अखरोट बलवर्धक है, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन यह अनेक बीमारियों का दुश्मन भी है, इसे कम लोग जानते हैं। आज हम आपको अखरोट के औषधीय उपयोग बताएंगे। अखरोट हृदय को कोमल, मस्तिष्क को पुष्ट व उत्साही बनाता है। इसकी भुनी हुई गिरी खांसी दूर करता है, साथ ही यह वात, पित्त, हृदय व टीबी रोग को ख़त्म करता है। अखरोट का सेवन करने से दिमाग़ को शक्ति मिलती है और यादाश्त को तेज़ होती है। रक्त को शुद्ध करता है। इसका सेवन दस से बीस ग्राम तक ही करना चाहिए।
अखरोट का सेवन किस प्रकार करें?
महिलाओं को मिलने वाले फ़ायदे
– स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए 1 ग्राम गेहूं की सूजी व 10 ग्राम अखरोट के पत्तों को एक साथ पीसकर गाय के घी में पूड़ी बनाकर खाया जाता है।
– अखरोट के छिलके का 40 ग्राम काढ़ा और दो चम्मच मधु मिलाकर दिन में तीन-चार बार लेने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है।
– मासिक धर्म यदि रुक गया हो तो अखरोट का छिलका, मूली का बीज, वायविडंग, अमलतास व केलवार 6-6 ग्राम लेकर दो लीटर पानी में उबालें, इसमें एक पाव गुड़ डाल दें। जब पानी आधा लीटर रह जाए तो आग से उतार लें और ठंडा होने पर छानकर रख लें। मासिक धर्म आने के एक सप्ताह पूर्व 50-50 ग्राम सुबह-शाम पिलाने से रुकी हुई महावारी शुरू हो जाती है।

त्वचा रोग का उपचार
– एक वर्ष तक रोज़ सुबह यदि पांच अखरोट का सेवन किया जाए तो फुंसियां निकलना बंद हो जाती हैं।
– अखरोट के नियमित सेवन से जी मिचलाने की समस्या दूर हो जाती है तथा सफेद दाग में लाभ होता है।
– अखरोट का बीज खाने से होंठ या त्वचा का फटना बंद हो जाता है।
– सुबह सोकर उठने तुरंत बाद बिना कुल्ला किए अखरोट की गिरी मुंह में चबाकर उसका लेप लगाने से दाद ख़त्म हो जाता है।
– अखरोट की छाल के काढ़ा से घावों को धोने पर आराम मिलता है।
अनेक रोगों का उपचार
– तीन अखरोट व पांच लहसुन का जवा पीसकर एक चम्मच गाय के घी में भूनकर खाने से टीबी ठीक हो जाती है।
– अखरोट व किशमिश खाकर गाय का गर्म दूध पीने से हिस्टीरिया में लाभ मिलता है।
– कंठमाला में अखरोट के पत्तों का काढ़ा पीने व उसी से कंठमाला को धोने से लाभ होता है।
– अखरोट का तेल नाक में डालने से लकवा ठीक हो जाता है।
– अखरोट की गिरी को भूनकर चबाने से खांसी चली जाती है। छिलके सहित अखरोट को आग में भून लें और उसकी 1 ग्राम राख को 5 ग्राम मधु के साथ सेवन करने से भी खांसी समाप्त हो जाती है।
– आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए दो अखरोट व तीन हरड़ को जलाकर बनाए गए भस्म में चार काली मिर्च मिलाकर पीसकर अंजन बना लें और उसे रोज़ाना आंखों में लगाएं, इससे रोशनी बढ़ती है।
– अखरोट के छिलकों की भस्म से मंजन करने से दांत मज़बूत होते हैं और इसकी छाल चबाने से दांत साफ़ होते हैं।
– बनौले का बीज 10 ग्राम, अखरोट की गिरी 50 ग्राम व छुहारा 40 ग्राम मिलाकर कूट लें और उसे देशी घी में भूनकर समान मात्रा में मिसरी मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को 25 ग्राम प्रतिदिन लेने से प्रमेह रोग में आराम मिलता है। इसके सेवन के समय दूध नहीं पीना चाहिए।
– वृद्धावस्था की कमज़ोरी दूर करने के लिए 10 ग्राम मुनक्का के साथ 10 ग्राम अखरोट का सेवन रोज़ सुबह करना चाहिए।
– अखरोट की दस ग्राम गिरी पीसकर मोम या मीठे तेल के साथ गलाकर लगाने से नासूर ख़त्म हो जाता है।
शारीरिक लाभ में फ़ायदे
– अखरोट का सेवन करने से हृदय की कमज़ोरी दूर होती है। हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं और हृदय स्वस्थ रहता है।
– अखरोट के तेल से मालिश करने पर हाथ-पैरों की ऐंठन दूर होती है।
– चार बादाम, अखरोट की आठ गिरी व दस मुनक्का रोज़ सुबह खाकर दूध पीने से वृद्धावस्था की निर्बलता दूर होती है।

दर्द निवारक औषधि
– सर्दी में जब शरीर में ऐंठन हो या हैजे में जब शरीर में बाइटें चलें तो अखरोट के तेल की मालिश करें।
– जोड़ों पर अखरोट का तेल लगाने से दर्द में राहत मिलती है। घुटनों का दर्द दूर करने के लिए सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी व 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लेना चाहिए।
मूत्र विकारों का उपचार
– किडनी की पथरी के लिए अखरोट को छिलके सहित कूटकर-पीसकर छान लें। एक चम्मच सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। इससे पेड़ू का दर्द भी ठीक हो जाता है।
– जो बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते हों, उन्हें 2 अखरोट व 20 किशमिश रोज़ दो सप्ताह तक खिलाना चाहिए।
पेट की रोगों का उपचार
– गर्म दूध के साथ अखरोट लेने से बच्चों के पेट में कीड़े मर जाते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
– एक पाव दूध के साथ 20 से 40 ग्राम अखरोट के तेल का सेवन करने से पेट साफ़ होता है।
– पेट में यदि मरोड़ है तो अखरोट को पानी के साथ पीसकर नाभि पर लगाने से मरोड़ ख़त्म हो जाएगा।
– अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त बंद हो जाता है।
– अखरोट के छिलके की राख में 36 ग्राम गुरुच मिलाकर रोज़ सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
– वादी बवासीर में अखरोट के तेल की गुदा पर पिचकारी मारने से सूजन व दर्द में तत्काल राहत मिलती है। अखरोट की 2 ग्राम राख को 2 ग्राम किसी दस्तावर औषधि के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर में खून निकलना बंद हो जाता है।
सूजन का उपचार
– एक पाव गो मूत्र में 10 से 40 मिलीलीटर अखरोट का तेल मिलाकर पीने से सभी प्रकार के सूजन समाप्त हो जाते हैं। वातजन्य सूजन में अखरोट की गिरी कांजी में पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।
– नाड़ी के सूजन, जलन व दर्द में अखरोट की छाल पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।
– अखरोट के वृक्ष की छाल पीसकर लगाने से सूजन समाप्त होता है, वह चाहे जिस कारण हुआ हो।