सरसों का तेल औषधीय गुणों से भरपूर

सरसोंं के तेल को कड़ुवा तेल भी कहते हैं। हर घर में इसका प्रयोग होता है। सब्‍ज़ी बनाने या ज़्यादातर चीजों को तलने-भुनने के लिए सरसों का तेल उपयोग में लाया जाता है। शरीर की मालिश हो या सिर दर्द, सबमें यह कारगर है। यह सिर्फ़ खाने में ही स्‍वादिष्ट नहीं है बल्कि इसमें भरपूर औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। आदि काल से घरों में सरसोंं के तेल का उपयोग होता है। अब इसकी जगह रिफाइंड व अन्‍य तेलों का प्रयोग होने लगा है, शायद इसी वजह से अनेक बीमारियों ने दस्‍तक दी हैं। पहले केवल सरसोंं के तेल का उपयोग कर लोग स्‍वस्‍थ व प्रसन्‍न रहा करते थे। यह शरीर के लिए अत्‍यंत उपयोगी है। यदि इसका नियमित प्रयोग किया जाए तो किसी दवाई की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आज हम सरसोंं के तेल के औषधीय गुणों की चर्चा करेंगे।

सरसों का तेल

सरसों के पोषक तत्‍व

सरसों में अनेक प्रकार के पोषक तत्‍व पाए जाते हैं।

– इसमें कैरोटिन्स, जियक्साथिंस एंड ल्यूटिन, विटामिन ए, सी व के भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इन सभी विटामिन से युक्‍त होने के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट भी है जो बढ़ती उम्र में पड़ने वाली झुर्रियों, निशान व रिंकल को दूर करने में सहायक है। इसका नियमित सेवन पेट में गैस्ट्रिक जूस की तरह हमारे ऐपिटाइजर के रूप में काम करता है, इससे भूख बढ़ती है।

– सरसों के बीज में बी-कॉम्पलेक्स विटामिन जैसे-फोलेट,थियामाइन, नियासिन, रिबोफ्लाविन भी पाया जाता है। इसका सेवन शरीर के मेटाबॉलिज्‍म को बढ़ाता है व मोटापा कम करने में सहायक होता है।

– सरसोंं के तेल में ग्लुकोजिलोलेट होता है जो कैंसर विरोधी गुणों के कारण कैंसर टयूमर से बचाता है।

– इसमें सेलेनियम एंड मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है, इन दोनों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होता है।

– सरसोंं के तेल के नियमित सेवन से अस्थमा-सर्दी और ब्रेस्ट की परेशानियों में काफी लाभ होता है।

दर्दनाशक सरसों का तेल

– सरसोंं के तेल में दर्द को दूर भगाने की ताकत होती है। कमर दर्द में सरसोंं के तेल में थोड़ी हींग, अजवाइन व लहसुन मिलाकर गर्म कर लें और उसकी मालिश करें। दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।

– पिंडलियों के दर्द के लिए केवल सरसोंं के तेल को गर्म करके लगाने से दर्द दूर भाग जाता है।

– कान के दर्द में सरसोंं के तेल में लहसुन की दो-चार कलियां मिलाकर गर्म कर लें और दो बूंद कान में डाल दें, तुरंत आराम मिलेगा।

– सरसोंं के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में राहत मिलती है।

– सरसोंं के तेल से शरीर की मालिश करने से रक्‍त संचार ठीक रहता है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर गर्म रहता है।

चेहरे की त्‍वचा के लिए उपयोगी

चेहरे को सही रखना है तो किसी फेस मास्‍क की ज़रूरत नहीं है। केवल सरसों का तेल ही काफी है। इसे और बेहतर बनाने के लिए सरसोंं के तेल में बेसन, दही व नींबू की कुछ बूंदे मिलाकर चेहरे पर लगा लें, यह फेस मास्क का काम करता है। इसे लगाने के 10-15 मिनट बाद धो लेना चाहिए। इसका प्रयोग सप्‍ताह में दो-तीन बार करने से टैन स्किन और डार्क सपॉट कम होने लगते हैं। सरसों का तेल व नारियल के तेल को मिलाकर पांच-छह मिनट सर्कल में चहेरे की मसाज करें इसके बाद वाइप से या गीली रूई से चेहरे को साफ कर दें। इससे चेहरे का रक्‍त संचार बढ़ जाता है, त्‍वचा में चमक आ जाती है। नियमित सरसों का तेल चेहरे पर लगाने से त्‍वचा की ड्रायनेस-डलनेस व जलन समाप्‍त होती है।

अन्‍य उपयोग

– सरसों का तेल कोलेस्‍ट्राल को नियंत्रित करता है।

– सरसों का तेल त्‍वचा को स्‍वस्‍थ व चमकदार बनाने के साथ ही शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है। त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं के लिए बहुत उपयोगी है।

– इसे टॉनिक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, यह शरीर की कमज़ोरी दूर करता कर कार्य क्षमता में वृद्धि करता है।

– इसके नियमित प्रयोग से माइग्रेन में राहत मिलती है।

– खांसी, जुकाम, अस्‍थमा व साइनाटिस में यह तुरंत लाभ देता है।

– सरसों का तेल गर्मियों में होने वाली स्किन टैन और आंखों पर पड़ने वाले डार्क सर्कल को कम करने में सहायक है।

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