बात तब की है जब मैंने बी०टेक० कॉलेज में एडमिशन लिया। वहाँ बहुत सारे दोस्त बने पर किसी के ख़ास अट्रैक्शन नहीं हुआ, फिर मैंने कॉलेज में कम्प्यूटर क्लास ज्वाइन कर लिया। कम्प्यूटर सेंटर पर एक लड़का था जिसका नाम अभिषेक था। अभिषेक कैरेक्टर का बहुत अच्छा लड़का था, लेकिन अक्सर सभी लड़के धोकेबाज़ लगते थे। फिर भी मेरी उससे बात होती थी और ना चाहते हुए भी उससे अट्रैक्शन सा हो गया, वो मुझे अच्छा लगने लगा। शायद यह पहले प्यार का एहसास था, लेकिन मैंने अपनी फ़ीलिंग्स कभी उसके साथ शेअर नहीं की। फिर उसने एक दिन मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर मांगा।
मैंने पूछा, “मेरा मोबाइल नम्बर तुम्हें क्यों चाहिए?” तो कहने लगा तुमसे कुछ बात करनी है। तो मैंने उसको अपना नम्बर दे दिया क्योंकि वो अच्छा लड़का था। शाम को उसका फ़ोन आया, स्टडी से रिलेटेड कुछ पूछने के लिये तो मैंने बता दिया। उसके बाद उसके मैसेज आने स्टार्ट हुए। मैं भी उसे पसंद करने लगी थी और बहुत अच्छा लगता था जब उसका मैसेज या कॉल आता था। कॉलेज टाइम में कभी उससे बात नहीं होती थी। फिर हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये और वो हमसे अपनी हर छोटी बड़ी बात शेअर करने लगा। वो चंडीगढ़ से बीटेक कर रहा था और मुझसे एक साल सीनियर था इसलिए स्टडी में उसकी हेल्प भी लेती थी। कभी कभी हेल्प की ज़रूरत नहीं भी होती थी, फिर भी ले लेती थी। फिर एक दिन उसने मुझे कहा…
पहले प्यार का इज़हार
मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, मैंने कहा, ” लेकिन मैं नहीं करती ” फिर अभिषेक ने कहा,” मुझे नहीं पता, मैं करता हूँ एण्ड आई कांट लिव विद आउट यू ” उसके बाद मैंने भी उसे लव यू कहा। ये पहले प्यार पहला ख़ुमार था, उसके बाद एक भी दिन ऐसा नहीं जाता था जब वो मुझसे बात नहीं करे। हर रोज़ बात करता था और हर बात शेअर करता था वो अपनी फ़ैमिली से बहुत प्यार करता था।
हमारे प्यार को अब 3 साल हो गये थे। हम बाहर मिलते भी थे। मेरी फ़ैमिली थोड़ी पुराने विचारों की है, इसके बावजूद मैं बहाने बनाके उससे ज़रूर मिलती थी। एक दिन उसने कहा वो मिलना चाहता है और सेक्स करना चाहता है। लेकिन मैंने उसे मना कर दिया। मुझे इन सब चीज़ों से बहुत डर लगता था।
फिर उसने कहा , ओके लेकिन किस तो कर सकता हूँ न? तो मैंने कहा, “हाँ वो तो कर सकते हो” फिर हम उसके दोस्त के रूम पर मिले। उस दिन हमने बहुत बातें की और उसने मुझे टच भी किया, मुझे अच्छा लगा। फिर उसने मुझे लिप किस दिया।
पहले प्यार का ये सबसे ख़ूबसूरत एहसास था। मेरी साँसे तेज़ हो रहीं थी, उसके बाद उसने मुझे एक टाइट हग किया और कहा,” आई लव यू”। मैंने भी उससे कहा,” आई लव यू टू”। फिर उसने मुझे सेक्स के लिए इंसिस्ट किया लेकिन मैंने मना कर दिया और उसने कहा ठीक है, जब तक तुम न कहोगी हम नहीं करेगें। मैं ख़ुश थी कि वो बहुत अच्छा लड़का है और मेरी हर बात को समझता है।
लड़ाई और पैचअप
फिर शाम को मैं घर आ गई। उसने मुझे फ़ोन किया और मेरी फ़ेसबुक की आईडी पूछी। मैंने आईडी पासवर्ड बता दिये तो अगले दिन उसने फ़ोन किया और कहा कि तुम्हारी आईडी में कौन कौन है?
ऐक्चुअली मेरे एक कॉलेज फ्रेंड ने मुझे मैसेज भेजे थे कि वो मुझे पसंद करता है। वो इनबॉक्स में ही पड़े थे। अभिषेक को ग़ुस्सा आ गया और उसने मुझसे ग़ुस्से में बात की। क्यूँ तुमने ऐसे दोस्त बना रखे हैं? ऐक्चुअली ये उसका केयरिंग नेचर ही था। उसने फ़ोन कट कर दिया और मैंने बहुत ट्राई किया लेकिन वो फ़ोन नहीं उठा रहा था। फिर फ़ाइनली उसने कॉल उठाया तो मैंने कहा,”क्या है फ़ोन क्यूँ कट कर रहे हो?” उसने कहा,” मेरी मर्ज़ी कटूँगा”। मुझे बहुत बुरा लगा, फिर भी मरती क्या नहीं करती, मैंने कहा,”नहीं मुझे बात करनी है” और मुझे रोना आ गया।
वो कहने लगा चुप हो जा आगे से ग़ुस्सा नहीं करूँगा, सॉरी। हमारे झगड़े हुए लेकिन हम जल्दी साल्व कर लेते थे। वो मुझसे कहता था कि तूँ रोया मत कर मुझे बहुत बुरा लगता है। कभी कभी हम पूरी रात भर बात करते थे। उसने स्टडी मेरी सच में बहुत हेल्प की एण्ड मेरे बर्थडे पर मुझे एक गोल्ड रिंग भी दी।
हम बहुत अच्छे दोस्त और ब्वायफ्रेंड गर्लफ्रेंड थे। एक्ज़ाम टाइम में मै कभी उसे डिस्टर्ब नहीं करती थी और न ही वो मुझे करता था। हमारी लव लाइफ़ बहुत अच्छी थी। उसे या मुझे कभी भी पैसों की ज़रूरत होती थी हम एक दूसरे से ले लेते थे। जब उसकी डिग्री कम्पलीट हो गई तो वो घर आ गया और मुझसे बहुत कम बात करने लगा। मुझे बुरा लगता था लेकिन मैं समझती थी कि घर पर उसे टाइम कम मिलता है, फ़ैमिली होती है इसलिए बात करने में प्रॉब्लम होती है। पहले वो मुझसे रोज़ बात करता था अब तो बिल्कुल भी बात नहीं करता है।
बिखरते रिश्ते
उसका एक दोस्त था राहुल, अभिषेक ने मुझे राहुल का नम्बर दिया और कहा कि अगर मुझे कभी बात करनी हो तो वो राहुल के नम्बर पर फ़ोन करे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो रहा है? 5-7 दिन हो गये और अभिषेक का फ़ोन नहीं आया तो मैने राहुल के नम्बर पर फ़ोन किया।
उसने मुझे बताया कि अभिषेक के लिए लड़की देखने के लिए आये हैं। उसकी इंगेज़मेंट भी हो गई है। मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा और मैने फ़ोन रख दिया। मुझे तभी याद आया, जब हम स्टार्टिंग में दोस्त बने थे तो उसने मुझे बोला था कि हम दोस्त हैं और हमेशा रहेंगे लेकिन मैं शादी अपने पैरेन्ट की मर्ज़ी से ही करूँगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आता था कि मैं क्या करूँ और मैं दिन रात बस रोती रहती थी। मेरे पहले प्यार के टुकड़े टुकड़े हो गए थे।
फिर एक दिन उसने मुझे फ़ोन किया। लेकिन मैं कुछ बोल नहीं पाई, बस उसे बधाई दी। उसने मुझसे पूछा नाराज़ हो? तो मैं रोने लग गई। मै कुछ बोल नहीं पा रही थी और मेरे गले से आवाज़ बाहर ही नहीं आ रही थी। उसने मुझे कहा देखो चुप हो जाओ और रोना मत। मैंने कहा क़सम से मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।
डबडबाते आँसू
उसने मुझसे कहा यार मम्मी ने पसंद कर दी मैं मना भी नहीं कर सकता था। मैंने बोला ओके। मैंने उससे ज़्यादा बात नहीं की मैंने पूछा आप आगे मुझसे बात करोगे? तो उसने कहा, हाँ बिल्कुल करूँगा। मैं उससे बहुत प्यार करती थी वो ख़ुश रहे और जब भी उसका फ़ोन आता था मैं उससे बात करती थी लेकिन वो मेरे लिए बहुत बुरा टाइम था । मैं टेंशन में रहने लगी हर टाइम वही दिमाग़ में रहता था, बहुत रोती थी उसके लिए लेकिन वो मेरी क़िस्मत में नहीं था।
मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन आ ही गया और उसकी शादी हो गई। पहले प्यार को पाने की आख़िरी उम्मीद भी खो गई।उसके बाद वो महीने में कभी कभार फ़ोन करता था, और उसने मुझे मना भी किया था कि वो मुझे फ़ोन ना करे। फिर भी मैंने 1-2 बार उसे फ़ोन किया तो उसने ग़ुस्सा दिखाया और कहा कि तुम मेरे पास कभी फ़ोन नहीं करोगी। मैंने कहा ओके।
उस दिन से वो मुझे कभी भी बात नहीं करता था। उसकी शादी को 6 महीने हो चुके थे। तब उसने एक दिन मुझे फ़ोन किया और अपनी वाइफ़ के बारे में बताया कि वो बहुत शानदार है। मैंने कहा, आज पुराने दोस्त की याद कैसे आ गई? उसने कहा बस ऐसे ही बहुत दिन हो गया था तुमसे बात किए हुए।
दर्द की गिरहें
उसके बाद हमारी कभी बात नहीं हुई। अब वो मुझसे बात नहीं करता है फिर भी मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ। शायद उसने कभी मुझसे प्यार किया ही नहीं। मैं नहीं चाहती कि मेरे वज़ह से उसकी निजी ज़िंदगी में कभी कोई प्रॉब्लम आये इसलिए मैं उसे कभी फ़ोन नहीं करती लेकिन उसकी कमी मेरी साँसों में महसूस होती है।
कई चाँदनी रातों में तकिए भीग जाते हैं और दिल का दर्द बाहर आता है और उस वक़्त एक शायरी याद आती है…
शुक्र है ख़ुदाया तूने आँसू बेरंग बनाये वरना
रात को भीगे तकिये सुबह सब बयाँ कर देते…
शायद इसी को प्यार कहते हैं और इसीलिए मैं अपने पहले प्यार को कभी नहीं भूल सकती।