चेरी लाल रंग का एक छोटा सा फल है। सैकड़ों वर्ष पूर्व कैस्पियन सागर के आसपास व यूरोप में इसकी उत्पत्ति हुई। यूनान में इसकी खेती के ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। भारत में इसका उपयोग अंग्रेजों के समय से माना जाता है। माना जाता है कि यह फल वे लोग ही लेकर भारत आए थे। अब तो भारत में ही इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है। जम्मू-कश्मीर व मनाली इसके उत्पादन के मुख्य क्षेत्र हैं।

चेरी के पोषक तत्व
आमतौर पर हम इस छोटे से फल को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन इसमें स्वास्थ्य के भरपूर गुण मौजूद हैं। चेरी शरीर में अनेक पोषक तत्वों की कमी को दूर कर हमें स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह विटामिन सी व ए का अच्छा स्रोत है, अन्य विटामिन भी इसमें थोड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम व फासफोरस जैसे खनिज तत्व भी इसमें मिलते हैं।
बीमारियों क उपचार
इस भागदौड़ की ज़िंदगी में कुछ ख़ास बीमारियां हैं जो अपना पैर फैलाती जा रही हैं। ब्लडप्रेशर, तनाव, अनिद्रा, गठिया, सिरदर्द आदि बीमारियां काफ़ी तेज़ी से फैली हैं। शायद ही किसी घर में इनसे पीडि़त कोई न हो। आज काम का दबाव, आगे बढ़ने की होड़ ने इन बीमारियों का सृजन किया है। काम के घंटे बढ़ गए हैं, आराम के घंटे कम हुए हैं। समय समाप्त हो जा रहा है लेकिन काम नहीं। इसकी वजह से तनाव जन्म ले रहा है और तरह-तरह की बीमारियों ख़ासकर ब्लडप्रेशर, शुगर व अनिद्रा आदि को पैदा कर रहा है। चेरी इन सभी बीमारियों का इलाज ही नहीं है बल्कि इनकी रोकथाम भी है।
एक शोध में यह बात सामने आई कि चेरी का तीखा जूस अनिद्रा को ख़त्म कर शांति प्रदान करता है तथा गठिया रोग की आशंका को समाप्त कर देता है। यह ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है और उसके नियंत्रण से तनाव अपने आप विदा हो जाता है। इस फल में मिलने वाला पोटैशियम शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम को नष्ट करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में पोटैशियम व सोडियम का संतुलन बनाए रखता है।

हृदय रोग में लाभकारी
एक तरह से चेरी पेक्टिन एक घुलनशील फ़ाइबर है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं जो कैंसर व हृदय रोग जैसे गंभीर रोगों की रोकथाम में मदद करते हैं।
जोड़ों के दर्द का इलाज
एक शोध में पाया कि जोड़ों के दर्द व सिरदर्द को कम करने में चेरी काफ़ी लाभप्रद है। ईस्ट लेंसिंग मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि यदि यदि एक दिन में कम से कम एक कटोरा चेरी खाया जाए तो पुराना गठिया, सिरदर्द, पेट की गड़बड़ी काफ़ी हद तक कम हो जाएगी और यदि नियमित इसका सेवन करते रहे तो इन बीमारियों को चेरी जड़ से समाप्त कर देगी। चेरी ख़ून में यूरिक एसिड की दर को भी कम करता है।