स्टीविया – मीठी तुलसी मधुमेह रोगियों के लिए वरदान

आमतौर पर मधुमेह के मरीज़ों को मीठा खाने के लिए डाक्‍टर मना कर देते हैं। उनकी मीठा खाने की इच्‍छा पूरी नहीं हो पाती है। यदि मरीज़ को मीठा पसंद है तो उसे बड़ी परेशानी होती है। लेकिन घबराने की बात नहीं है, मीठा की कमी स्‍टीविया नामक पौधा पूरी कर देगा। यह चीज़ों को मीठा तो बनाएगा ही और किसी तरह का शुगर लेबल भी बढ़ने नहीं देगा। इसे मीठी तुलसी कहकर भी संबोधित किया जाता है। शुगर पर नियंत्रण करने के साथ ही यह मोटापे को भी कम करने में समर्थ है। स्टीविया की पत्तियां बहुत मीठी होती हैं, इनका एक बूंद रस एक चम्‍मच चीनी के बराबर मीठा होता है। इस पौधे को घर पर गमले में लगाया जा सकता है। एक पौधा पांच वर्ष तक चलता है। बाज़ार में भी स्‍टीविया के अर्क व पाउडर मिलते हैं। यह पूरी तरह शुगर फ्री होता है।

स्टेविया स्टीविया

वर्तमान में मधुमेह, मोटापाकैलोरी से अधिकतर लोग परेशान हैं। इनके उपचार के लिए आमतौर पर अंग्रेजी दवाओं का सहारा लिया जाता है। ये दवाएं थोड़ी-बहुत राहत तो पहुंचाती हैं लेकिन इनका साइड इफ़ेक्‍ट भी होता है। आयुर्वेद इन तीनों समस्‍याओं के लिए स्‍टीविया के पौधे का प्रयेाग बताता है। इसमें मौजूद स्‍टीवियोसाइड नामक रसायन चीनी से तीन सौ गुना अधिक मीठा होता है और पूरी तरह शुगर फ्री भी।

स्टीविया के बारे में

आजकल स्टेविया बड़े पैमाने पर खेतों में उगाया जाता है। इसे चाहें तो घर पर गमले में भी लगा सकते हैं। मूलत: मीठा के लिए इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। अब तो इसकी सुधरी हुई संकर प्रजाति विकसित हो गई है, जिसके बीजों को बोया जा सकता है। व्यावसायिक रूप में इस पौधे की पत्तियों से स्टीवियोसाइड रेबाडियोसाइड व यौगिकों के मिश्रण को निष्पादन कर उपयोग में लाया जाता है। इसकी उत्‍पत्ति दक्षिण अमेरिका हुई थी, इसके बाद यह अनेक देशों से होता हुआ भारत पहुंचा। भारत में सन् 2000 से इसकी व्‍यावसायिक खेती शुरू हुई। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर (आइएचबीटी) ने 2000 में इसका अनुसंधान व शोध कार्य शुरू किया था। इसके पौधे में कई औषधीय व जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। संस्‍थान ने इसके कई तरह उत्‍पाद भी बाज़ार में उतारे हैं।

स्टेविया या मीठी तुलसी बहुवर्षीय फसल है। इसे पर्याप्‍त पानी चाहिए, पानी की कमी होने पर इसका पौधा सूखने लगता है। इसलिए बार-बार सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है। हर दूसरे-तीसरे दिन इसकी सिंचाई की जाती है। यह गन्‍ने से तीन सौ गुना मीठा होने के बाद भी शुगर फ्री है। यदि मधुमेह के मरीज़ मीठा खा लिए तो भी घबराने की ज़रूरत नहीं है, उसके बाद स्‍टेविया की कुछ पत्तियां खा लें। यह पूर्व में खाए गए मीठा के दोष को भी समाप्‍त करता है। भोजन के 20 मिनट पूर्व स्‍टीविया पत्तियों का सेवन काफी लाभप्रद होता है। यदि रोज़ स्‍टेविया की चार पत्तियां डालकर चाय बनाई जाए तो यह बहुत ही लाभप्रद है।

स्टीविया के उत्‍पाद

बाज़ार में मधुरगुणा पाउडर मौजूद है जिसकी क़ीमत लगभग सौ रुपये प्रति पैकेट है। पानी में इसे डालने पर तुरंत घुल जाता है, इसे हिम स्टेविया,ज़ीरो कैलोरीज़ व स्टीविया स्वीटनर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा स्‍टीविया की गोलियां व अर्क भी बाज़ार में उपलब्‍ध हैं।

Stevia rebaudiana branch

स्टीविया के गुण

यह हम बता चुके हैं कि स्टीविया शुगर, मोटापा व कैलोरी को दूर करने में समर्थ है। इसके अलावा भी यह अनेक गुणों का भंडार है। एक तो यह चीनी से 25 गुना मीठा होने के बावजूद पूरी तरह शुग रफ्री होता है। इसके अलावा इसमें 15 प्रकार के आवश्यक खनिज व विटामिंस पाए जाते हैं। यह पूर्णतया कैलोरी शून्‍य उत्‍पाद है। इसे चाय, कॉफ़ी, दूध में डालकर या इसका शरबत बनाकर भी पिया जा सकता है। हलवा बनाने में चीनी की जगह इसके अर्क या पाउडर का प्रयोग किया जा सकता है। यह पेंक्रियाज की बीटा कोशिकाओं पर अपना प्रभाव डालकर उन्हें इंसुलिन तैयार करने में मदद करता है। दांतों की कैविटीज़, बैक्टीरिया व सड़न आदि को रोकने के साथ ही उच्‍च रक्‍तचाप को भी नियंत्रित करता है। साथ ही इसमें एंटी एजिंग, एंटी डैंड्फ़ आदि गुण भी पाए जाते हैं।

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