सिंघाड़ा खाने के फ़ायदे

विटामिन ए व सी से भरपूर सिंघाड़ा अनेक रोगों का इलाज है। यह स्‍वास्‍थ का संरक्षक है। यदि इसका मौसम में सेवन किया जाए तो शरीर की कमज़ोरी दूर होने के साथ ही अनेक प्रकार की व्‍याधियों से मुक्ति मिल जाती है। एक स्वस्थ व्यक्ति को रोज़ाना 5 से 10 ग्राम ताज़ा सिंघाड़ा _ Fresh Water Chestnut खाना चाहिए। पचने में यह थोड़ा भारी होता है इसलिए ज़्यादा खाने से परहेज़ करना चाहिए। ज़्यादा सिंघाड़ा खाने से पेट में गैस बन सकती है और भारीपन महसूस हो सकता है। कब्ज़ हो तो सिंघाड़ा न खाएं। सिंघाड़ा खाने के बाद तुरंत पानी न पियें, इससे पेट दर्द की शिक़ायत हो सकती है।

सिंघाड़ा खाने के लाभ
Water Chestnut

सिंघाड़ा खाने के लाभ

– सिंघाड़ा का सेवन महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए। यह गर्भपात नहीं होने देता, माता के शरीर को ताकत देता है और भ्रूण को पर्याप्‍त पोषण प्रदान करता है तथा उसे स्थिर रखता है। जिनका गर्भ सात माह का हो चुका है उन्‍हें सिंघाड़ा का आटा या हलवा के रूप में सेवन दूध के साथ करना चाहिए। सिंघाड़ा के सेवन से ल्‍यूकोरिया रोग समाप्‍त हो जाता है।

– ताज़ा सिंघाड़ा खाने से टांसिल्‍स, घेंघा, तालुमूल, प्रदाह, तुतलाहट आदि रोग ठीक होते हैं। यदि ताज़ा सिंघाड़ा न मिले तो सूखे सिंघाड़ा चूर्ण भी लाभ करता है।

– गर्मी या लू लगने पर सिंघाड़ा का चूर्ण ताजे पानी से लेने से आराम मिलता है।

– सिंघाड़ा में आयोडीन, मैग्‍नीज आदि मिनरल्‍स पाए जाते हैं जो थॉयराइड व घेंघा आदि रोग नहीं होने देते।

– सिंघाड़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा की झुर्रियों को कम करता है और हमारी त्‍वचा को सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाता भी है।

– सिंघाड़ा का क्‍वाथ पीने से पेशाब के रोगियों को लाभ होता है।

Ubale singhade
Ubale singhade

Benefits of Water Chestnut

– सिंघाड़ा को शृंगारक भी कहा जाता है। इसका सेवन विसर्प रोग से मुक्‍त करता है और प्रमेह रोग में आराम देता है। यह प्‍यास भी बुझाता है, इसलिए अनेक रोगों में इसका प्रयोग लाभकारी है।

– यदि दाद से परेशान हैं तो नींबू के रस में सूखा सिंघाड़ा घिसकर लगाने से लाभ मिलता है। शुरू में यह जलन पैदा करता है लेकिन बाद में ठंडक देता है। कुछ दिन के नियमित प्रयोग से दाद समाप्‍त हो जाता है।

– सिंघाड़ा शरीर को मोटा व शक्तिशाली भी बनाता है। इसमें मिलने वाला स्‍टार्च दुबले लोगों के लिए फ़ायदेमंद है।

– यदि गर्भाशय कमज़ोर है और गर्भ नहीं ठहरता है तो कुछ सप्‍ताह रोज़ ताज़ा सिंघाड़ा का सेवन करना चाहिए, इससे लाभ होता है।

खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़ा प्रयोग ज्‍यादा करना चाहिए। इसकी रोटी खाने से रक्‍त प्रदर ठीक हो जाता है।

– शरीर में रक्‍त की वृद्धि के लिए सिंघाड़ा का आटा लेकर घी में सेंक लें और आटे के बराबर ही खजूर मिक्‍सी में पीस लें। अब दोनों को मिलाकर थोड़ा सेंकें और बेर के बराबर गोलियां बना लें। 2-4 गोलियां सुबह चूसकर खाने के थोड़ी देर बाद दूध पीयें। यह रक्‍त में वृद्धि करता है जिससे उत्‍साह व प्रसन्‍नता हमेशा बनी रहती है। गर्भ धारण करने के छठें माह से यदि महिलाएं इसका सेवन करें तो एक तो रक्‍त की कमी नहीं होगी, दूसरे भ्रूण को पर्याप्‍त पोषण मिलता रहेगा। साथ ही प्रसव के बाद दूध में भी वृद्धि होगी।

– शरीर में मैग्‍नीज़ की कमी के चलते एड़ियां फटने लगती हैं। सिंघाड़ा में पोषक तत्‍वों से मैग्‍नीज एब्ज़ार्ब करने की क्षमता होती है, इसलिए इसका सेवन शरीर में मैग्‍नीज की वृद्धि करता है और एड़ियां फटने की समस्‍या से राहत मिल जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *