उत्तानपादासन से पैरों के दर्द और पेट विकार में लाभ

मानव शरीर के लिए योग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका सम्बंध शरीर के अंगों, अन्तःकरण और आत्मा से है। योग के द्वारा हम शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्त हो जाते हैं और हम शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। हमारी बौद्धिक शक्ति भी तीव्र होती है। योग के कारण कई लोगों का जीवन तनाव मुक्त हो गया है। योग के कारण कई लोग आज ख़ुशहाल और समृद्ध जीवन जी रहे हैं। आप भी योग को अपने जीवन में अपनाएं। तो आइए ऐसे ही एक आसान उत्तानपादासन के करने की विधि को सीखते हैं –

उत्तानपादानसन के चरण

उत्तानपादासन

उत्तानपादासन करने की विधि भूमि पर लेटकर और पैरों को ऊपर उठाकर जो मुद्राएं बनाई जाती हैं, उसे उत्तानपादासन कहते हैं।

  1. सबसे पहले भूमि पर एक सपाट आसन बिछा लें। अब इस आसन पर पीठ के बल लेट जायें और दोनों पैरों को आपस में सटा कर रखें।
  2. सारे शरीर को ढीला रखें। दोनों हथेलियां भूमि पर स्थिर रहें।
  3. अब दोनों पैरों को धीरे धीरे ऊपर की ओर सीधा उठायें। पैरों को 30 डिग्री ऊपर लें जाकर सांस रोकें, जितने समय तक आप सरलता से रोक सकें।
  4. फिर आप सांस को छोड़ते हुए पैरों को धीरे धीरे भूमि पर लाएं।
  5. पुनः सांस को भरते हुए पैरों को ऊपर की ओर उठायें। अब 60 डिग्री का कोण बनायें। सांस रोककर, जितनी देर आप रोक सकें, रुकें।
  6. फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को भूमि पर ले आयें।
  7. प्रारम्भ में इस क्रिया को तीन बार और तीन मिनट तक करना चाहिए। जिनके पास समय का आभाव न हो वे इस क्रिया को अधिक बार और अधिक समय तक भी कर सकते हैं।
  8. इस आसन से पेट और पैरों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है अतः झटके के साथ पैरों को भूमि पर न लायें। ऊपर ले जाते समय भी धीरे धीरे ले जायें। वापस आते समय भी पैरों को धीरे धीरे भूमि पर रखना चाहिए।

उत्तानपादासन के लाभ

  1. उत्तानपादासन करते समय मुख्य रूप से पैर उठाते समय मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। जिससे पैर में होने वाली सनसनाहट एवं दर्द की शिक़ायत दूर हो जाती है। महिलाओं के लिए यह आसन सर्वोत्तम हैं।
  2. इस आसन को करने से पैरों में सूजन व दर्द इत्यादि की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
  3. इस आसन को करने से पाचन क्रिया ठीक रहती है और यकृत अपना कार्य सुचारू रूप से करता है।

आशा है इस योगासन से आपको लाभ अवश्य प्राप्त होगा।

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