मेरी ग़लती न दोहराना, वरना पछताओगे

हाय फ्रेंड्स, मैं शिखर। मैं कोई राईटर नहीं हूँ और ना ही मैं कोई रेग्युलर रीडर हूँ। मैं आपके साथ अपनी ये स्टोरी सिर्फ़ इसलिये शेअर कर रहा हूँ क्योंकि ये मेरी लाइफ़ का सबसे बड़ा सच है और मैं चाहता हूँ कि आप भी मेरी ग़लती न दोहराओ जो मैंने की और हर पल पछता रहा हूँ।

बात उस वक़्त कि है जब मैं 12वीं का एक्ज़ाम दिया था। वैकेशन में डैडी ने कम्प्यूटर ख़रीद कर दिया क्योंकि मैं कम्प्यूटर में बहुत इंट्रेस्टेड था और मुझे कम्प्यूटर कोर्स भी ज्वाइन करना था। जैसे ही कम्प्यूटर आया मैंने अपने मोबाइल के थ्रु नेट स्टार्ट किया और अपनी फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल बना ली। मैं दिन भर अपने दोस्तों से चैट करता था क्योंकि पहले मेरा फ़ोन चैट स्पोर्ट नहीं करता था और मेरा ठीक टाइमपास हो जाता था। मैं फ़ेसबुक पे बहुत इंट्रेस्टींग स्टेट्स पोस्ट करता था। अक्सर मैं नोट करता था कि एक लड़की मेरे हर पोस्ट को फ़ॉलो कर रही है। और उसके लाइक्स भी आ रहे थे बस मैंने चांस देखा और फ़ेसबुक पे फ्रेन्ड रिक्वेस्ट भेज दी, जब कि मैं उसे जानता भी नहीं था।

फ़ेसबुक पर दोस्ती

उसने मेरी रिक्वेस्ट एसेप्ट कर ली। माफ़ कीजिएगा फ़ॉर सेक्योरिटी रिज़न मैं उसका रियल नाम नहीं बता पाऊँगा। आप उसका नाम अंजली मान के चलो। मैंने एक दिन उसे ‘हाय’ मैसेज भी किया। बट मैंने वो मैसेज टाइम पास करने के लिए कर रहा था, क्योंकि मैं प्यार व्यार में ज़रा भी यक़ीन नहीं करता था। सामने से कोई रिप्लाई नहीं आया।

मैंने दूसरी बार फिर मैसेज किया और इस बार उसकी तरफ़ से रिप्लाई आ गया। मैंने ‘हाऊ आर यू’ का मैसेज किया उसने रिप्लाई भी किया। फिर मैंने अपना इंट्रो दिया और उसने सिर्फ़ अपना नाम बताया।

मेरी ग़लती

मैं फ़ेसबुक पर अक्सर स्टेट्स पोस्ट किया करता था, मेरे पोस्ट सब दर्द भरे रहते थे और वो लाइक भी करती थी। मैंने उसकी फ्रेंड लिस्ट भी चेक की वो अभी नई थी, एक दो महीने हुए थे उसे अकाउंट बनाये हुए। फिर हमारी हाय, हैलो ज़्यादा होने लगी। मैं भी उससे बहुत बात करने लगा बट वो सब मेरे लिये सिर्फ़ टाइम पास था क्योंकि उस वक़्त मेरे पास करने के लिए कोई काम नहीं था।

पहले एक महीने तक हमारी बात नार्मल होती रही। उसके बाद मैं जाने अंजाने में उससे क्लोज़ होता गया जबकि वो मुझसे उतनी क्लोज़ नहीं थी। पहले हमारा फ़ेसबुक का कोई फ़िक्स टाइम नहीं था लेकिन अब हमारा फ़िक्स टाइम था। उसे जब काम होता या मुझे होता तो हम एक दूसरे को टाइम दे देते और वही टाइम पे आके चैट करते थे। मेरा वैकेशन ख़त्म होने पे था और रिजल्ट एच०एस०सी० के आ चुके थे और मैं 67% मार्कस से पास हो गया था और कॉलेज में एडमिशन ले लिया। लेकिन हमारी चैट बढ़ती चली गयी। अब हम चैट पे बहुत क्लोज़ हो चुके थे बट ऐज़ ए फ्रेंड।

मैं उसे सिर्फ़ टाइम पास समझने की कोशिश करता था। बट फिर भी हम एक दूसरे की बहुत केयर करने लगे मुझे भी बहुत अच्छा लगता था। अभी तक हमने एक दूसरे को देखा भी नहीं था, मैंने उससे उसकी रियल पिक्चर अपलोड करने को कहा और बदले में मैंने भी अपनी रियल पिक्चर अप्लोड किया। उसकी पिक्चर देखा तो माशा अल्लाह बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी। हमारा वक़्त ऐसे ही गुज़रता गया और अब हम इतने क्लोज़ थे कि एक दूसरे को ख़ुद से ज़्यादा जानने लगे थे। मैं तब भी इग्नोर करता था कि ये प्यार नहीं है। क्योंकि ऐसा एट्रेक्शन 12वीं की पिकनिक में मेरे साथ एक लड़की को लेकर हो चुका था। और मैंने अपनी पोस्ट भी आलिया से शेअर की।

एक्ज़ाम का रिज़ल्ट

मेरा फ़र्स्ट ईयर बी० कॉम० का फ़र्स्ट समेस्टर आ चुका था और पहली बार ऐसा हुआ कि कोई एक्ज़ाम हो और मैंने उसकी कोई तैयारी न की हो। मैंने ये बात आलिया को बताई। उसने मुझसे कहा कि अब एक्ज़ाम के बाद ही बात करेंगे। मुझे पहले थोड़ा अजीब लगा और मैंने सोचा मेरा एक्ज़ाम है, इसको क्या प्रॉब्लम है बात करने में। वेल मैंने अपना एक्ज़ाम पढ़कर दिया और एक्ज़ाम के लास्ट दिन जब मैंने फ़ेसबुक खोला तो देखा कि उसका मैसेज था कि “इंसाअल्लाह आप पास हो जाओगे और शाम को मिलो”। मैंने कहा “पहले क्यों नहीं बात किया” उसने समझाया अगर हम बात करते तो आप कंसनट्रेट नहीं कर पाते”।

एक्ज़ाम रिज़ल्ट

वेल अब मैं आप सभी को आलिया के बारे में बताता हूँ “आलिया एक अच्छे फ़ैमिली की लड़की थी। फ़ैमिली में उसकी मम्मी, छोटी बहन, एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन जिसकी शादी हो चुकी थी। आलिया के डैडी नहीं थे। बड़ा भाई जॉब करता था और वो छोटे बच्चों को घर में ट्यूशन पढ़ाती थी और साथ ही साथ कॉलेज से करस्पॉन्डेंस कोर्स कर रही थी। और वो मुझसे 3 साल बड़ी थी। ये बात हम दोनो जानते थे। वेल हम दोनों की बातें यूँ ही चलती रही।

मेरा रिज़ल्ट आया मैं सब सब्जेक्ट में पास था ये सुनकर उसने एक्साइटमेंट में मुझसे कहा “थैंक यू जानू”।

जानू वर्ड सुनकर मैं चौंक गया लेकिन मुझे अंदर से बहुत अच्छा लगा। अगले मैसेज में उसने मुझे जानू कहने के लिए सॉरी कहा और मैंने कहा इट्स ओ० के० आपको कहना है तो कह सकते हो उसने नहीं कहा। मैंने कुछ फिर नहीं कहा। मैं अब ख़ुद से ज़्यादा उसकी केअर करता था। क्योंकि वो कहने के मामले में सुस्ती करती थी। और सब पहले खा लेते थे, फिर वो खाती थी। मैं भी उससे झूठ बोल देता था कि मैंने भी नहीं खाया है, तब खाती थी। जबकि सच तो ये है कि मुझे भूख बर्दाश्त नहीं होती है। वेल हमें बात करते करते 8 महीने हो चुके थे। अब हम दोनों के एक्ज़ाम आ चुके थे। उसका एक्ज़ाम पहले था मेरा 20 दिन बाद। बातों बातों में मैंने एक दिन कहा कि -“मुझे आपसे फ़ोन पे बात करनी है।” उसने मेरा नम्बर लिया और कहा कि फ़र्स्ट पेपर के बाद वो मुझे फ़ोन करेगी। और मैंने कह एक्ज़ाम टाइम हम बिल्कुल बात नहीं करेंगे फिर भी मैंने कहा आप बस 5 मिनट के लिए फ़ोन कर लेना। उसने कहा ठीक है और एक्ज़ाम का टाइम बताया।

अगले दिन मैं अपने रूम में जाके 2 बजे के बाद फ़ोन का इंतजार करने लगा। 2.30 बजे के क़रीब मेरा फ़ोन बजा, मैंने देखा अंजान नम्बर है, मैंने फ़ौरन सलाम किया और उसने जवाब दिया। माशा अल्लाह उसकी आवाज़ बहुत प्यारी थी। हमने करीब 10 मिनट तक बात की ख़बर ख़ैरियत पूछा और नेक्सट एक्ज़ाम के लिए बेस्ट ऑफ़ लक कहा और कहा कि बात करके बहुत अच्छा लगा।

उसके बाद वो हर एक्ज़ाम के बाद कॉलेज से घर पहुँचने तक बात करती। अब मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये प्यार है या एट्रेक्सन। वेल मैंने कहा जो भी हो ठीक है। एक्ज़ाम के बाद हमारी फ़ोन पे बात नहीं होती थी। क्योंकि वो फ़ोन पे बात नहीं कर सकती थी। उसकी मम्मी को लव मैरेज पसंद नहीं था। और मैं अपने घर में अपने डैडी से बहुत डरता था मेरे डैडी ओल्ड माइंड के इंसान हैं। वैकेशन में मैंने एक कॉल सेंटर ज्वाइन किया और काम करने की वजह से आलिया से मेरी कम बात होने लगी। क्योंकि मैं सुबह काम पर जाता और रात को 8 बजे जल्दी सो जाता था। वैकेशन ख़त्म होने वाला था। मैंने जॉब छोड़ दिया क्योंकि सेकेण्ड ईयर का कॉलेज स्टार्ट होने वाला था।

एक दिन चैट पे मैंने आलिया को प्रपोज़ कर दिया। मैं प्रपोज़ करना नहीं चाहता था लेकिन अपनी फ़ीलिंग रोक नहीं पाया। और उसका जवाब था आई लव यू टू बट ऐज ए फ्रेंड। मैंने उसकी बात समझ ली मैंने ओके कहा और हम अभी भी बहुत अच्छे फ्रेंड थे।

एक दिन बाद आलिया को अपने गाँव जाना पड़ा, कुछ अर्जेंसी की वजह से! गाँव मे उसकी बड़ी बहन रहती थी। 15 दिनों तक हमारी कोई बात नहीं हुई और मैं अंदर से टूटता जा रहा था। फिर 15 दिनों के बाद उसका फ़ोन आया और ख़बर पूछा। मैं उस दिन बहुत ख़ुश था, हमने थोड़ी देर बात की। फिर हमने शाम का टाइम लिया, चैय करने के लिए। चैट पे और फ़ोन पे, मेरी आलिया बहुत बेचैन थी।

मैंने रीजन पूछा तो उसने कहा आई लव यू जानू एलॉट, मैंने कहा क्या हुआ? उसने कहा कि 15 दिन मेरे बिना उसके लाइफ़ के सबसे मुश्किल दिन थे और आई लव यू एलॉट, मैंने कहा आई लव यू टू हमेशा। मैं भी पूरी तरह से टूट चुका था आपके बिना। अचानक मेरे सेल की घंटी बजी मैंने फ़ोन ऊपर वाले रूम में जाके उठाया। वो फ़ोन उसका था। जब मैंने हेलो कहा तो सामने से हल्का रोने की आवाज़ आ रही थी। वो सिसक रही थी, मैं भी पहली बार इमोशनल हुआ और मैं फिर से आई लव यू कहा और कहा डोंट क्राई। उसने कहा पता नहीं ये कैसे हो गया? हमारे साथ आई लव यू, मैंने उसे थोड़ी तसल्ली दी और फ़ाइनली उसकी थोड़ी मुस्कुराहट वापस आई।

अब मैं भी उससे प्यार करने लगा था। पता नहीं चला ये सब कैसे हो गया लेकिन मैंने ख़ुदा का शुक्र अदा किया
अब मैंने अपनी फ़ेसबुक पे अपनी एक सीक्रेट ग्रुप बनाई जिसमें सिर्फ़ हम थे। अब तक हम कभी एक दूसरे से मिले नहीं थे। वेल एक दिन मैंने उससे मिलने को कहा उसने भी कहा उसे भी मुझसे मिलना है। हम प्लान बनाने लगे उसने घर पे एक्ज़ाम का टाइमटेबल देखने का बहाना किया। हम 10 बजे मिलने वाले थे उसने मुझे सेंटाक्रुज़ के बस स्टॉप पे मिलने को कहा। मैं भी सुबह 8 बजे कॉलेज गया और एक लेक्चर से पहले ही वहाँ से निकल गया और 10 बजे से पहले वहाँ पहुँच गया। मुझे सेंटाक्रुज़ का ज़्यादा कुछ पता नहीं था और मिलने के लिए वो और उसकी छोटी बहन आने वाली थी। उसकी छोटी बहन मेरे आगे की बस में थी, उसे हम दोनों के बारे में पता था।

बस स्टॉप पर उसका इंतज़ार

मैंने एक दिन पहले ही अपने आलिया के लिए गिफ़्ट लेकर आ गया था और मैं स्टॉप पे आके खड़ा हो गया। सुबह के 10:15 मिनट हो रहे थे। मैंने सामने वाले बस स्टॉप पे देखा तो एक बस निकलने जा रही थी। मैंने मैसेज किया कि कहाँ हो? उसका रिप्लाई आया ” मैं बस में बैठने जा रहा हूँ, आप भी बस में आ जाओ “। ओ तेरी मैं अपोज़िट स्टॉप पे वेट कर रहा था। बस निकलने जा रही थी। मैं तूफ़ान की तरह दौड़ा और बस पे चढ़ गया। अब उस बस में आगे की लेडीज़ सब नक़ाब में थी, फिर मुझे मैसेज आया कि हम एस०एन०डी०टी० कॉलेज के पास वाले स्टॉप पे उतरना है। मैंने रिप्लाई किया मैडम पहले बताओ तो बैठे कौन सी सीट पे हो! फिर मैसेज आया “क्यों आप नहीं पहचान पाये”। तभी मैंने देखा सेकेण्ड सीट पर दो गर्लस मुझे ही देख रही थी मैं पहचान गया लेकिन फिर भी कनफ़्यूज़न थी कि दोनों में से वो है कौन? ऑफ़्टर आल, मैंने मैसेज किया मुझे स्टॉप नहीं पता। अब आपका काम है मुझे बस से उतारना। जब स्टॉप आया तो वो दोनों पीछे आये और इशारा किया और पीछे से उतरने लगे। फ़ाइनली वो लम्हा आया जब मैं अपनी जान से मिला।

बस स्टॉप

मैंने दोनों से हैंडशेक किया। फिर हम कॉलेज की तरफ़ बढ़े और कॉलेज में हमने 4 घंटे एक साथ गुज़ारे। वो 4 घन्टे मेरी ज़िंदगी के सबसे ख़ूबसूरत घंटे हैं। हमें काफ़ी लेट हो गया था, अब हमने वहाँ से रिक्शा किया और स्टेशन की ओर बढ़ गये। जाने का दिल तो बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मजबूरी थी।

घर पहुँचने पर हमने फ़ोन पर बात की और हम अपनी लाइफ़ से बहुत ख़ुश थे। दूसरे दिन जब मैं बुक निकालने के लिए बैग खोला, तो थोड़ा शाक्ड हुआ उसने एक छोटा सा गिफ्ट बॉक्स था और एक लेटर था मैंने जैसे ही देखा अगले लेक्चर से बाहर आ गया और कैम्पस में आके गिफ़्ट बॉक्स खोला उसनें एक बहुत प्यार सा चश्मा था और साथ ही मेरी जान का लेटर था। उस लेटर में बहुत कुछ ऐसी बातें थी जो हमारे लिए थीं। मेरे आँखों से आँसू आ गये और मैं फ़ोन किया कि इसकी क्या ज़रूरत थी और बस आई लव यू बाबू कहा वो भी मुझे रिप्लाई दी और एक फ़्लाइंग किस दी।

वक़्त इसी तरह बीतता गया। एक दिन बातों बातों में शादी की बात निकली। हम दोनों बहुत परेशान हो गये। मैं बहुत डिप्रेशन में आ गया क्योंकि पुराने ख़यालात की वजह से मेरे डैडी कभी नहीं मानने वाले थे और उसके घरवाले भी नहीं। अब मेरा डिप्रेशन उससे देखा नहीं गया और अब हम एक दूसरे से मिलने के लिए बेचैन थे, उसकी मम्मी कुछ काम की वजह से बाहर गई थी। हमने जुहू में मिलने का प्लान बनाया। हम सेंट्राक्रुज स्टेशन पर मिले और वहाँ से चौपाटी गये रिक्शे में बस हम दोनों एक दूसरे को देखने जा रहे थे, मैं उसकी आँखों में वो दर्द साफ़ देख सकता था। मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसे तसल्ली दी।

हम जैसे ही जुहू पहुँचे, बहुत दूर एक शांत सी जगह पर बैठ गये। अब हमने एक दूसरे से शादी के टॉपिक पर बात की और हम दोनों किसी रिज़ल्ट पर हम नहीं पहुँच पा रहे थे। क्योंकि ये हम दोनों के लिए बहुत मुश्किल था और आलिया कभी अपने मम्मी का दिल नहीं दुखा सकती थी। फ़ाइनली हमने फ़ैसला किया कि जब तक हो सके, हम एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे और सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में छोड़ दिया। मैंने कहा जान आप 3 साल वेट कर लो, मैं आपके अलावा किसी और का सोच भी नहीं सकता। उसने कहा मैं कोशिश करूँगी, सब मम्मी के हाथ में है और डैडी के जाने के बाद मम्मी ने ही सब कुछ किया है।

उस दिन से उसकी इज़्ज़त मेरी नज़र में और बढ़ गयी, क्योंकि मैंने पहली बार किसी को देखा था, फ़ैमली की ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी क़ुरबान करते। 4 महीने बाद उसने बताया कि उसका रिश्ता उसकी मम्मी ने गाँव में रिलेटिव से कर दिया है। और नेक्सट मंथ शायद गाँव जा रहे हैं शादी के लिए। मैंने ये सुनते ही फ़ोन कट कर दिया और फेंक दिया और लेटकर बहुत रोया। ऐसा लग रहा था कि दिल में बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने अपनी जानू के बारे में नहीं सोचा कि उसपे क्या बीत रही होगी। शायद कुछ पल के लिए मैं ख़ुदगर्ज़ हो गया था। मैंने रोते हुए फ़ोन ठीक किया और फ़ोन लगाया सामने से छोटी बहन ने फ़ोन उठाया। मैंने कहा आलिया कहाँ है? उसे फ़ोन दो उसने कहा जीजू बाज़ी को बहुत तेज़ बुखार है और आँख में इंफ़ेक्शन हो गया है। अभी मम्मी डॉक्टर के पास लेके गयी है।

बाइक फिसल गयी

इससे बुरा मेरे साथ और क्या हो सकता था? मुझे बस अपनी आलिया से मिलना था? मैंने उसकी बहन से कहा कि प्लीज़ जब वो आये तो फ़ोन करके बात कराना और फ़ौरन अपने जीजू से बाइक माँगकर उसकी घर की तरफ़ निकल पड़ा। बदक़िस्मती शायद मुझ पर हावी थी और मैंने बाइक चलाते वक़्त मेरी ग़लती जल्दबाज़ी से बाइक फ़िसल हो गई और मैं बाइक लेकर गिर गया। जहाँ गिरा वहाँ कुछ लोग पहचान के थे, उन्होने फ़ौरन अब्बा को फ़ोन किया और जब मुझे नज़दीकी हॉस्पिटल लेकर जाया गया और मैं राइट साइड गिरा था तो राइट हैंड से ब्लीडिंग थी और पूरा फ्रैकचर हो गया और मेरा फ़ोन भी स्विच ऑफ़ था और घर में था। जैसे ही होश पूरा आया तो घरवालों ने पूछा तो बस मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे और घर पे बता भी नहीं सकता था।

motorbike slipped

मैंने किसी तरह फ़ौरन मोबाइल मंगवाया और मैं आलिया को बता भी नहीं सकता था, कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है और हास्पिटल से मैं घर आने लगा मेरा पूरा हैंड पर प्लास्टर था। मैंने हिम्मत करके एक मैसेज कर दिया अगले दिन कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है लेकिन कहा कि हाथ पर थोड़ी सी चोट लगी है। डॉक्टर ने 45 दिन के बाद प्लास्टर खोलने को कहा था और मैं अपनी जान को देखने के लिए तड़प रहा था।

तभी एक फ़ोन आया मैंने फ़ोन रिसीव किया फ़ोन पर उसकी छोटी बहन थी। हमने थोड़ी बात की फिर उसने फ़ोन लिया और मैंने हल्की सी स्माइल के साथ उसे सलाम किया, उसने बहुत बैठी आवाज़ में जवाब दिया और पूछने लगी क्या हुआ? मैंने कहा कुछ नहीं एक छोटा सा एक्सीडेन्ट हुआ है, उसने कुछ नहीं कहा। ऐसा लग रहा था मानो मेरी आलिया रो रही थी। मैंने उसकी तबीयत पूछी उसने कहा सब ठीक है, बस एक तू नहीं है। मैं कुछ कह नहीं पाया। और कहा अब फ़ोन रखता हूँ, थोड़ी देर के बाद बात करता हूँ। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि शादी के बारे में पुछूँ कि क्या हुआ? हम शाम में चैट पे मिले फ़ेसबुक पर और उसने कहा बस 1 महीना है मेरे पास आप मुझे अपना बनाकर ले जाओ।

घर पर बात करूँगा

मैंने उससे कहा मैं ट्राई करूँगा और मैंने कहा आप अपनी मम्मी से बात करो तो उसने कहा आप पहले बात करो, आपके घरवाले पहले मान जाएँ तो हम भी कुछ कर सकते हैं। मैं कहा ठीक है। मैं अपने घर का एकलौता बेटा हूँ और मेरी 3 बड़ी बहन हैं सबकी शादी हो गई है। मेरे डैडी ये सब के ख़िलाफ बहुत सख़्त है। हमारे ख़ानदान में लड़के की ऐज ज़्यादा हो तो चलेगा बट लड़की की ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। अब मैं बहुत गहरी सोच में था, वजह ये थी कि मेरी पढ़ाई स्टार्ट थी, जिसे ख़त्म होने में एक साल लगता और न ही मैं अभी तक मैं अपने पैरों पे खड़ा था। तो भी मै अपनी बड़ी बहन के पास गया और सोचा कि उसको बता दूँ। मैंने कहा कि मुझे कोई पसंद है इतना कहना था कि उसने मुझे चुप करा दिया और कहा अभी ये सब मत सोचो पढ़ाई कर ले और डैडी को पता चलेगा तो बहुत बुरा होगा। मैं डर गया जैसे इस सब में मेरी ग़लती थी। क्या प्यार करना कोई ग़लती होता है?

मैं ज़्यादा इधर-उधर भी नहीं कर सकता था, क्योंकि मेरे हाथ पे प्लास्टर था। अपनी बहन की बात सुनकर मैं थोड़ा डर गया। मैंने सोचा अगर बहन इतना बोल रही है तो डैडी क्या कहेंगे? मैं बस उसी के बारे में सोचता रहता 5 दिन हो गये थे। मैंने उन 5 दिनों में आलिया से ज़्यादा बात नहीं की थी और उसे प्लास्टर के बारे में भी नहीं बताया था। उसके बाद जब मैंने बात की तो उसने कहा मम्मी ने डेट फ़िक्स कर दी थी, 1 महीने बाद की। गाँव जाने की तैयारी भी लगभग पूरी हो चुकी थी और उसके आवाज़ में बहुत दर्द था और पूछा आपने बात की? मैंने कहा कि कोई फ़ायदा नहीं हुआ घर वाले नहीं माने। फिर मैं अपने आपको नहीं रोक पाया और कहा हम मिलेगें बहुत जल्द उसने कहा प्लीज़ ज़्यादा देर मत करना।

जबसे हमें निकाह की बात पता चली है, न वो ख़ुशी से बात कर पाती थी और न मैं। मानो हम बात नहीं एक दूसरे को तसल्ली दे रहे हों। मेरे घर में मेरे रिलेशनशिप के बारे में सिर्फ़ मेरे एक फ्रेंड को पता था और थोड़ा बहुत बड़ी बहन को। वो रोज़ कहती थी कब मिलोगे और मेरा यही जवाब आया बहुत जल्दी। दिन बीतते गये और अब उसके गाँव जाने में 2 दिन बचे थे और मेरे प्लास्टर को खुलने में अभी भी टाइम था। फ़ाइनली मैंने हाँ कहा और कल मिलने का प्लान बनाया वहीं जहाँ पहली बार मिले थे। कॉलेज में क्योंकि उसी कॉलेज से एल०सी० लेने जाना था। जैसे हमने एक दूसरे को देखा, बिना किसी की परवाह किए एक दूसरे को हग किया।

उसने हाथ पर प्लास्टर देखा और उसके आँखों से आँसू निकल रहे थे। मैंने उसका आँसू पोछा और और उसे एक्सीडेंट के बारे में बताया और माफ़ी भी मांगी और उसने मेरे मुँह पे हाथ रख दिया और कहा प्लीज़ आप माफ़ी मत मांगो। मैं हर एक पल उस दिन अपनी आलिया के साथ जीना चाहता था। और मैं उस दिन अपनी आलिया के लिए कोई गिफ़्ट भी नहीं ले जा सका।

गले से लगाया

हमने कॉलेज से एल०सी० लिया और वहाँ से निकलकर कैम्पस में बैठ गये। हम बस उस दिन एक दूसरे को देख रहे थे और उसके आँसू बंद भी नहीं हो रहे थे। मैंने उसको मनाया तब जाके उसके आँसू रूके और शायद मैं भी रो रहा था। और उसने कहा आप कभी मत रोना और अम्मी, अब्बा क ख़याल रखना और कैरियर पे ध्यान देना और थ्रर्ड ईयर में अच्छे परसेंटेज से पास होना, ये उसके लिए सबसे बड़ा गिफ़्ट होगा और साथ ही में उसने अपने बैग से एक छोटा सा गिफ़्ट बॉक्स दिया। मैं बस उसकी बात सुनते जा रहा था और मेरे मुँह से कुछ निकल ही नहीं रहा था और उसे ही देख रहा था। सोच रहा था काश! ये वक़्त यहीं रुक जाये। और मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने सिर पर रखने को कहा कि वो भी ख़ुश रहे उसने क़सम नहीं खाई लेकिन प्रॉमिस किया कि कोशिश करूँगी जीने की। वक़्त ज़्यादा हो गया था, उसके घर से फ़ोन आ रहा था। अब हमारे बिछड़ने का वक़्त आया और हमारे आँखों में सिर्फ़ आँसू थे।

प्यार क्या है

मैंने उसे स्टेशन तक छोड़ा और हम वहाँ से अलग हुए और फ़ोन पे बात करने लगे। वैसे सिर्फ़ फ़ोन की लाइन चालू थी, न वो कुछ कह पा रही थी न ही मैं। हम ऐसे ही घर पहुँच गये। हम दोनों अपना दर्द दिल में छुपा रखे थे, सिर्फ़ उसकी छोटी बहन को पता था। मेरा तो वो हाल था कि किसी को बता भी नहीं सकता था। बस अपने रूम में लेटा रहता और रोता रहता था। जब उसे जाने क दिन आया उसने कहा आख़िरी बार वो उसे देखना चाहती है और बोरिवली स्टेशन पे बुलाया था लेकिन उसकी ट्रेन सुबह के 7 बजे की थी। मैंने कहा ठीक है मैं आऊँगा। लेकिन मैं कैसे जा पाता, क्योंकि ऊपर मैं सोता था और जाने के लिए 5.30 बजे मुझे घर से निकलना पड़ता लेकिन डैडी नीचे सोते थे, उनसे क्या कहता कि इतनी सुबह कहाँ जा रहा हूँ। क्योंकि उतने टाइम थोड़ा अंधेरा भी रहता था।

मेरी ग़लती

वो मेरी ग़लती थी कि मैं उससे मिलने जा नहीं  पाया और शायद लाइफ़ की सबसे बड़ी ग़लती थी। उसके बाद से मैंने आलिया ले नम्बर पे फ़ोन भी लगाया और उसके मम्मी के नम्बर पर भी लगाया पर दोनो लोगों क नम्बर स्विच ऑफ़ जा रहा था। मैंने फ़ौरन फ़ेसबुक खोला और देखा। उसका मैसेज था कि जानू आप नहीं आये, आपको देखना था और आइ मिस यू और लव यू और हाँ जल्दी मिलेगें। मैंने सोचा गाँव पहुँचकर वो मैसेज करेगी, बट अगले 15 दिन तक हर पल उसकी याद और नेक्सट मैसेज का वेट कर रहा था। 16 दिन के बाद उसने पोस्ट किया हमारे ग्रुप में जिसमें लिखा था “जानू हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ” मेरा रिप्लाई था शायद इसका जवाब मेरे पास भी नहीं और उसका कमेंट आया कि जल्दी बात करेंगे अगले 1 महीने तक न कोई मैसेज और न कोई काल आया।

मैं पूरी तरह टूट चुका था और थर्ड सेमेस्टर में मैं 4 सब्जेक्ट में फ़ेल हो गया था और बहुत स्मोकिंग करने लगा था। फिर मैंने उसके घर का नम्बर ट्राई किया उसकी छोटी बहन ने फ़ोन उठाया और मैंने पूछा तो उसने कहा कि कुछ देर के बाद आपको फ़ोन करती हूँ क्योंकि घर पे मम्मी थी। फिर कुछ देर बाद इंतजार करने के बाद उसका फ़ोन आया, पर मैंने कट करके खुद फ़ोन किया। और हाल चाल पूछने लगा उसने कहा सब ठीक है और आलिया के बारे में पूछा तो उसने कहा वो गाँव में ही है और ज़्यादा कुछ नहीं बताया। अगली 9 तारीख को वो मुम्बई आ रही थी। मैंने फ़ोन कट किया और मुझे री-एक्ज़ाम देने थे। मैं सब पेपर की तैयारी करने लगा क्योंकि मैं उसकी हर ख़ाहिश पूरी करना चाहता था, जो जो उसने कहा था और 9 तारिख़ का वेट करने लगा।

लम्बा इंतज़ार

महीने की 9 को भी कोई फ़ोन नहीं आया मैंने 15 तक वेट किया और जब एक्ज़ाम देके घर आ रहा था, तब मेरे फ़ोन पर उसके मम्मी के नम्बर से मिस्ड कॉल आया। मैंने फ़ौरन फ़ोन किया, उसने सलाम किया और मैंने जवाब दिया और वो ख़ामोश हो गई फिर मैंने पूछा कैसी हो उसने कहा ठीक हूँ और आप कैसे हो? अपनी जान की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा मानो जैसे वो मेरी आलिया है ही नहीं। हमारे पास बात करने के लिए कुछ था ही नहीं क्योंकि अब हमारे बीच शायद कुछ नहीं था।

उसने भी मम्मी डैडी और सबकी ख़बर पूछी और मैंने जवाब दिया उसने कहा 1 हफ़्ते के लिए मुम्बई आई हूँ और साथ में वो भी आया है। मैं ज़्यादा कुछ नहीं कह पाया और बस फ़ोन रखते वक़्त मिस यू ए लॉट कहा। उसका रिप्लाई आया “और कुछ नहीं कहना है” और मैंने कहा शायद अब मेरा हक़ नहीं है वो कहने का। और मुझे लग रहा था वो रो रही थी मैंने कहा – “आप रो रहे हो” उसने कहा नहीं और कहा अब वो फ़ोन रखती है फिर कभी करेगी।

हमने फ़ोन रख दिया। 5 दिन बाद फिर उसका फ़ोन आया और शायद वो हमारा लास्ट फ़ोन कॉल था उसने मुझसे बहुत नार्मल बिहैवियर के साथ बात की और मुझे फिर से बहुत समझाया जो पहले समझा चुकी थी। हमने थोड़ा बात की और उसने कहा सुबह वो शायद हमेशा के लिए गाँव जा रही है। और उसने रोते रोते आई लव यू कहा और मैंने भी। फिर उसने कहा अल्लाह हाफ़िज़।

उस दिन के बाद आज 4 महीना हो गया है और हमारी कभी कोई बात नहीं हुई। मैंने महीने में एक बार उसकी छोटी बहन के यहाँ फ़ोन करके उसकी ख़बर ख़ैरियत पूछा करता था और बार- बार उसका एक ही जवाब था कि बाजी बहुत खुश हैं और ठीक हैं।

एक दिन मैंने उसे उसकी बाजी की क़सम दी कि-“क्यों उसका जवाब यही रहता है कि बाजी ख़ुश हैं तो उसने बताया कि शादी से पहले कही की जब भी आपका फ़ोन आये, तो यही कहना और उसने फिर भी यही कहा ठीक हैं और खुश हैं। मैंने भी उसे क़सम दी कि कभी आलिया को ये मत बताना कि मैं तुम्हें फ़ोन करता हूँ और उसके बारे में पूछता हूँ।

पछतावा

दोस्तों आज 4 महीना हो गया है आज भी मैं हर सुबह मैं अपने सेल का मैसेज बॉक्स और फ़ेसबुक चेक कर लेता हूँ कि कोई तो मैसेज आया होगा। मैं आज भी पछता रहा हूँ कि काश! मैं उस वक़्त नहीं डरता और घर पे बात की होती तो शायद आज मेरी लाइफ़ कुछ और होती… ये जो मैंने अपने बारे में बताया है इसका सिर्फ़ एक ही मक़सद है कि आप मेरी ग़लती मत दोहराना।

love regret

मैं हर दिन हरपल पछता रहा हूँ और उसे ही याद करता हूँ। और आई लव यू आलिया सो मच। अब लाइफ़ का एक ही मक़सद है जो उसने कहा था उसे पूरा करना है और उन यादों के सहारे मैं अपनी पूरी लाइफ़ बिता सकता हूँ। और माफ़ी चाहूँगा दोस्तों अगर मेरे लिखने में कोई ग़लती हो गई हो तो। बस इतनी गुज़ारिश है कि आप मेरी ग़लती से सीखना और इसे कभी मत करना और अगर करना तो इसे निभाने की हिम्मत रखना और हाँ मेरी आलिया के लिए दुआ करना – वो जहाँ भी रहे मुझे भुलाकर ख़ुश रहे…

पता है दोस्तों ये दुआ मैं अपनी जान के लिए मांगने के लिए कह रहा हूँ पर हक़ीक़त तो ये है कि मैं चाहकर भी अपने आपको उसकी यादों से दूर नहीं कर पा रहा हूँ…

इश्क़ का ये राज़ कभी किसी को मत बता देना,
दिल में न समाये तो अश्कों में ही छुपा लेना।
कोई हवा का झोंका था जो छूकर निकल गया,
इस क़दर मेरी जान तुम मुझको भुला देना॥

गर आप कुछ पूछना चाहते हैं या कोई सलाह देना चाहते हैं तो आपके सलाह का इंतज़ार रहेगा। आप अपने मन की बात नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं। इसके अलावा अगर आप्के पास भी कोई ऐसी ही स्टोरी है तो शेअर करें। हम आपकी कहानी अपनी इस वेबसाइट पर शेअर करेंगे।

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