मिर्गी का कारण हो सकता है मस्तिष्क में दाग

होम्‍योपैथ एक अद्भुत चिकित्‍सा पद्धति है। एलोपैथ में ऑपरेशन के बाद भी किसी रोग के ठीक होने की गारंटी नहीं है, वहीं होम्‍योपैथ में बिना किसी चीर-फाड़ के रोग आसानी से ठीक हो जाते हैं और शरीर पर किसी दवा का दुष्‍प्रभाव भी नहीं पड़ता है। एक तो एलोपैथ रोग का इलाज करता है कारण का नहीं। बहुत से ऐसे रोग होते हैं जिनका कारण कुछ और होता है और दवाएं किसी और की दी जाती हैं। ऐसे में रोग तो नहीं ही जाता है, साथ ही शरीर पर दुष्‍प्रभाव भी डालता है। जबकि होम्‍योपैथ में कारण का इलाज होता है और कारण समाप्‍त होते ही रोग विदा हो जाता है। इससे मिर्गी का कारण पता चलने पर भी सही इलाज संभव है।

मिर्गी का कारण
Mirgi ka daura – Epilepsy

मिर्गी का कारण

ऐसा ही एक वाकया 1975 में घटा। होम्‍योपैथ के वरिष्‍ठ चिकिेत्‍सक डॉ सतीश सक्‍सेना के पास एक व्‍यक्ति आए जिनका बेटा मिर्गी से पीड़ित था। उसका उपचार प्रसिद्ध न्‍यूरो चिकित्‍सक से चल रहा था लेकिन कोई लाभ नहीं था। लड़के की उम्र महज 13 साल थी और वह कक्षा आठ में पढ़ता था। मिर्गी का दौरा उसे खाना खाते समय ही आता था। अन्‍य समय में वह सामान्‍य रहता था। डॉ सतीश सक्‍सेना ने जब उसकी गहन जांच की तो उसके कनपटी पर लाल रंग का एक उभरा हुआ दाग दिखा। वास्तव में यही उसे मिर्गी का कारण था। पूछने पर लड़के के पिता ने बताया कि जब इसे मिर्गी का दौरा पड़ता है तो यह उभार और बड़ा होकर गहरे लाल तांबे के रंग में तब्दील हो जाता है। थोड़ी देर के बाद जब उभार सामान्‍य हो जाता है तो उसे होश आ जाता है।

मस्तिष्क में दाग

डॉ सतीश ने कहा कि मस्तिक में उस स्‍थान पर जो खाने-पीने की क्रियाओं का संचालन करता है, ऐसा ही एक दाग है, उसमें रक्‍त संचित होने से वह फूल जाता है और खाना-खाने के कारण उसमें हलचल अधिक होने से दबाव अधिक बढ़ जाता है जिससे मिर्गी जैसा दौरा पड़ता है। जब वह बेहोश हो जाता है तो मस्तिष्‍क निष्क्रिय होने के कारण धीरे-धीरे रक्‍त वहां से निकल जाता है। उसका आकार सामान्‍य हो जाता है और बच्‍चे को होश आ जाता है।

हालांकि उस बच्‍चे के पिता को डॉ सतीश पर विश्‍वास नहीं हुआ और वे उसकी दवा पुराने न्‍यूरो सर्जन से कराते रहे और रोग वैसे ही बना रहा। जब ऑपरेशन की नौबत आई तो वे डॉ सतीश के पास आए। डॉ सतीश ने ‘थूजा 1000‘ की दो खुराकें सप्ताह में एक दिन और ‘एन्टिम क्रूड 30‘ व ‘कॉस्टीकम 30‘ प्रति दिन दो- दो बार देना शुरू किया। तीन माह में उसे मिर्गी जैसा दौरा आना बंद हो गया लेकिन दवा तब तक चली जब तक कनपटी पर से वह लाल दाग पूरी तरह गायब नहीं हो गया।

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