अगर आप वाक़ई अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सजग हैं तो आपको उनका ख़ास ख़याल भी रखना पड़ेगा। किसी भी बच्चे के लिए स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मस्तिष्क का विकास ज़रूरी है। आइए जानें वे कौन सी ख़ास बातें है जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चों के दिमाग़ और याददाश्त दोनों को बेहतर बना सकते हैं।
याददाश्त बढ़ाने के टिप्स
1. धूम्रपान से दूर रखना
Keep distance from smoking
ऐसे बच्चे जो स्मोकिंग करने वाले लोगों या अभिभावकों के सम्पर्क में ज़्यादा रहते हैं उनके मस्तिष्क के विकास पर धूम्रपान का बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे बच्चों की आई क्यू 90 या उससे कम हो जाती है। जिससे याददाश्त कमज़ोर हो जाती है। स्मोकिंग चाहे एक्टिव हो या फिर पैस्सिव यह मनुष्य के लिए कई तरह से नुकसान पहुँचाती है। 2010 में इस्राएल में 18 से 21 वर्ष के युवाओं पर किये गये एक शोध के अनुसार स्मोकिंग न करने वाले युवाओं की औसत आईक्यू 101 पायी गयी जबकि स्मोकिंग करने वाले युवाओं की औसत आई क्यू 90 पायी गयी।
2. संगीत सीखना
Learn music and art
भारतीय समाज में संगीत को ईश्वर की उपासना के समान माना गया है। यदि बच्चों को बचपन से ही संगीत शिक्षा दी जाये तो उनके मस्तिष्क का विकास बेहतर होता है। बच्चों में एकग्रता और आई क्यू दोनों बढ़ जाते हैं। साल 2011 में 4-6 साल के बच्चों पर किये गये अध्ययन के अनुसार जब उन्हें एक महीने संगीत सिखाया गया तो उनके आई क्यू में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। इसी प्रकार सन 2004 में ड्रामा और थियेटर सीखने वाले बच्चों पर किये गये शोध में यह बात सामने आयी थी सामान्य बच्चों के मुक़ाबले उनकी याददाश्त और आई क्यू अधिक होती है।
3. दम्पत्ति के आपसी सम्बंध
Create home not house
बच्चों के माता-पिता का आपसी सम्बंध से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दम्पत्ति के पहले बच्चे का आइ क्यू और याद रखने की क्षमता माता-पिता के आपसी सम्बंध अच्छे होने कारण बेहतर होता है। इस मामले में पहले बच्चे का आइ क्यू अधिक होने का का कारण जीव विज्ञान से नहीं जुड़ा है। इसलिए यदि परिवार में ज़्यादा हँसी-ख़ुशी का माहौल हो तो बच्चों के तन-मन का सम्पूर्ण विकास होता है।
4. किताबें पढ़ना
Do friendship with books
कहते हैं कि किताबें आदमी की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। यदि हम बच्चों में बचपन से पढ़ने की रुचि डालें तो उनका मानसिक विकास तेज़ होता है। आज के गूगल युग में लोगों ने किताबें पढ़नी कम कर दी हैं और लाइब्रेरियाँ ख़ाली पड़ी हैं। यही कारण है कि बच्चों का ख़ुराफ़ात में दिमाग़ ज़्यादा लगता है और उनमें सकारात्मक गुणों का अभाव रहता है। जबकि जो अभिभावक अपने बच्चों दोस्ती किताबों से कराने में सफल हो जाते हैं उनकी आइ क्यू अन्य बच्चों की तुलना में बेहतर होती है।
5. शिशुओं समुचित स्तनपान कराना
Breast feeding to baby
ड्यूक विश्वविद्यालय में हुए एक शोध में पाया गया कि माँ का दूध न केवल शिशु के शारीरिक विकास के लिए बल्कि उनकी आइ क्यू बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसलिए गर्भावस्था और बच्चे के जन्म में बाद भी माँ को अपने खान-पीन का पूरा ध्यान रखना चाहिए जिससे बच्चे का सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। इस बात का आगे चलकर बच्चे की याददाश्त पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
6. बायें हाथ से लिखना
Left hander
ऐसा अक्सर देखा गया है जो बच्चे दायें हाथ से न लिखकर अपने बायें हाथ से लिखने हैं उनका अन्य बच्चों की अपेक्षा आइ क्यू अधिक होता है। उदा० के लिए आप अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा हो ले सकते हैं या इतिहास के महान व्यक्तियों के बारे में पढ़ें और जानें तो उनमें से अधिकांश लोग आपकों बायें हाथ से काम करने वाले मिल जायेंगे।
7. शारीरिक लम्बाई
Growth and height
जिन बच्चों का लम्बाई अपनी उम्र के अन्य बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है वे पढ़ने, खेल और अन्य कार्यों में ज़्यादा आगे रहते हैं। प्रिंस्टन में हुआ एक शोध बताता है कि तेज़ दिमाग़ वाले बच्चों में उनके क़द की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शोध में पाया की लम्बे बच्चों ने आइ क्यू परीक्षा अच्छे अंक प्राप्त किये। बच्चे की शारीरिक लम्बाई अनुवांशिक गुणों और सही भरण-पोषण पर निर्भर करती है। इसलिए बच्चों के खान-पान पर बचपन से ध्यान देना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और बौद्धिक विकास ठीक प्रकार से हो सके।