गुलदाउदी व कनेर ये दोनों फूल हैं और हमारे आसपास ही मिल जाते हैं। लेकिन इनके औषधीय गुणों से हम अनभिज्ञ रहते हैं। आज हम आपसे इन दोनों फूलों के औषधीय गुणों की चर्चा करेंगे।
गुलदाउदी के औषधीय गुण

गुलदाउदी शरद ऋतु में खिलता है। इसे सेवती का फूल भी कहते हैं। इसकी मूल यानी प्रधानजड़ में अनेक शाखाएं व रेशे होते हैं। तना सीधा व कोमल होता है तथा उसमें कभी-कभी रोएं भी दिखते हैं। इसके फूलों में भरपूर औषधीय गुण होते हैं।
– गुलदाउदी के दो-तीन पत्तों पर देशी घी लगाकर घर में जलाने पर यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देता है और सकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है।
– गर्म पानी में इसकी पत्तियां दो मिनट के लिए डाल दें, उसके बाद पत्तियां निकाल कर पानी पी जाएं, यह हृदय रोगों में लाभकारी है।
– इसके फूलों व पत्तियों का काढ़ा अनियमित मासिक धर्म व मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से निजात दिलाता है।
– गुलदाउदी के फूलों का रस मधु या पानी के साथ लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
– शरीर पर कहीं भी गांठ हो, इसकी जड़ को घिसकर लगाने से गांठ चली जाती है।
– गुलदाउदी के फूलों को सुखाकर पीने से किडनी की पथरी गल जाती है या मूत्र मार्ग से बाहर आ जाती है।
– गुलदाउदी की चार-पांच पत्तियां व काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से रुक-रुक कर पेशाब होने की समस्या दूर हो जाती है।
कनेर के औषधीय गुण

कनेर एक ऐसा पौधा है जो हर गली-मुहल्ले व खासकर गांवों में हर घर के आसपास मिल जाएगा। पूजा में ज्यादातर लोग इसी के फूल का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह बहुतायत मात्रा में हमारे आसपास आसानी से मिल जाता है। इसमें भरपूर औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं, खास खुजली का यह रामबाण इलाज है।
– सौ ग्राम कनेर तोड़ लें और उसे आधा लीटर सरसों के तेल में पकाएं। जब तेल आधा रह जाए तो उसे आग से उतार लें और ठंडा होने पर किसी शीशी में भरकर रख लें। यह खुजली की अचूक दवा है, जब भी खुजली हो, इसका प्रयोग करें, खुजली शीघ्र ही दूर हो जाती है। अनेक प्रकार के त्वचा रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
– सरसों के तेल में कनेर के पत्तों को भूनकर खुजली वाले स्थान पर मलने से भी खुलजी दूर हो जाती है।
– एक पाव सफेद तिल के तेल में कनेर के पत्ते पकाकर त्वचा पर लगाने से सूखी व गीली दोनों तरह की खुजली दूर होती है।