होम्योपैथी बड़े काम की चीज़ है। इस पैथी में यदि लक्षण समझ में आ गए तो समझ लीजिए कि रोग विदा हुआ, लक्षण समझ में नहीं आए तो दवा खाते रहिए, कोई नुक़सान नहीं होगा लेकिन फ़ायदा भी अपेक्षित नहीं होगा। इस पैथी में लक्षण व रोग का इतिहास ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए चिकित्सक पहले लक्षण के बारे में पूछता है और बाद में रोग के इतिहास में, इसके बाद दवा देता है। आज यह पोस्ट इस पैथी में सिर चकराना व पेट मे चोट और दर्द के निवारण के उपाय बताएगा।
1. सिर चकराना
एक व्यक्ति को चक्कर आता था और रात को जब वह उठता था तो गिर पड़ता था और सिर में चोट लग जाती थी। इस समस्या से वह बहुत परेशान था। एम्स में भी दवा करा चुका था लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उसे किसी ने सलाह दी कि वह होम्योपैथ में दिखाए। चिकित्सक ने उसकी पूरी बात जानी और उसे फॉस्फोरस 1000 शक्ति दो खुराक दी और बीमारी विदा हो गई और फिर दुबारा नहीं हुई।
2. पेट में दर्द
एक व्यक्ति पेट दर्द से बहुत परेशान था। अनेक जगहों पर उसने दवा कराई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। होम्योपैथिक दवा भी कराई लेकिन पेट दर्द से छुटकारा नहीं मिल रहा था। दरअसल वह स्वयं नहीं जानता था कि पेट दर्द कब शुरू हुआ और उस समय उसे चोट लगी थी या नहीं। इसलिए चिकित्सक के पूछने पर भी रोग का इतिहास सामने नहीं आ पाता था।
पेट में चोट
लगभग छह माह दवा कराने के बाद वह थकने लगा और चिकित्सक से कहा कि डाक्टर साहब अब यह भी दवा कराके देख लिया, कोई फ़ायदा नहीं है। यह चिकित्सक के लिए शर्मनाक था। उन्होंने कहा कि एक बार फिर अपने मर्ज के बारे में बताओ। उन्होंने रोग शुरू होने के दिनों से पूछना शुरू किया। किसी के प्रकार से चोट से मरीज़ इन्कार करता रहा। चिकित्सक ने कहा कि जोर देकर सोचो, हो सकता है कभी हल्की चोट ही लगी हो जिसे तुम चोट नहीं मान रहे हो तो उसने बताया कि दर्द शुरू होने के कुछ दिन पहले मैं काम कर रहा था तो पेट में एक चीज़ से हल्का सा झटका लगा था।
इतना ही काफ़ी था। इसी लक्षण के आधार पर उन्होंने उसे आर्निका 1000 की दो पुड़िया और रूटा 30 व बेलिस पैरेनिस 30 दिन में दो-दो बार लेने के लिए दी। दूसरे दिन सुबह मल के साथ लगभग आधा लीटर जमा हुआ काला खून निकला और उसका दर्द ग़ायब हो गया। केवल एक बात छिप जाने से मर्ज पकड़ में नहीं आ रहा था, वह बात सामने आते ही मर्ज को उसकी खुराक मिल गई और मर्ज विदा हो गया।