देशी गाय के पुराने घी में अनेक बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाले गुण मौजूद होते हैं। इससे यज्ञ में आहुतियां देने से जहां पर्यावरण शुद्ध होता है वहीं इथिलीन ऑक्साइड व फाममोल्डिहाइड नामक यौगिक गैस के रूप में उत्पन्न होकर प्राण वायु को शुद्ध करते हैं और जीवाणुओं का नाश करते हैं।
गाय के घी में चावल मिलाकर आहुति देने से आसपास के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं इसका धुआं जहां तक जाता है वहां तक वायुमंडल में किसी प्रकार के कीटाणु नहीं रहते तथा पूरा क्षेत्र आणविक विकिरणों से मुक्त हो जाता है। इसमें शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों के दुष्प्रभाव को नष्ट करने की भी क्षमता है। वै
ज्ञानिक कृतिम वर्षा कराने के लिए प्रोपलीन ऑक्साइड गैस का प्रयोग करते हैं, यह गैस गाय के घी से आहुति देने पर स्वत: उत्पन्न हो जाती है। गाय के 10 ग्राम घी से हवन करने से वातावरण में लगभग 1 टन ताज़ा ऑक्सीजन उत्पन्न होता है।
गाय के पुराने घी के औषधीय प्रयोग
गाय का घी जितना पुराना हो, उसमें उतने ही गुण समाहित हो जाते हैं। 10 वर्ष पुराने घी को कोंच तथा 11 ग्यारह वर्ष पुराने घी को महाघृत कहते हैं। पुराना घी खट्टा, तीखा, तीक्ष्ण, उष्ण, घाव मिटाने वाला व श्रवण शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसके अलावा यह योनि रोग, नेत्र रोग, मस्तक रोग, कर्ण रोग, मूर्छा, ज्वर, श्वांस, संग्रहणी, खांसी, उन्माद, कृमि व विष आदि दोषों को नष्ट करता है।
रोज़ रात को सोते समय दो बूंद देशी गाय का घी गुनगुना करके दोनों नाक में डालने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा रात भर मस्तिष्क में प्राण वायु पहुंचती रहती है। यह क्रिया सुबह, दोपहर व रात को कई माह तक की जाती रहे तो श्वास रोग सहित अनेक पुराने रोग ठीक हो जाते हैं। इससे सूजन, शुष्कता, सदी, सायनस, रक्तस्राव व नासिका की गिल्टी आदि रोग भी ठीक हो जाते हैं। नाक में घी डालने के साथ ही दो बूंद घी नाभि में भी डालें और फिर अंगुली से दोनों ओर थोड़ी देर घुमाएं। इसका पैर के तलवों पर मालिश करने से बहुत अच्छी नींद आती है।
आयुर्वेद में देशी गाय के घी को रसायन कहा गया है, इसका नियमित प्रयोग असमय बुढ़ापा नहीं आने देता। कहते हैं कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। इसमें मिलने वाले स्वर्ण छार में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं जो अन्यत्र नहीं मिलते। गाय के घी में मौजूद वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस हमें कैंसर से बचाते हैं और कैंसर से लड़ने की ताक़त भी देते हैं।
१. गाय का घी नाक में डालने के लाभ
– गाय का घी नाक में डालने से कोमा में गए व्यक्ति की चेतना लौट आती है। इससे एलर्जी भी ख़त्म होती है और पागलपन दूर होता है। नाक की खुश्की दूर होती है और लक़वा में भी लाभ होता है।
– शाम को दोनों नाक में दो-दो बूंद गाय की घी डालने, रात को नाभि व पैर के तलवों पर लगाने से अनिद्रा की बीमारी चली जाती है। साथ ही इसे नाक में डालने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है और नए बाल उगने लगते हैं। मानसिक शांति मिलती है और यादाश्त तेज़ होती है। गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो जाता है। दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है। दिन में तीन बार इसे नाक में डालने से त्रिदोष (वात पित्त और कफ) संतुलित होते हैं।
२. त्वचा रोग
त्वचा रोगों में गाय का घी बहुत कारगर है। इसे ठंडे जल में फेंट लें और फिर घी को पानी में से निकालकर अलग कर लें, यह प्रक्रिया सौ बार करें। इसके बाद इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। अब यह घी एक असाधारण व असरकारक औषधि के रूप में तब्दील हो गया। इसे त्वचा रोगों में मरहम की तरह इस्तेमाल किया जाता है और चमत्कारिक लाभ मिलते हैं, सोराइशिस में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
२. प्रदर रोग
महिलाओं को होने वाले प्रदर रोग में गाय का घी काफी मदद करता है। गाय का घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) समान मात्रा में एक में मिलाकर लड्डू बना लें। सुबह खाली पेट एक लड्डू ख़ूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूंट-घूंट करके पीने से प्रदर रोग में लाभ होता है तथा पुरुषों का शरीर शक्तिशाली बनता है।
गाय के पुराने घी के अन्य लाभ
– गाय के घी के नियमित सेवन से बल व वीर्य बढ़ता है तथा मानसिक शक्ति मिलती है।
– इसके नियिमित सेवन से गैस व कब्ज़ कभी परेशान नहीं करता।
– एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी व मिश्री मिलाकर पीने से कमज़ोरी दूर होती है।
– गाय का आधा चम्मच घी खा लेने से हिचकी तुरंत रुक जाती है।
– गाय के पुराने घी की मालिश करने से हथेली व तलवों के जलन में आराम मिलता है।
– इसका नियमित सेवन स्तन व आंत के कैंसर से बचाता है।
– बच्चों की छाती व पीठ पर गाय के पुराने घी की मालिश करने से कफ की समस्या दूर हो जाती है।
– गाय का घी व मिश्री मिलाकर खिलाने से शराब, भांग व गांजा का नशा तुरंत उतर जाता है।
– यदि सांप ने काट लिया है तो तुरंत सौ-डेढ़ सौ ग्राम गाय का घी पिलाकर अधिक मात्रा में गुनगुना पानी पिलाना चाहिए, इससे उल्टी व दस्त शुरू हो जाएगा और विष का असर कम होने लगेगा।
Cow Ghee Benefits in Hindi
– देशी गाय का पुराना घी फफोलों के लिए लाभप्रद है, इसे फफोलों पर लगाने से आराम मिलता है।
– सिर दर्द के साथ ही शरीर में गर्मी में लगे तो गाय के घी से तलवों की मालिश करनी चाहिए। तुरंत आराम मिलेगा।
– हार्ट अटैक के मरीज़ों को चिकनाई खाने की मनाही होती है लेकिन वे भी गाय का घी खा सकते हैं, इससे हृदय मजबूत होता है।
– एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच गाय का घी मिलाकर पीने से संभोग से होने वाली कमज़ोरी दूर हो जाती है।
– गाय के घी का सेवन वजन नियंत्रित रखता है। इसके सेवन से दुबले लोगों का वज़न बढ़ता है और मोटे लोगों का वज़न कम होता है।
– आंखों की ज्योति बढ़ाने के लिए एक चम्मच गाय के घी में एक चम्मच बूरा व एक चौथाई चम्मच पिसी काली मिर्च डालकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से लाभ होता है।