प्रसव के बाद प्लेसेंटा जब अटक जाए

कभी-कभी यदि आप गाँव में हैं या ऐसे क़स्‍बे में हैं जहां चिकित्‍सा के अत्‍याधुनिक इलाज की सुविधा नहीं है और कोई गंभीर संकट उत्‍पन्‍न हो गया तो दिमाग़ कार्य नहीं करता है। जान को जोखिम बन जाती है। प्रसव के दौरान या बाद में भी इस तरह की समस्‍याएँ कभी-कभी उठ खड़ी होती हैं। ऐसे में गाँव में या तो घरेलू दवाइयाँ काम आती हैं या तो कोई आसपास होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक होता है तो उसकी दवा काम करती है।

प्रसव के बाद प्लेसेंटा न निकलना – केस स्टडी

ऐसा ही एक केस आज आपसे शेयर कर रहा हूँ। यह केस एक ऐसे व्‍यक्ति की पत्‍नी का है जो स्‍वयं एक चिकित्‍सक थे लेकिन समय रहते इसका कोई उपाय नहीं किया और प्रसव के बाद प्‍लेसेंटा (अंग्रेजी: Placenta) न निकल पाने की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो गई। दाइयों ने बहुत कोशिश की कि प्रसव के बाद प्‍लेसेंटा निकल जाए, इस कोशिश में नॉल टूट गई और बड़ी मात्रा में रक्‍तस्राव शुरू हो गया। वहाँ कोई बड़ा चिकित्‍सा संस्‍थान था नहीं कि वह पत्‍नी को लेकर जाएँ। उस अस्‍पताल में ऑपरेशन की सुविधा थी नहीं, चिकित्‍सकों ने हाथ खड़े कर दिए, कोई भी बड़ा चिकित्‍सा संस्‍थान वहाँ से सौ किलोमीटर दूर था, वहाँ जाते-जाते जान जा सकती थी।

prasav ke bad placenta atakna

देखभाल में कमी

ऐसे समय में उन्‍हें अपने एक होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक मित्र की याद आई जिन्‍होंने एक माह पहले ही उनकी पत्‍नी के पेट का आकार देखकर अपने पास बुलाया था और कहा था कि दो पुड़िया दे दूँगा, भाभीजी को खिला देना। दरअसल जब उनके मित्र ने उनकी पत्‍नी का पेट देखा था, उस समय वह आठ माह की गर्भवती थीं, लेकिन पेट का आकार सामान्‍य नहीं था। बीच में उभरा हुआ था और अगल-बगल दबा हुआ। पूरा गोलाई लिए हुए नहीं था। फिलहाल बात आई, गई, हो गई। न तो वे दवा लेने गए और न ही उन्‍होंने दवा दी। एक माह बाद प्रसव का समय आ गया था, वह लेकर अस्‍पताल गए, जहाँ प्रसव के बाद प्लेसेंटा न निकलने की समस्‍या उत्‍पन्‍न हो गई थी। वह तत्‍काल उनके पास भगे और कहा कि अब आप मेरी पत्‍नी की जान बचा लीजिए।

होम्योपैथ से हेल्प

होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक ने कुछ दवाइयों की शीशी ली और उनके साथ चल लिए। अस्‍पताल में उन्‍हें एलोपैथिक चिकित्‍सकों से थोड़ा विवाद भी करना पड़ा, अंतत: कोई रास्‍ता न देख एलोपैथिक चिकित्‍सकों ने उन्‍हें अपनी दवा करने की इजाज़त दे दी। उन्‍होंने उस महिला की जीभ पर ‘पल्सटीला 1000‘ की दो बूँद टपका दी। पाँच मिनट बाद दो बूँद और दी। इसके पंद्रह मिनट बाद उस महिला को एक तीव्र पीड़ा हुई और प्रसव के बाद प्लेसेंटा बाहर आ गया। वहाँ उपस्थित सभी चिकित्‍सक व नर्स हतप्रभ रह गईं।

प्रसव के बारे में अन्य लेख –

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *