मूत्र विकार से कई तरह के रोग हो जाते हैं जिनमें पेशाब में जलन, पेशाब का रुक जाना या रुक-रुककर आना, बार-बार पेशाब लगना आदि प्रमुख हैं। समय से इलाज न कराने पर ये बहुत तकलीफ़ देते हैं। पेशाब के न निकलने या पेशाब की कमी के चलते मूत्राशय फूल जाता है और बेचैनी बढ़ जाती है। परेशानी के साथ बूंद-बूंद मूत्र बाहर निकलता है। नींद नहीं आती और शरीर कमज़ोर होता जाता है। साथ ही कमर, जांखों व पिडलियों में दर्द शुरू हो जाता है।
मूत्र विकार के कारण
– पुरुषों में सूजाक या गर्मी आदि के कारण तथा महिलाओं में किसी बाहरी चीज़ के कारण मूत्राशय या मूत्र मार्ग में दबाव पड़ने से मूत्र मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
– अधिक उम्र के लोगों में पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड) बढ़ जाने से पेशाब रुक जाता है।
– इसी प्रकार हिस्टीरिया, चिंता, सिर में चोट, अमाशय के विकार, दूषित भोजन, पौष्टिक भोजन की कमी व कब्ज़ आदि के कारण बार-बार पेशाब महसूस होता है।

मूत्र रोग के घरेलू उपाय
– एक गिलास पानी में मक्के का भुट्टा उबाल लें और उसे छानकर उसमें मिसरी मिलाकर पी जाएं, मूत्र विकार के साथ-साथ पेशाब की जलन समाप्त हो जाएगी।
– रात को सोते समय तरबूज ओस में रख दें और सुबह उसके रस में मिसरी मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
– 25 ग्राम जौ एक गिलास पानी में उबालकर उसमें मिसरी मिलाकर घूंट-घूंट पीने से आराम मिलता है।
– पेशाब की जलन दूर करने के लिए चार चम्मच ईसबगोल की भूसी पानी में भिगोकर उसमें बूरा डालकर पीना चाहिए।
– फालसे का चार चम्मच रस लें और उसमें काला नमक मिलाकर पीने से पेशाब की जलन ख़त्म हो जाएगी।
– एक कप चावल के मांड में चीनी मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है।
– पानी में बथुआ उबालकर उसमें थोड़ा सा काला नमक, भुना जीरा, काली मिर्च व चीनी डालकर सेवन करने से भी लाभ होता है।
– मूत्र विकार और सम्बंधित रोगों के लिए पचास ग्राम प्याज लें और छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर उसे एक गिलास पानी में उबालकर छान लें और उसमें थोड़ी चीनी डालकर पी जाएं।
– सुबह अनार का एक कप जूस लेना फायदेमंद है।
– पालक के एक कप रस में नारियल का आधा कप पानी मिलाकर पीने से पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना या बूंद-बूंद पेशाब टपकने में लाभ मिलता है।
मूत्र रोग के घरेलू उपचार
– पीपल की पांच कोंपलें पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर उसमें थोड़ी चीनी डालकर पी जाएं।
– ताज़ा आवंला का रस पानी में उबालकर पीना चाहिए। ज़रूरत के मुताबिक इसमें मधु या चीनी मिला सकते हैं।
– बड़ी इलायची के दानों का एक चम्मच चूर्ण व कलमी शोरा दो चम्मच मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
– बेल के पत्तों को पानी में पीसकर उसमें थोड़ी सी काली मिर्च व दो चम्मच मधु मिलाकर घूंट-घूंट पीने से लाभ होता है।
– रोज़ नियमित सुबह एक कप गाजर के जूस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।
– पेशाब की जलन दूर करने के लिए गन्ने के ताजे रस में नींबू व सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है तथा पेशाब खुलकर आता है।
– ककड़ी के एक एक कप रस में चीनी मिलाकर पीना चाहिए।
– दूध में सोंठ व मिसरी मिलाकर पीने से पेशाब के समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
– किडनी की ख़राबी के कारण यदि मूत्र बंद हो गया हो तो एक चम्मच मूली के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।
– यदि मूत्र के साथ ख़ून आता हो तो कुलफा के साग के पत्तों का रस दिन में तीन बार चार-चार चम्मच लेना चाहिए। इसके अलावा दूब के एक चम्मच रस में थोड़ा नागकेसर मिलाकर सेवन करने से भी लाभ होता है।
– गुड़ व 6 माशा जवाखार मिलाकर सेवन करना लाभप्रद है।
– रुके हुए पेशाब के लिए नींबू के बीजों को पीसकर नाभि पर लगाना चाहिए, पेशाब शीघ्र आने लगता है। केले के तने का चार चम्मच रस पीने से भी रुका हुआ पेशाब आ जाता है।
– एक चम्मच काला तिल सुबह-शाम चबाकर खाने से लाभ होता है।

मूत्र रोग के घरेलू नुस्खे
– दिन में दो बार गुनगुना पानी के साथ आधा चम्मच अजवायन का सेवन करना चाहिए।
– आंवला का एक चम्मच रस लें और उसमें एक चुटकी हल्दी व आधा चम्मच मधु मिलाकर सेवन करें।
– अनन्नास काटकर उसपर पीपल का चूर्ण डालकर खाने से भी आराम मिलता है।
– सुबह खाली पेट मसूर की दाल पीनी चाहिए। इससे मूत्र विकार में कमी आती है।
– प्रतिदिन एक सेब खाने से पेशाब कम आने की समस्या दूर हो जाती है।
– गुड़ व काला तिल मिलाकर खाने से बार-बार पेशाब लगने की समस्या दूर हो जाती है।
– पालक के दो चम्मच रस में थोड़ा काला नमक डालकर लें और रात को दूध में छुहारा उबालकर पीयें।
– गाय के दूध के साथ 1 ग्राम जावित्री व 5 ग्राम मिसरी लेने से लाभ होगा।
– बार-बार पेशाब जाने की समस्या में भुना हुआ चना खाने से राहत मिलती है।
– गुड़ व 3 ग्राम खसखस के दाने मिलाकर खाने से लाभ होता है।
– पका हुआ केला खाएं, उसके बाद आंवले का रस पी लें, लाभ होगा।
– पांच ग्राम हल्दी चूर्ण को सुबह-शाम दूध के साथ लेने बहुमूत्र रोग दूर होता है।
कैसा भोजन करें, क्या खाएं
हल्का व सुपाच्य भोजन करें। सब्जियों में टिंडा, परवल, टमाटर, गाजर, लौकी, पालक, तरोई, चौलाई, बथुआ, मेथी व कुलफा आदि का उपयोग करना चाहिए। दालों में मूंग व चने की दाल लाभकारी है। फलों में तरबूज, खरबूज, ककड़ी, चीकू, नारंगी, संतरा, केला, सेब व पपीता आदि का सेवन करना चाहिए।
परहेज़, इनसे बचें
गरिष्ठ भोजन से बचें। काबुली चना, मलका, अरहर, मसूर, लोबिया, मोठ आदि का सेवन न करें। अचार-खटाई, लाल मिर्च, गुड़ व मिठाई, मसाला, मैथुन तथा अत्यधिक व्यायाम से परहेज करना चाहिए।