सोते समय पेशाब हो जाना और होम्योपैथिक इलाज

रात को सोते समय पेशाब होना कोई गंभीर समस्‍या नहीं है लेकिन इससे बिस्‍तर गीला हो जाता है और यदि साथ में कोई और सोया है तो उसे भी तक़लीफ़ होती है। यह समस्‍या आमतौर पर बच्‍चों व वृद्धों में देखी जाती है। कभी-कभी युवाओं ख़ासकर महिलाओं को भी यह समस्‍या हो जाती है। लेकिन यह समस्‍या बच्‍चों में ज़्यादा पाई जाती है। वे बच्‍चे इस समस्‍या से ज़्यादा प्रभावित होते हैं जो बहुत ही चंचल होते हैं। इसका मूल कारण उनके पेट में कीड़ों का होना है।

जब पेट में कीड़े होते हैं तो बच्‍चे दांत किटकिटाते हैं, सोते समय मुंह से लार निकलने लगती है, पेट दर्द, भूख न लगना, गुदा में खुलजी आदि होने लगती है। बच्‍चों में इस तरह के लक्षण नज़र आएं तो तत्‍काल उनका इलाज करा देना चाहिए। इस तरह के लक्षण दिखें तो सिना, सेन्टोनाइन, टूकूकैटाम ट्र्युकियम आदि से लाभ हो सकता है।

सोते समय पेशाब करना

सोते समय पेशाब होने का कारण

रात को सोते समय पेशाब होने के मुख्‍यत: तीन कारण होते हैं।

१- नर्वस सिस्टम की कमज़ोरी इसका एक कारण है। जब बच्‍चा रात में सोता है तो नर्वस सिस्‍टम कमज़ोर होने के कारण उस पर से नियंत्रण हट जाता है। जिसकी वजह से सोते समय पेशाब बाहर आ जाता है।

२- पेशाब की थेली की कमज़ोरी भी इसका एक कारण है। जब रात को सोते समय पेशाब की थैली भर जाती है तो कमज़ोरी के कारण उसे रोक नहीं पाती और पेशाब बाहर आ जाता है और बिस्‍तर गीला हो जाता है। यह रात के अंतिम भाग में होता पाया गया है।

३- सोते समय पेशाब निकलने का तीसरा कारण है पेट में कीड़ों का होना। पेट में कीड़ों की वजह से जब सोते समय पेशाब होता है तो इसका कोई समय निश्चित नहीं होता है, कीड़ों की वजह से जब भी पेशाब की थैली या उसके आसपास के अंगों में खुजलाहट या सुरसुराहट होती है तो पेशाब बाहर आ जाता है। यह समस्‍या बच्‍चों व लड़कियों में ज़्यादा देखी जाती है।

होम्योपैथ में इलाज

एक बुजुर्ग को यह समस्‍या आ गई थी। वह जब भी रात को सोते थे तो पेशाब निकल जाता था और उन्‍हें पता नहीं चलता था, जब पता चलता था तो बिस्‍तर गीला हो चुका होता था। एलोपैथ में उन्‍होंने इसकी लंबी दवा कराई लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अंतत: होम्‍योपैथ की शरण में गए। चिकित्‍सक ने पाया कि उनका नर्वस सिस्‍टम कमज़ोर हो गया था। उन्‍होंने बुजुर्ग को कास्टीकम 30वेलाडोना 30 की दो-दो खुराकें प्रति दिन लेने को कहा और एक महीने में ही रोग विदा हो गया।

इसी तरह एक युवती को यह समस्‍या हो गई थी। उसे यह समस्‍या पेशाब की थैली की कमज़ोरी के कारण थी। चिकित्‍सक ने उसे सीपिया 1000 की दो खुराकें आधे-आधे घंटे से सप्ताह में केवल एक दिन तथा कास्टीकम 30वेलाडोना 30 की दो-दो खुराकें प्रति दिन लेने को कहा और एक महीने में बीमारी खत्‍म हो गई।

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