मनुष्य के शरीर की बनावट व बुनावट के बारे में जितना ही अध्ययन किया जाए, उतने ही धागे खुलते जाते हैं। अभी तक विज्ञान ने इस शरीर का पार नहीं पाया है। ऐसी-ऐसी बीमारियाँ हो जाती हैं जो आश्चर्यचकित कर देती हैं। आज ऐसा ही एक मामला इस पोस्ट के ज़रिये बताने जा रहे हैं। शायद आपने कभी सुना भी न होगा। एक महिला को सारी आवाज़ें सुनाई पड़ती थीं, उसे केवल पुरुष की आवाज़ सुनाई नहीं पड़ती थी। घर में सुई गिरने की आवाज़ भी पता चल जाती थी लेकिन बच्चे बुलाते थे तो वह नहीं सुन पाती थी। अजीब परेशानी थी। चिकित्सकों के समझ में भी नहीं आ रहा था कि क्या उपाय किया जाए।
एलोपैथ पर अंधविश्वास
उनके पति को एलोपैथ पर अधिक भरोसा था, जैसा कि हम सभी को होता है। हम होम्योपैथ या अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर तभी रुख करते हैं जब एलोपैथ से पूरी तरह निराश हो जाते हैं। तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है। उन्होंने भी अपनी पत्नी को एलोपैथ के बड़े चिकित्सक से दिखाया, दवा चली लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
पुरुष की आवाज़ न सुन पाना – केस स्टडी
चिकित्सक ने कहा कि कान की नस में पानी भर गया होगा, ऑपरेशन करके निकाल देंगे और सुनाई पड़ने लगेगा। उनके एक होम्योपैथिक चिकित्सक मित्र ने समझाया भी कि आप घबराएँ नहीं, यदि कान की नस में पानी भर जाता तो किसी भी तरह की आवाज़ सुनाई नहीं पड़ती, केवल पुरुष की ही आवाज़ सुनाई नहीं पड़ रही है। इसका मतलब कारण कुछ और है। यह अपने तरह की बिल्कुल विलक्षण बीमारी है।
फिलहाल वह नहीं माने और ऑपरेशन कराने पर अडिग थे। होम्योपैथिक चिकित्सक ने सलाह दी कि यदि आप ऑपरेशन कराना चाहते ही हैं तो एक ही कान का कराइएगा। उन्होंने उनके एक कान का ऑपरेशन करा दिया लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। ऑपरेशन से एक समस्या और उत्पन्न हो गई। जब उनका ऑपरेशन हुआ तो योनि से बड़ी मात्रा में रक्तस्राव होने लगा। ऊपर से खून चढ़ाया जाता था और नीचे से निकल जाता था। चिकित्सक भी घबरा गए थे। फिलहाल तीस बोतल खून चढ़ने के बाद किसी तरह उनकी जान बची।
होम्योपैथी से इलाज
इतना हो जाने के बाद वह पुन: अपने होम्योपैथिक मित्र के पास आए और कहा कि अब आप इसका इलाज कीजिए। होम्योपैथिक चिकित्सक ने इस बारे में थोड़ा अध्ययन किया और डा. केंट की रिपर्टरी में इसकी एकमात्र दवा फॉस्फोरस बताई गई थी, इसकी 1000 की मात्रा दो खुराक उन्होंने उस महिला को दी और उनकी समस्या खत्म हो गई।
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