोटी छोटी गोलियां बनाकर, एक गोली दिन में तीन चार बार गुलाब के अर्क में देने से कॉलरा में लाभ प्राप्त होता है।
तुलसी

4. अजवाइन के पत्तों का रस

अजवायन के पत्तों को अच्छी तरह धोकर पीसकर रस निकाल लें और यह रस रोगी को एक एक घण्टे पर पिलायें इससे रोगी को आराम मिलता है।

5. नमक शक्कर का घोल

हैजा रोग होने पर रोगी को नमक-शकर और पानी का घोल पिलायें या फिर इलेक्ट्रॉल पिलायें ताकि रोगी के शरीर में जो पानी की कमी हुई है उसकी पूर्ति की जा सके।

6. लौंग चूर्ण

पानी में लौंग चूर्ण और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर रोगी को पिलाने से रोगी को राहत मिलती है।
लौंग Cloves

7. प्याज का अर्क

कॉलरा होने पर रोगी को प्याज का अर्क देने से बेहद आराम मिलता है।

8. राई का चूर्ण

हैजा रोग होने पर रोगी को यूरीन में समस्या होती है या पेशाब ना आ रही हो तो ऐसे में कमर पर राई का लेप लगायें। जिससे रोगी को तुरन्त राहत मिलेगी।
कॉलरा के लक्षण नज़र आते ही अगर ध्यान न दिया जाए तो शुरुआत के एक घंटे के भीतर ही, एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्तचाप घटकर निम्न रक्तचाप के स्तर तक पहुँच सकता है और संक्रमित मरीज को अगर चिकित्सा प्रदान नहीं की जाये तो वो तीन घंटे के अन्दर मर भी सकता है। इसलिए अगर कभी भी उल्टी या दस्त हो तो इसको इग्नोर ना करे। बल्कि तुरंत नज़दीकी स्वस्थ्य केंद्र जाएं और डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। ताकि सही समय पर इसका इलाज हो सके और आप एक स्वास्थ्य जीवन जी सके।

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