आज के समय में लोग लगातार कम्प्यूटर पर काम करते रहते हैं। जिससे आँखों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। वहीं बच्चे लगातार कम्प्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाने या फिर पढ़ाई और वीडियो गेम खेलने में लगे रहते हैं। लगातार काम करने के कारण हमारी आँख थक जाती हैं। नतीजा यह होता है कि कुछ दिनों में आँखों की ज्योति घटने लगती है जिस कारण से आज के समय में छोटे छोटे बच्चों को भी चश्मा लग जाता है। इसके अलावा अनुचित खानपान के कारण और पौष्टिक तत्वों के अभाव के कारण नेत्र में दोष उत्पन्न होने लगता है। अगर आप सब अपने नेत्र यानि आँखों की ख़ास देखभाल करना चाहते हैं तो अभी से उचित और पौष्टिक आहार का सेवन करें और आँखों की ख़ास देखभाल के लिए कुछ योग योग मुद्राओं को भी अपनाएँ। इन कुछ योग मुद्रा को अपनाने से आपकी चश्मा भी उतर जायेगा। नेत्र की रौशनी भी बढ़ेगी और आपकी आंखें हमेशा स्वस्थ रहेंगी। आइए इन योग मुद्राओं के बारे में जानें।

आँखों की ज्योति बढ़ाने वाले योगासन
1. देव ज्योतिमुद्रा विधि
– देव ज्योतिमुद्रा को करने के लिए एक स्वच्छ हवादार वाले स्थान पर चादर बिछाकर बैठ जाएँ।
– फिर अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों के पास रखें और पीठ एक दम सीधी हो।
– फिर हाथ की तर्जनी अंगुली यानि अंगूठे के पास वाली ऊँगली के सिरे को अंगूठे के सिरे से यानि शीर्ष स्थान से जोड़ लें।
– बाकि उंगलियों को एक दम सीधा रखें।
– लगभग 1 मिनट तक आप इसी मुद्रा में रहें।
– आप इस मुद्रा का नियमित अभ्यास सुबह और शाम दोनों पहर लगभग 6 बार कर सकते हैं।
लाभ
नेत्र के लिए बेस्ट योग देव ज्योतिमुद्रा के नियमित अभ्यास से नेत्र की कई समस्याओ का जैसे कम दिखना, आंखों में जलन, सूजन और आँखों से पानी आना आदि समस्याओं का निदान हो पाता है। इसके अलावा इसके रोज़ अभ्यास से जिनके चश्मा लग चुका है उनका चश्मा भी उतर सकता है। तो इसको नियमित अभ्यास में अपनाएँ और आँखों की रोशनी बढ़ाएँ।
2. प्राण मुद्रा की विधि
– इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आलथि पालथी मारकर बैठ जाएँ।
– अब पीठ सीधे और दोनों हाथ घुटनों के ऊपर हो।
– हाथ की कनिष्ठिका ऊँगली और अनामिका ऊँगली यानि सबसे छोटी तथा उसके पास वाली दोनों उंगलियों के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है।
– बाकि बची दोनो उंगलियां सीधी रहेंगी।
लाभ
इस मुद्रा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके लिए समय की कोई बाध्यता नहीं है। इसे आप कुछ मिनट भी कर सकते हैं। यह आँखों की ज्योति बढ़ाने में सहायक हैं। इसके नियमित अभ्यास से आप ह्रदय रोग से भी बचे रहेंगे।
3. सिंहासन की विधि
– सबसे पहले एक स्वच्छ और हवादार वाले स्थान पर चादर बिछा लें।
– फिर अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं।
– इसके बाद दाएं हाथ को दाएं घुटने पर तथा बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखें।
– एक लंबी सांस लें और उसके बाद मुंह द्वारा सांस को छोड़ें।
– फिर गर्दन को सामने की ओर झुकाकर ठोड़ी को गले के नीचे लगाएं।
– फिर सांस लें और छोड़ें। इस क्रिया को कम से कम दो से पांच बार दोहराएँ।
– फिर दोनों भौहों के बीच में देखें। इसके बाद अपने मुंह को खोलें और जीभ को बाहर निकालें।
– इस तरह से सिंहासन विधि का नियमित अभ्यास ज़रूर करें।
लाभ
सिंहासन आंखों के लिए बेस्ट है। इस योग के नियमित अभ्यास से आंखों की ज्योति और नसों की कमजोरी की समस्या दूर होती है। इसके अलावा इसके नियमित अभ्यास से चेहरे की चमक भी बढ़ती है।