पेट में पल रहे बच्चे की देखभाल

इंटरनेट के ज़माने में किसी भी बात की जानकारी एक क्लिक में की जा सकती है। लेकिन बहुत सी जानकारियां ऐसी भी हैं जिनकी पूरी जानकारी कम ही दी जाती है। इंटरनेट पर गर्भवस्था के बारे में हिंदी में सही जानकारी बहुत कम जगह उपलब्ध है। पहली प्रेग्नेंसी के दौरान दम्पत्ति को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। इस बात की जानकारी होना बहुत ज़रूरी होता है। अगर घर में बड़े-बुजुर्ग हैं तो ठीक बात है, लेकिन अगर दम्पत्ति अकेली और परिवार से अलग है तो जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। कभी कभी तो दम्पत्ति अपने बड़ों से अपनी परेशानियों और समस्याओं को साझा नहीं कर पाते हैं।
पेट में पल रहे बच्चे की देखभाल
किसी शादीशुदा महिला का गर्भवती होना पूरे परिवार के लिए बहुत ख़ुशी बात है। इसलिए गर्भवती को पहले तीन महीने किन किन बदलावों और परेशानियों से जूझना होगा, इसकी जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। जानकारी के अभाव में पेट में पल रहे बच्चे की देखभाल सही से न होने की स्थिति में बच्चे पर संकट आ सकता है। अगर ठीक से महसूस करें को महीने दर महीने आपको अपने गर्भ में पल रहे शिशु में होने वाले बदलाव को समझ सकते हैं। आइए जानें कि पहले तीन महीनों में पेट में पल रहे बच्चे की देखभाल कैसे करें?

पेट में पल रहे बच्चे के लिए पहले तीन महीने

गर्भवती महिला के लिए गर्भावस्था के पहले तीन महीने बड़ा मुश्किल समय होता है। इस समय पेट में बच्चा बनना शुरु होता है और उसका विकास होता है। पहले तीन महीने में गर्भवती महिला को थका देने वाले, उछल कूद और तनाव देने वाला कोई भी काम नहीं करना चाहिए। इसके बजाय पेट में पल रहे बच्चे की देखभाल के बारे में सोचकर हल्का काम करना चाहिए और किसी को मदद के लिए साथ रखना चाहिए।

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पहला महीना

पहले महीने में गर्भनाल का विकास होता है। यह महिला के गर्भ का वह भाग जिससे मां द्वारा खाए आहार का पोषण उसके पेट में पल रहे बच्चे को मिलता है। यही नाल गर्भ में पलने वाले शिशु का मल मूत्र को भी दूसरे स्थान पर पहुंचाता है। गर्भावस्था की शुरुआती समय में गर्भाशय में एक काला घेरा उभरता है। इस समय बच्चे के जबड़े का निचला भाग, मुँह और गले का विकास होता है। इस अवस्था में रक्त कोशिकाएं आकार लेना प्रारम्भ करती हैं और बच्चे के शरीर में रक्त संचार प्रारंभ होता है।
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दूसरा महीना

गर्भावस्था के द्वितीय माह में बच्चे में विकास का अलग चरण आरंभ होता है। इस समय बच्चे का चेहरा बनता है और शरीर के हाथ-पैर बनने की शुरुआत होती है। इसी महीने में पैर के अंगूठे, उंगलियाँ और आंखें विकासित होती हैं।
दूसरे महीने में डॉक्टर पेट में पल रहे बच्चे के दिमाग़, कोशिकाओं और रीढ़ की हड्डी के विकास को जांचते हैं। इस समय में हड्डियां बनने लगती हैं। इस महीने भ्रूण हिलने लगता है, पर इस समय वह इतना धीरे हिलता है कि मां उसे महसूस भी नहीं कर पाती है।

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तीसरा महीना

गर्भावस्था के तीसरे महीने तक पेट में पल रहे बच्चे का पूरा रूप विकसित हो जाता है। आप सोनोग्राफी की रिपोर्ट में बच्चे का हर भाग जैसे चेहरा, आंख, हाथ, पैर आदि को आसानी से समझ सकते हैं। इस समय तक बच्चा अपने मुँह और हाथ की मुट्ठी को खोल-बंद कर सकता है। इसी महीने में बच्चे का प्रजनन अंग भी विकसित हो जाता है। पर वह आसानी से नज़र नहीं आता है। तीसरे महीने में बच्चा मात्र 10 सेमी तक हो सकता है।
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