माँ जो हमेशा चाहती है कि उसका बच्चा हमेशा ख़ुश रहे, दुनिया की हर ख़ुशी उसे मिले। उसकी एक मुस्कराहट के लिए वो क्या कुछ नहीं कर जाती है। अगर बच्चा परेशान हो तो वो भी परेशान हो जाती है। अगर बच्चे की आँख में आंसू हों तो माँ की आँख में भी आंसू आ जाते हैं। वो हमेशा चाहती है कि उसका नवजात शिशु / बच्चा हमेशा ख़ुश रहे।

लेकिन कभी कभी नवजात शिशु इतने परेशान हो जाते हैं और रोने लगते है कि माँ भरसक प्रयास करती है कि उसकी परेशानी को समझ सके लेकिन वो उसकी परेशानी को समझ नही पाती हैं। उसके समझ में नहीं आता कि वो ऐसा क्या करें जिससे बच्चे की परेशानी दूर हो जाये और उसकी आँखों में आंसू की जगह होठों पर मुस्कान बिखरे। इस लेख को पढ़कर आप जान पायेंगे कि बच्चे अक्सर किन कारणों से रोते हैं? कैसे अपने बच्चे के रोने के कारणों को पहचान कर, उसे दूर कर, उसके होंठों पर मुस्कान बिखेर सकते हैं?
नवजात शिशु के रोने के कारण
१. इशारा समझें
माँ से बेहतर कौन है जो बच्चे की हर परेशानी को समझ सके, नवजात शिशु अपनी हर बात इशारे से समझाने का प्रयास करता है। चूँकि बच्चे के सबसे क़रीब माँ होती है इसलिए माँ को धीरे-धीरे इन्हें समझने का प्रयास करना होगा, ताकि बच्चे के परेशान होकर बेक़ाबू होने से पहले आप उसे संभाल ले।
२. आहार की ज़रूरत
बच्चे के रोने का पहला कारण भूख हो सकती है। नवजात शिशु का पाचन तंत्र इतना छोटा होता है कि हर दो तीन घंटे में उसे आहार की ज़रूरत होती है। भूख लगने पर कुछ बच्चे बेहद परेशान हो जाते हैं। जब तक आप उनके इशारे को समझ कर दूध देने का प्रयास करती हैं तब तक वे रोते रोते दूध के साथ हवा भी ले लेते है जिसके कारण उन्हें उल्टी और गैस आदि की तकलीफ़ हो सकती है।

इसलिए जब तक आप उनके इशारों को समझ नहीं पाती तब तक उनके रोते ही तुरन्त दूध पिलाएँ। भले ही आपने कुछ देर पहले ही क्यों न दूध पिलाया हो। अगर वह थोड़ा दूध पीते ही छोड़ दे तो समझ जाएँ कि उसके रोने का कारण कुछ और है। दूध पिलाने / स्तनपान के तुरन्त बाद बच्चे को बिस्तर पर न लिटाएँ। उसे कंधे पर लेकर थपकी देकर डकार दिलाने की कोशिश करे। ऐसा न करने पर दूध शिशु की श्वास नली से होता हुआ फेफड़ो में प्रवेश करता है।
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३. प्यार से गले लगाएँ
बच्चा अपने माँ के स्पर्श को अच्छे से महसूस कर सकता है। हो सकता है जब आपका बच्चा रो रहा हो तो वो आप से यह चाहता हो कि आप उसे गोद में उठा लें, उसे दुलारे पुचकारें। इसलिए आप अपने सारे काम को कुछ देर के लिए टाल दीजिए और बच्चे को बाँहों में उठाकर झूला झुलाएँ और लोरी सुनाए। जब आप अपने बच्चे को गोदी में उठाती हैं तो आपके शरीर की गर्माहट और आपकी धड़कन उसे बेहद सुकून देती है।
४. नैपी गीली तो नहीं
बच्चे के रोने का एक प्रमुख कारण नैपी गीला होना भी हो सकता है। अगर बच्चे की नैपी गीली हो गयी हो तो उसे फ़ौरन बदल दें। गीली नैपी से पड़ने वाले रैसेज़ भी बच्चे के रोने का कारण बन सकते हैं।

नैपी के स्थान पर उसे लंगोट या हल्के सूती कपड़े की चड्ढी पहनायें, जिससे बच्चे को गीलेपन से ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।
५. तेज़ गर्मी या तेज़ ठंड का अहसास
बहुत अधिक गर्मी या ठंडी होने पर भी बच्चा रोकर अपनी परेशानी जताता है बच्चे के पेट को छूकर इस बात का अंदाज़ा लगाने का प्रयास करें कि उसे ठण्ड या गर्मी तो नहीं लग रही है। फिर उसी के अनुरूप उसके कपड़े कम या ज़्यादा करे दें।
यदि आपके कमरे में एअर कंडीश्नर लगा है तो रूप टेम्परेचर से अधिक या कम तापमान न होने दें। तापमान में उतार चढ़ाव से बच्चा रोने लगता है और बीमार भी पड़ सकता है।
इन टिप्स को अपनाकर आप नवशिशु के मन और उसकी ज़रूरत को समझ पायेंगे।
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